हाथरस में रामलीला में कलाकारों ने विभिन्न-लीलाओं का किया मंचन,:पूरा वातावरण भक्ति में डूबा, काफी लोगों की भीड़ उमड़ी

हाथरस के कस्बा मुरसान में इस समय रामलीला का आयोजन हो रहा है। शुक्रवार की रात लक्ष्मण शक्ति, कुंभकरण वध व मेघनाथ वध सहित अन्य लीलाओं का मंचन किया गया। इन लीलाओं को देखने के लिए काफी तादाद में लोग आए। मंचन के दौरान रणभेरी के बाद दोनों ओर से युद्ध प्रारंभ हो जाता है। लंका की ओर से मेघनाद युद्ध करने सेना सहित आया और लक्ष्मण से भयंकर युद्ध होने लगा। अचानक मेघनाद मायावी युद्ध करने लगा और मौका पाकर उसने लक्ष्मण पर वीरघातिनी शक्ति का प्रयोग किया। जिससे लक्ष्मण मूर्छित हो गिर पड़े। रामादल में शोक की लहर दौड़ गई। तब विभीषण ने हनुमान द्वारा लंका से सुषैण वैद्य को बुलवाया। सुषैण वैद्य ने हिमालय से संजीवनी बूटी लाने को कहा। तब हनुमान बूटी की खोज में हिमालय पहुंचे और वहां से पूरा पहाड़ लेकर चल दिए। इधर अयोध्या से ऊपर उड़ते हुए जब भरत ने उन्हें देखा तो वे कोई असुर समझकर उन पर बाण से प्रहार किया। बाण के प्रहार से हनुमान राम राम करते जमीन पर आ गिरे। तब भरत ने हनुमान से सारा वृत्तांत सुना और उन्हें अपने तीव्रगामी बाण से युद्ध छेत्र भेजा। वहां वैद्य ने बूटी सुंघाकर लक्ष्मण की मूर्छा दूर की। प्रभु राम ने भक्त हनुमान को गले से लगा लिया। इसके पश्चात कुंभकरण सेना सहित युद्ध मैदान में पहुंचा और सारी सेना पर कहर ढाने लगा। तब प्रभु श्री राम ने अपने तीक्ष्ण बाणों से उसके हाथ पैर काट दिए और बाणों से उसका मुंह भर दिया और उसका वध किया। यह थे मुख्य रूप से मौजूद.. इस मौके पर लक्ष्मीकांत सारस्वत,कमेटी अध्यक्ष संतोष तिवारी, लावण्य तिवारी, अभिषेक सारस्वत, भालू अग्रवाल, राधेलाल अग्रवाल, अमित अग्रवाल, राजीव सविता, देवेंद्र दीक्षित, रमेश बंशल, राजीव अग्रवाल, विष्णु बघेल, शरद आदि थे।

Oct 26, 2024 - 07:35
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हाथरस में रामलीला में कलाकारों ने विभिन्न-लीलाओं का किया मंचन,:पूरा वातावरण भक्ति में डूबा, काफी लोगों की भीड़ उमड़ी
हाथरस के कस्बा मुरसान में इस समय रामलीला का आयोजन हो रहा है। शुक्रवार की रात लक्ष्मण शक्ति, कुंभकरण वध व मेघनाथ वध सहित अन्य लीलाओं का मंचन किया गया। इन लीलाओं को देखने के लिए काफी तादाद में लोग आए। मंचन के दौरान रणभेरी के बाद दोनों ओर से युद्ध प्रारंभ हो जाता है। लंका की ओर से मेघनाद युद्ध करने सेना सहित आया और लक्ष्मण से भयंकर युद्ध होने लगा। अचानक मेघनाद मायावी युद्ध करने लगा और मौका पाकर उसने लक्ष्मण पर वीरघातिनी शक्ति का प्रयोग किया। जिससे लक्ष्मण मूर्छित हो गिर पड़े। रामादल में शोक की लहर दौड़ गई। तब विभीषण ने हनुमान द्वारा लंका से सुषैण वैद्य को बुलवाया। सुषैण वैद्य ने हिमालय से संजीवनी बूटी लाने को कहा। तब हनुमान बूटी की खोज में हिमालय पहुंचे और वहां से पूरा पहाड़ लेकर चल दिए। इधर अयोध्या से ऊपर उड़ते हुए जब भरत ने उन्हें देखा तो वे कोई असुर समझकर उन पर बाण से प्रहार किया। बाण के प्रहार से हनुमान राम राम करते जमीन पर आ गिरे। तब भरत ने हनुमान से सारा वृत्तांत सुना और उन्हें अपने तीव्रगामी बाण से युद्ध छेत्र भेजा। वहां वैद्य ने बूटी सुंघाकर लक्ष्मण की मूर्छा दूर की। प्रभु राम ने भक्त हनुमान को गले से लगा लिया। इसके पश्चात कुंभकरण सेना सहित युद्ध मैदान में पहुंचा और सारी सेना पर कहर ढाने लगा। तब प्रभु श्री राम ने अपने तीक्ष्ण बाणों से उसके हाथ पैर काट दिए और बाणों से उसका मुंह भर दिया और उसका वध किया। यह थे मुख्य रूप से मौजूद.. इस मौके पर लक्ष्मीकांत सारस्वत,कमेटी अध्यक्ष संतोष तिवारी, लावण्य तिवारी, अभिषेक सारस्वत, भालू अग्रवाल, राधेलाल अग्रवाल, अमित अग्रवाल, राजीव सविता, देवेंद्र दीक्षित, रमेश बंशल, राजीव अग्रवाल, विष्णु बघेल, शरद आदि थे।

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