हरिद्वार: चार दिनों में दो हाथियों की मौत ने वन विभाग की चिंता बढ़ाई
हरिद्वार: उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में हाल के दिनों में हाथियों की बढ़ती मौजूदगी के बीच पिछले चार दिनों में दो मादा हाथियों की मौत ने चिंता बढ़ा दी है। वन विभाग के अनुसार, एक हाथी की मौत खेतों में बिछाई गई करंट वाली तार के कारण हुई, जबकि दूसरी की मौत का कारण अभी […] The post हरिद्वार: 4 दिन में दो हाथियों की मौत से वन विभाग की चिंता बढ़ी first appeared on Vision 2020 News.
हरिद्वार: चार दिनों में दो हाथियों की मौत ने वन विभाग की चिंता बढ़ाई
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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में हाल के दिनों में हाथियों की घातक घटनाएं चिंता का विषय बन गई हैं। पिछले चार दिनों में दो मादा हाथियों की मृत्यु और उनके पीछे छिपे कारणों ने वन विभाग की नींद उड़ा दी है।
हरिद्वार के दो हाथियों की मौत का संज्ञान लेते हुए, वन विभाग ने इस संभावित संकट के कारणों की जांच शुरू कर दी है। इसमें एक हाथी की मौत का कारण खेतों में बिछाई गई करंट वाली तार बताया जा रहा है, जबकि दूसरी की मौत के कारणों की अभी पहचान नहीं हो पाई है। इस घटनाक्रम ने वन्यजीव संरक्षण और मानव-हाथी संघर्ष के मुद्दे को एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है। अधिक जानकारी के लिए, https://indiatwoday.com पर जाएं।
चार दिनों में दो हाथियों की मौत, वन विभाग ने शुरू की जांच
डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध के अनुसार, इस गंभीर घटना के कारणों की जांच के लिए सभी सैंपल आईवीआरआई बरेली और अन्य प्रयोगशालाओं में भेजे गए हैं। इसके अलावा, एक विशेष जांच टीम का गठन किया गया है जो इन हादसों की असल वजह का पता लगाने का काम करेगी। इस समय, हाथियों की सुरक्षा और उनकी जीवनरेखा को बनाए रखना वन विभाग की प्राथमिकता है।
करंट तारों से हाथियों की मौत, कार्रवाई तेज
ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी फसल की सुरक्षा के लिए कई किसान करंट वाली तारें बिछाते हैं, जिससे हाथियों की जान को खतरा पैदा होता है। वन विभाग ने क्रूरता से बिछाई गई करंट तार लगाने वाले किसानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। इससे पहले से विद्यमान अवैध करंट तारों को भी हटाने का काम तेजी से किया जा रहा है। इस दिशा में उठाए गए कदम निश्चित रूप से मानव-हाथी संघर्ष को कम करने में मदद करेंगे।
मानव-हाथी संघर्ष का बढ़ता संकट
हरिद्वार-राजाजी नेशनल पार्क का क्षेत्र हाथियों का प्राकृतिक आवास है, लेकिन तेज़ी से हो रहे शहरीकरण और अधोसंरचना के विकास ने इन जानवरों की यात्रा पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक सनातन सोनकर का कहना है कि उत्तराखंड में मानव-हाथी संघर्ष एक बड़ी चिंता बन गई है। किसान फसलों को नुकसान पहुंचाने के कारण हाथियों से भयभीत होकर खतरनाक कदम उठा रहे हैं, जो एक सामाजिक समस्या को दर्शाता है।
वन विभाग की तैयारी और ग्रामीणों में दहशत
वन विभाग भी इस स्थिति से निपटने के लिए तैयारियों में लगा हुआ है। हाथियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए गश्त को बढ़ाया जा रहा है और साथ ही ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। हाथियों के लिए सुरक्षित कॉरिडोर बनाने की योजनाएँ भी बनाई जा रही हैं। डीएफओ ने कहा, “हाथियों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है। दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।”
हालांकि, ग्रामीणों में बढ़ती चिंता ने उन्हें रात में खेतों की निगरानी करने से भी रोक दिया है। हादसों की बढ़ती संख्या ने अवश्य ही ग्रामीणों में भय का जिन्न छोड़ दिया है।
सारांश: हरिद्वार में हाथियों की मौत का यह घटनाक्रम वन विभाग के लिए एक चुनौती बन गया है, जिसमें न केवल हाथियों की सुरक्षा, बल्कि मानव-हाथी संघर्ष के समाधान भी शामिल है।
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सादर, टीम इंडिया टुडे - सुष्मिता शर्मा
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