हरियाणा में शहरी एरिया में पकड़ बढ़ा रही BJP:निकाय चुनाव में नए चेहरों पर दांव लगाएगी, कांग्रेस की मदद करने वालों के टिकट कटेंगे
हरियाणा विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली भाजपा अब सभी निगमों में भी बहुमत हासिल करने की कवायद में जुट गई है। वहीं, हार से बैकफुट पर चल रही कांग्रेस तो इस बार भी निर्दलियों को ही समर्थन देने के पक्ष में नजर आ रही है, क्योंकि पार्टी की तरफ से अब तक चुनाव को लेकर कोई तैयारी नहीं दिख रही। इधर, भाजपा पूरे हरियाणा में सदस्यता अभियान चला रही है, जिससे बूथ स्तर पर पार्टी से बड़ी संख्या में लोगों को जोड़ा जा सके। भाजपा का अभियान शहरों में ही ज्यादा एक्टिव नजर आ रहा है। इससे माना जा रहा है कि भाजपा आगामी निगम चुनावों के लिए ही तैयारी कर रही है। हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की मदद करने वाले चेहरों के टिकट कटेंगे शहरों में सरकार बनाने के लिए BJP विधानसभा चुनाव की तरह ही नए चेहरों पर दांव खेलने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मदद करने वाले पार्षदों की लिस्ट तैयार की जा रही है। इसे लेकर केंद्रीय नेतृत्व से भी मंजूरी मिल चुकी है। 10 नगर निगमों के चुनाव लंबित विधानसभा चुनाव में अंबाला मेयर शक्ति रानी शर्मा और सोनीपत के मेयर निखिल मदान भाजपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बन गए हैं। अब इनके समेत हरियाणा की 10 नगर निगमों के चुनाव लंबित हो गए हैं। सिर्फ पंचकूला नगर निगम ही है, जहां अभी मेयर है, जिसका कार्यकाल जनवरी 2026 तक बाकी है। इनके अलावा यमुनानगर, करनाल, पानीपत, रोहतक, हिसार, गुरुग्राम, फरीदाबाद में भी कार्यकाल पूरा हो चुका है। अभी वहां की व्यवस्था प्रशासनिक अधिकारी संभाल रहे हैं। कई निगमों के चुनाव तो दो-दो साल से लंबित हैं। मानेसर नगर निगम गठित होने के बाद वहां अभी तक चुनाव ही नहीं हुए। 6 महीने में करवाने होते हैं चुनाव किसी भी इकाई का कार्यकाल खत्म होने के बाद 6 महीने के भीतर उसका गठन करवाना होता है। फिर वह चाहे स्थानीय निकाय हो या फिर विधानसभा, लेकिन यहां कई महीने गुजर जाने पर भी स्थानीय निकाय के चुनाव नहीं करवाए जा रहे हैं, जोकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी उल्लंघन है। बागियों को सबक सिखाने के लिए नए चेहरों पर दांव लगाएगी भाजपा इधर, भाजपा ने निकाय चुनावों में विधानसभा चुनाव के दौरान पाला बदलने वाले पार्षदों को सबक सिखाने की योजना बनाई है। उन्हें टिकट नहीं दिए जाएंगे। पार्टी नए चेहरों पर दांव लगाएगी। इसके लिए पार्टी जिला अध्यक्षों को जिम्मेदारी दी गई। उन्हें सक्रिय कार्यकर्ताओं की लिस्ट तैयार करने के लिए भी कहा गया है। हो सकता है कि इनमें से ही पार्षद उम्मीदवार चुने जाएं। शहरी वोटरों पर भाजपा का फोकस चुनाव की चर्चा के बीच भाजपा ने शहरी वोटरों पर फोकस किया है। CM नायब सैनी ने दिल्ली दौरे से आते ही सबसे पहले निकाय विभाग की मीटिंग बुलाई थी। इसके साथ ही सभी जिलों में समाधान शिविर शुरू करने के आदेश जारी कर दिए थे। वहीं, इस समय पार्टी की तरफ से बड़े स्तर पर सभी शहरों में सदस्यता अभियान भी चलाए जा रहे हैं, जोकि चुनावी अभियान का ही हिस्सा बताया जा रहा है। भाजपा सरकार की ओर से अब चुनाव करवाने के 3 कारण... 1. विधानसभा चुनाव की जीत का मिलेगा फायदा हरियाणा में विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली जीत का फायदा होगा। 2019 में 40 सीटों के मुकाबले इस बार बीजेपी ने रिकॉर्ड 48 सीटों पर जीत पर दर्ज की है। यह दूसरा मौका है, जब BJP ने 2014 के बाद पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई है। यदि अब निकाय चुनाव होते हैं और उनमें पार्टी को लाभ मिल सकता है। 2. चेहरे बदलने का विधानसभा चुनाव में दिखा फायदा भाजपा ने हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कई सीटों पर चेहरे बदले थे। इनमें से अधिकतर प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। इसी फॉर्मूले को भाजपा निकाय चुनाव में भी अपनाना चाहती है। इससे अधिकतर सीटें जीतने में मदद मिल सकती है। 3. शहरी वोटरों पर BJP की अच्छी पकड़ एक वजह यह भी है कि हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में BJP की कांग्रेस के मुकाबले अच्छी पकड़ है। लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर मिली हार के बाद भी भाजपा को शहरी सीटों पर कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा जीत मिली थी। विधानसभा चुनाव में भी BJP का शहरी सीटों पर अच्छा प्रदर्शन रहा। दोनों चुनाव के आंकड़ों को देखते हुए निकाय चुनाव में BJP इसे फायदे के रूप में देख रही है। कांग्रेस अभी कुछ भी तय नहीं कर पा रही इधर, कांग्रेस की स्थिति नाजुक बनी हुई है। पिछली बार के निगम चुनाव से भी कांग्रेस दूर रही थी। इस बार भी ऐसा लग रहा है कि पार्टी निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन देकर निगम चुनाव की औपचारिकता निभाने की तैयारी में है। अभी कांग्रेस की जो स्थिति है, इसमें पार्टी किसी भी तरह के चुनाव के लिए तैयार नजर नहीं आ रही है।
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