हाईकोर्ट का MLA रामकुमार, सरकार, पीसीबी अधिकारियों को नोटिस:BBN में स्टोन-क्रशर संचालन में नियमों के उलंघन का मामला; 4 सप्ताह में मांगा जवाब

हिमाचल हाईकोर्ट ने सोलन जिला के बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ (‌‌‌‌BBN) में स्थापित स्टोन क्रशरों के संचालन में नियमों के उल्लंघन से जुड़े आरोपों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई। इस पर कोर्ट ने दून से विधायक राम कुमार के दो स्टोन क्रशरों, प्रदेश सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी नोटिस जारी किया। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने मामले की सुनवाई के पश्चात प्रधान सचिव (उद्योग), हिमाचल सरकार के प्रधान सचिव (गृह) सहित उद्योग निदेशक, राज्य भूविज्ञानी, खनन अधिकारी सोलन, राज्य प्रदूषण नियंत्रण के सदस्य सचिव, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी बद्दी सहित उपायुक्त सोलन, पुलिस अधीक्षक, बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़ और क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी बद्दी को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर याचिका का जवाब तलब किया है। प्रार्थी बोला-NOC की अवधि समाप्त होने के बाद फिर से पट्टे का नवीनीकरण किया याचिकाकर्ता कृष्ण कुमार ने कहा कि बीबीएन क्षेत्र की सभी स्टोन क्रशर इकाइयों ने अपने पट्टे की अवधि और हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र की अवधि समाप्त होने के बाद फिर से अपने पट्टे का नवीनीकरण किया और प्रदूषण मंजूरी भी प्राप्त की। आरोप है कि उनमें से किसी ने भी प्रतिवादी अधिकारियों के समक्ष यह खुलासा नहीं किया है कि एक क्रशिंग मशीनरी के स्थान पर, उन्होंने उसी क्रशर इकाई में 8 से 10 क्रशिंग इकाइयां स्थापित की हैं और वे पट्टे की भूमि से भारी मात्रा में खनन खनिज निकाल रहे हैं। आरोप है कि इन स्टोन क्रशरों द्वारा खनन की प्रारंभिक अनुमति से हजारों गुणा खनन किया जा रहा है और उन्होंने अब 10 से 20 ट्रकों के बजाय सैकड़ों ट्रक माल ढुलाई में तैनात किए हैं। इन स्टोन क्रशर का निरीक्षण कराए जाने की मांग प्रार्थी ने हरिपुर संडोली तहसील नालागढ़ में स्थापित मैसर्स शिव भोले स्टोन क्रशर, मैसर्स कुंडलास स्टोन क्रशर, रामा स्टोन क्रशर, मैसर्स गुप्ता स्टोन क्रशर और मैसर्स दून स्टोन क्रशर का संबंधित अधिकारियों से निरीक्षण करवाए जाने की मांग की है। क्रशर इकाई में सीसीटीवी लगाने का आग्रह याचिका में इन स्टोन क्रशरों की प्रत्येक क्रशर इकाई में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिए जाने की मांग भी की है। प्रार्थी ने इन स्टोन क्रशर इकाइयों के संबंध में जांच चौकियां और माप पुल स्थापित करने का निर्देश जारी करने की मांग की है,ताकि क्रशर इकाइयां उस क्षमता से अधिक खनन खनिजों का उत्खनन और आपूर्ति न कर सकें, जिसके लिए उद्योग विभाग द्वारा इन्हें अनुमति दी गई है। इसी प्रकार की जांच चौकियां और माप पुल पंजाब राज्य की सीमा पर भी स्थापित करने की मांग की गई है,ताकि हिमाचल से पंजाब राज्य में अवैध खनन सामग्री का परिवहन न किया जा सके, क्योंकि उक्त अवैध परिवहन से हिमाचल प्रदेश राज्य को भारी सरकारी खजाने की हानि होती है। 200 शिकायतें लंबित प्रार्थी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उद्योग विभाग में सुरक्षा, बुनियादी ढांचे और उपयुक्त कर्मचारियों को तैनात करने का निर्देश दिए जाने की मांग भी की है। प्रार्थी का कहना है कि अवैध खनन और क्षेत्र में फार्मा कंपनियों के अवैध संचालन के बारे में लोगों की लगभग 200 शिकायतें हैं, लेकिन उन शिकायतों को आज तक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के संबंधित अधिकारी द्वारा कानून के अनुसार नहीं निपटाया है, जिसका कारण उन्हें ही सबसे अच्छी तरह से पता है।

Jan 9, 2025 - 18:50
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हाईकोर्ट का MLA रामकुमार, सरकार, पीसीबी अधिकारियों को नोटिस:BBN में स्टोन-क्रशर संचालन में नियमों के उलंघन का मामला; 4 सप्ताह में मांगा जवाब
हिमाचल हाईकोर्ट ने सोलन जिला के बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ (‌‌‌‌BBN) में स्थापित स्टोन क्रशरों के

हाईकोर्ट का MLA रामकुमार, सरकार, पीसीबी अधिकारियों को नोटिस

BBN में स्टोन-क्रशर संचालन के नियमों का उल्लंघन

हाल ही में, उच्च न्यायालय ने MLA रामकुमार, राज्य सरकार और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के अधिकारियों को एक महत्वपूर्ण नोटिस जारी किया है। यह नोटिस BBN क्षेत्र में स्टोन-क्रशर संचालन के संबंध में नियमों के उल्लंघन के मामले में जारी किया गया है। अदालत ने चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है, जो इस मामले की गंभीरता को दर्शाता है।

उल्लंघन के कारण और प्रभाव

स्टोन-क्रशर उद्योग, जोकि निर्माण और सड़क निर्माण के लिए अनिवार्य सामग्री प्रदान करता है, अक्सर नियमों और पर्यावरणीय सुरक्षा मानकों का पालन नहीं करता है। इस मामले में, हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया है कि संबंधित अधिकारियों को जानकारी दी जाए कि क्या सभी मानकों का पालन किया जा रहा है या नहीं। यदि उल्लंघन पाया गया, तो इस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

रामकुमार का बयान

MLA रामकुमार ने इस नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह हमेशा पर्यावरणीय नियमों और प्रावधानों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह अदालत के आदेश का सम्मान करते हैं और सभी जानकारी समय पर प्रदान करेंगे।

सरकार और पीसीबी की भूमिका

राज्य सरकार और पीसीबी को इस मामले में अपनी जवाबदेही समझनी होगी। यदि वे नियमों को लागू करने में विफल रहते हैं, तो यह न केवल कानून के लिए बल्कि जनस्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी खतरा बन सकता है।

अदालत की भूमिका और भविष्य

हाईकोर्ट का यह कदम यह दर्शाता है कि न्यायपालिका पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति सजग है और वह सुनिश्चित करना चाहती है कि सभी नियमों का प्रभावी ढंग से पालन किया जाए। अदालत के इस प्रकार के निर्णय भविष्य में अन्य उद्योगों में भी नियमों का पालन कराने के लिए एक उदाहरण स्थापित कर सकते हैं।

इस मामले पर आगे की सुनवाई में क्या निर्णय लिए जाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।

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