हाईवे के गड्‌ढों में हर साल डाले 400 करोड़ रुपए:यूपी में बारिश बाद फिर बड़े-बड़े गड्‌ढे; 2 डेट निकली पर काम पूरा नहीं

"2024 तक, उत्तर प्रदेश की सड़कें अमेरिका की सड़कों की तरह हो जाएंगी।" अक्टूबर 2022 में लखनऊ में आयोजित इंडियन रोड कांग्रेस के 81वें वार्षिक सम्मेलन में यह बात नितिन गडकरी, केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री ने कही थी। लेकिन, हकीकत इससे जुदा है। एक्सप्रेस-वे को छोड़ दिया जाए, तो अधिकतर सड़कों पर बारिश बाद बड़े-बड़े गड्‌ढे हो गए हैं। यह स्थिति तब है, जब हर साल करोड़ों रुपए इन गड्‌ढों को भरने पर खर्च किया जा रहा है। सिर्फ PWD का ही 2023 में 490 करोड़ का बजट था। इस साल 320 करोड़ रुपए गड्‌ढे भरने के लिए दिए गए हैं। यूपी सरकार ने 10 विभागों को 30 सितंबर तक सड़कों को गड्‌ढामुक्त करने का टारगेट दिया है। इसके लिए अलग से बजट दिया गया है, लेकिन फिर भी सड़कें गड्‌ढामुक्त नहीं हो पाई हैं। समय सीमा बढ़ाकर 10 अक्टूबर की गई, लेकिन अभी भी सड़कों की हालत सुधरी नहीं। सबसे पहले 3 हाईवे-सड़कों की स्थिति देखिए 1- लखनऊ-गोरखपुर नेशनल हाईवे: पिछले साल गड्‌ढों के लिए 89 करोड़ दिए लखनऊ से गोरखपुर नेशनल हाईवे 269 किलोमीटर लंबा है। इसे 2008 में करीब 1429 करोड़ की लागत से बनाया गया था। इस हाईवे पर अयोध्या से बस्ती तक 70 किलोमीटर तक एक से डेढ़ फीट चौड़े गड्ढे हैं। पिछले साल यानी 2023 में NH- 28 की मरम्मत के लिए केंद्र सरकार ने 89 करोड़ दिए थे। अभी उस बजट से गड्‌ढे भरे एक साल भी पूरे नहीं हुए और फिर गड्‌ढे हो गए। NH- 28 से जुड़े पूर्व अधिकारी ने बताया- लखनऊ से गोरखपुर तक के मार्ग में कुल 4 टोल प्लाजा पड़ते हैं। इस हाईवे से रोजाना करीब 40 हजार वाहनों की आवाजाही है। एक टोल प्लाजा से वाहनों से हर दिन 50 लाख रुपए वसूली होती है। इसके बाद भी हाईवे पर गड्‌ढे हैं। 2- बुलंदशहर से शिकारपुर रोड पर गड्ढे ही गड्ढे: 9 साल पहले बनी सड़क पर बीते 4 साल में मरम्मत पर लगे 4 करोड़ PWD विभाग ने बुलंदशहर से शिकारपुर रोड 2015 में बनाई थी। 40 किमी लंबी इस सड़क को बनाने में 22 करोड़ की लागत आई थी। 2020 तक सड़क की हालत कुछ हद तक ठीक थी, लेकिन इसके बाद से गड्ढे ही गड्ढे हो गए। खुर्जा से शिकारपुर के बीच की सड़क की हालत चलने लायक तक नहीं। सड़क पर 2 फीट तक गहरे गड्ढे हैं। बीते 4 साल में इस सड़क की मरम्मत में 4 करोड़ रुपए लग चुके हैं। 3- एटा के जलेसर से सादाबाद रोड: हर 1 किमी रोड पर 15 से 20 गड्ढे, मरम्मत के लिए मिले 1 करोड़ एटा में जलेसर से सादाबाद रोड को 2020 में PWD ने बनवाया था। 28 किलोमीटर लंबी इस सड़क को कल 59 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया था। यह सड़क अलीगढ़ और हाथरस की सीमा को आपस में जोड़ती है। जलेसर कस्बे में जैसे ही घुसते हैं, तो ममता डिग्री कॉलेज के पास से ही एक से डेढ़ मीटर के लंबे गड्ढे नजर आते हैं। हर एक किलोमीटर पर 15 से 20 गड्ढे मिलते हैं। लगातार 14 किलोमीटर तक यही हाल रहता है। गड्‌ढे भरने के लिए इस बार एक करोड़ रुपए दिए गए हैं। 10 विभागों की जिम्मेदारी प्रदेश में कुल 3 लाख 96 हजार 591 किलोमीटर लंबाई की सड़कें हैं। इनमें कुल 44 हजार 573 किलोमीटर में गड्ढामुक्त करने का लक्ष्य इस साल निर्धारित किया गया है। इनमें सबसे ज्यादा सड़कें स्टेट-हाईवे यानी, लोक निर्माण विभाग की हैं। PWD के पास 1 लाख 21 हजार से अधिक सड़कें हैं। 40 हजार 38 किलोमीटर पर गड्ढों को भरने का लक्ष्य है। प्रदेश सरकार द्वारा 30 सितंबर तक गड्ढे भरने की समय-सीमा तय की गई थी, जिसको बढ़ा कर 10 अक्टूबर किया गया है। उत्तर प्रदेश की सड़कों को बनाने और उसकी मरम्मत के लिए कुल 10 विभागों की जिम्मेदारी है। 30 सितंबर तक की रिपोर्ट बताती है कि 15% गड्ढे ही भरे गए हैं। सबसे खराब स्थिति PWD की है। प्रदेश सरकार का सलाना बजट उत्तर प्रदेश सरकार हर साल गड्ढामुक्त सड़क के लिए करोड़ों का बजट दे रही है। 2023 में जहां गड्ढामुक्त के लिए लगभग 490 करोड़ रुपए का बजट स्टेट-हाईवे को दिया गया था। इस साल स्टेट-हाईवे को 320 करोड़ रुपए दिए हैं। इसके अलावा अलग-अलग 9 और विभाग हैं, जिन्हें अलग से बजट दिया गया। टॉप-10 जिलों की लिस्ट, जिन्हें सबसे ज्यादा बजट दिया गया… प्रदेश की सड़कों में गड्ढे के पीछे के कारण... उत्तर प्रदेश में गड्ढा मुक्ति के लिए हर साल बजट आता है, लेकिन अगले साल फिर से गड्‌ढों की संख्या पहले से ज्यादा हो जाती है। एक्सपर्ट्स इसके पीछे तीन सबसे बड़े कारण बताते हैं। 1- सड़कों की खराब गुणवत्ता: उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण विभाग का सालाना बजट लगभग 28 हजार करोड़ रुपए है। इस भारी-भरकम बजट के बाद भी गुणवत्तापूर्ण सड़क नहीं बन पाती। बारिश में गुणवत्ताहीन सड़कों की हालत खराब हो जाती है। एक्सपर्ट्स सड़कों की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण सड़कों को बनाने में खराब गुणवत्ता का होना ही बताते हैं। दरअसल, मुख्य मार्ग की सड़कों को उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण विभाग द्वारा ही बनाया जाता है। इनके निर्माण में खराब मटेरियल का इस्तेमाल और कमीशनखोरी के कारण, जिस सड़क की लाइफ 10 साल या 15 साल होती है, उसे हर साल मरम्मत की जरूरत पड़ती है। इसके लिए करोड़ों रुपए आवंटित किए जाते हैं। 2- ओवरलोड गाड़ियों की आवाजाही: प्रदेश की सड़कों के गड्ढे के पीछे का एक और बड़ा कारण है, ओवरलोड वाहनों की आवाजाही होना। खासतौर पर रात के समय एक जिले से दूसरे जिले तक जाने के लिए ओवरलोड वाहन का शहर के अंदर का रास्ते का इस्तेमाल करना बड़ी वजह है। 3-बारिश और जलभराव: PWD से जुड़े जानकार बताते हैं, प्रदेश में हर साल गड्ढामुक्त के लिए नया लक्ष्य निर्धारित किया जाता है। लेकिन गड्ढों के पैच होने के बाद ही जैसे ही बारिश का सीजन आता है, फिर से उतने ही गड्ढे दिखने लगते हैं। ज्यादा बारिश के कारण सड़कों की स्थिति खराब हो जाती है। आपको बताते हैं, किसी सड़क को बनाने की पूरी प्रक्रिया किस तरह से होती है... सड़कों के रखरखाव की जिम्मेदारी किसकी? प्रदेश की सड़कों को मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिए PWD ठेकेदारों को टेंडर देकर निर्माण कराता है। सड़क निर्माण होने तक 95% पैसे ठेकेदार के रिलीज कर दिए जाते हैं। लेकिन 5% डिफेक्ट

Oct 22, 2024 - 05:20
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हाईवे के गड्‌ढों में हर साल डाले 400 करोड़ रुपए:यूपी में बारिश बाद फिर बड़े-बड़े गड्‌ढे; 2 डेट निकली पर काम पूरा नहीं
"2024 तक, उत्तर प्रदेश की सड़कें अमेरिका की सड़कों की तरह हो जाएंगी।" अक्टूबर 2022 में लखनऊ में आयोजित इंडियन रोड कांग्रेस के 81वें वार्षिक सम्मेलन में यह बात नितिन गडकरी, केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री ने कही थी। लेकिन, हकीकत इससे जुदा है। एक्सप्रेस-वे को छोड़ दिया जाए, तो अधिकतर सड़कों पर बारिश बाद बड़े-बड़े गड्‌ढे हो गए हैं। यह स्थिति तब है, जब हर साल करोड़ों रुपए इन गड्‌ढों को भरने पर खर्च किया जा रहा है। सिर्फ PWD का ही 2023 में 490 करोड़ का बजट था। इस साल 320 करोड़ रुपए गड्‌ढे भरने के लिए दिए गए हैं। यूपी सरकार ने 10 विभागों को 30 सितंबर तक सड़कों को गड्‌ढामुक्त करने का टारगेट दिया है। इसके लिए अलग से बजट दिया गया है, लेकिन फिर भी सड़कें गड्‌ढामुक्त नहीं हो पाई हैं। समय सीमा बढ़ाकर 10 अक्टूबर की गई, लेकिन अभी भी सड़कों की हालत सुधरी नहीं। सबसे पहले 3 हाईवे-सड़कों की स्थिति देखिए 1- लखनऊ-गोरखपुर नेशनल हाईवे: पिछले साल गड्‌ढों के लिए 89 करोड़ दिए लखनऊ से गोरखपुर नेशनल हाईवे 269 किलोमीटर लंबा है। इसे 2008 में करीब 1429 करोड़ की लागत से बनाया गया था। इस हाईवे पर अयोध्या से बस्ती तक 70 किलोमीटर तक एक से डेढ़ फीट चौड़े गड्ढे हैं। पिछले साल यानी 2023 में NH- 28 की मरम्मत के लिए केंद्र सरकार ने 89 करोड़ दिए थे। अभी उस बजट से गड्‌ढे भरे एक साल भी पूरे नहीं हुए और फिर गड्‌ढे हो गए। NH- 28 से जुड़े पूर्व अधिकारी ने बताया- लखनऊ से गोरखपुर तक के मार्ग में कुल 4 टोल प्लाजा पड़ते हैं। इस हाईवे से रोजाना करीब 40 हजार वाहनों की आवाजाही है। एक टोल प्लाजा से वाहनों से हर दिन 50 लाख रुपए वसूली होती है। इसके बाद भी हाईवे पर गड्‌ढे हैं। 2- बुलंदशहर से शिकारपुर रोड पर गड्ढे ही गड्ढे: 9 साल पहले बनी सड़क पर बीते 4 साल में मरम्मत पर लगे 4 करोड़ PWD विभाग ने बुलंदशहर से शिकारपुर रोड 2015 में बनाई थी। 40 किमी लंबी इस सड़क को बनाने में 22 करोड़ की लागत आई थी। 2020 तक सड़क की हालत कुछ हद तक ठीक थी, लेकिन इसके बाद से गड्ढे ही गड्ढे हो गए। खुर्जा से शिकारपुर के बीच की सड़क की हालत चलने लायक तक नहीं। सड़क पर 2 फीट तक गहरे गड्ढे हैं। बीते 4 साल में इस सड़क की मरम्मत में 4 करोड़ रुपए लग चुके हैं। 3- एटा के जलेसर से सादाबाद रोड: हर 1 किमी रोड पर 15 से 20 गड्ढे, मरम्मत के लिए मिले 1 करोड़ एटा में जलेसर से सादाबाद रोड को 2020 में PWD ने बनवाया था। 28 किलोमीटर लंबी इस सड़क को कल 59 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया था। यह सड़क अलीगढ़ और हाथरस की सीमा को आपस में जोड़ती है। जलेसर कस्बे में जैसे ही घुसते हैं, तो ममता डिग्री कॉलेज के पास से ही एक से डेढ़ मीटर के लंबे गड्ढे नजर आते हैं। हर एक किलोमीटर पर 15 से 20 गड्ढे मिलते हैं। लगातार 14 किलोमीटर तक यही हाल रहता है। गड्‌ढे भरने के लिए इस बार एक करोड़ रुपए दिए गए हैं। 10 विभागों की जिम्मेदारी प्रदेश में कुल 3 लाख 96 हजार 591 किलोमीटर लंबाई की सड़कें हैं। इनमें कुल 44 हजार 573 किलोमीटर में गड्ढामुक्त करने का लक्ष्य इस साल निर्धारित किया गया है। इनमें सबसे ज्यादा सड़कें स्टेट-हाईवे यानी, लोक निर्माण विभाग की हैं। PWD के पास 1 लाख 21 हजार से अधिक सड़कें हैं। 40 हजार 38 किलोमीटर पर गड्ढों को भरने का लक्ष्य है। प्रदेश सरकार द्वारा 30 सितंबर तक गड्ढे भरने की समय-सीमा तय की गई थी, जिसको बढ़ा कर 10 अक्टूबर किया गया है। उत्तर प्रदेश की सड़कों को बनाने और उसकी मरम्मत के लिए कुल 10 विभागों की जिम्मेदारी है। 30 सितंबर तक की रिपोर्ट बताती है कि 15% गड्ढे ही भरे गए हैं। सबसे खराब स्थिति PWD की है। प्रदेश सरकार का सलाना बजट उत्तर प्रदेश सरकार हर साल गड्ढामुक्त सड़क के लिए करोड़ों का बजट दे रही है। 2023 में जहां गड्ढामुक्त के लिए लगभग 490 करोड़ रुपए का बजट स्टेट-हाईवे को दिया गया था। इस साल स्टेट-हाईवे को 320 करोड़ रुपए दिए हैं। इसके अलावा अलग-अलग 9 और विभाग हैं, जिन्हें अलग से बजट दिया गया। टॉप-10 जिलों की लिस्ट, जिन्हें सबसे ज्यादा बजट दिया गया… प्रदेश की सड़कों में गड्ढे के पीछे के कारण... उत्तर प्रदेश में गड्ढा मुक्ति के लिए हर साल बजट आता है, लेकिन अगले साल फिर से गड्‌ढों की संख्या पहले से ज्यादा हो जाती है। एक्सपर्ट्स इसके पीछे तीन सबसे बड़े कारण बताते हैं। 1- सड़कों की खराब गुणवत्ता: उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण विभाग का सालाना बजट लगभग 28 हजार करोड़ रुपए है। इस भारी-भरकम बजट के बाद भी गुणवत्तापूर्ण सड़क नहीं बन पाती। बारिश में गुणवत्ताहीन सड़कों की हालत खराब हो जाती है। एक्सपर्ट्स सड़कों की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण सड़कों को बनाने में खराब गुणवत्ता का होना ही बताते हैं। दरअसल, मुख्य मार्ग की सड़कों को उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण विभाग द्वारा ही बनाया जाता है। इनके निर्माण में खराब मटेरियल का इस्तेमाल और कमीशनखोरी के कारण, जिस सड़क की लाइफ 10 साल या 15 साल होती है, उसे हर साल मरम्मत की जरूरत पड़ती है। इसके लिए करोड़ों रुपए आवंटित किए जाते हैं। 2- ओवरलोड गाड़ियों की आवाजाही: प्रदेश की सड़कों के गड्ढे के पीछे का एक और बड़ा कारण है, ओवरलोड वाहनों की आवाजाही होना। खासतौर पर रात के समय एक जिले से दूसरे जिले तक जाने के लिए ओवरलोड वाहन का शहर के अंदर का रास्ते का इस्तेमाल करना बड़ी वजह है। 3-बारिश और जलभराव: PWD से जुड़े जानकार बताते हैं, प्रदेश में हर साल गड्ढामुक्त के लिए नया लक्ष्य निर्धारित किया जाता है। लेकिन गड्ढों के पैच होने के बाद ही जैसे ही बारिश का सीजन आता है, फिर से उतने ही गड्ढे दिखने लगते हैं। ज्यादा बारिश के कारण सड़कों की स्थिति खराब हो जाती है। आपको बताते हैं, किसी सड़क को बनाने की पूरी प्रक्रिया किस तरह से होती है... सड़कों के रखरखाव की जिम्मेदारी किसकी? प्रदेश की सड़कों को मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिए PWD ठेकेदारों को टेंडर देकर निर्माण कराता है। सड़क निर्माण होने तक 95% पैसे ठेकेदार के रिलीज कर दिए जाते हैं। लेकिन 5% डिफेक्ट लायबिलिटी के तौर पर विभाग के पास जमा रहता है। 2 साल तक सड़क को ठीक रखने की जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है। अगर सड़क ठीक रहती है और गड्ढा नहीं होता है, तब 2 साल बाद डिफेक्ट लायबिलिटी के तहत जमा की हुई धनराशि को वापस कर दिया जाता है। सड़क के डैमेज होने पर उस पैसे को जब्त करने के साथ ही कानूनी प्रक्रिया भी अपनाई जाती है। सड़कों पर गड्‌ढे बनने की वजह PWD के पूर्व मुख्य अभियंता जितेंद्र बंगा ने बताया- सड़कों पर गड्ढे होने का सबसे बड़ा कारण जल का जमाव होना होता है। अगर सड़कों की सही समय पर मरम्मत की जाती है और उनमें गुणवत्ता सही है, तो पानी का जमाव नहीं होता। इसके अलावा ठंड के मौसम में बारिश होना भी सबसे बड़ा कारण होता है। इससे बचने और गड्ढों से मुक्ति पाने के लिए सबसे सही तरीका यही है कि किसी भी सड़क की लाइफ साइकिल को पूरा होने से पहले ही रेगुलर बेसेस पर उसका मेंटेनेंस किया जाए। जिन कस्बों, शहरों और गांवों से सड़कें निकल रही हैं, वहां प्रॉपर नालियां बनाई जाएं। ------------------- ये भी पढ़ें... यूपी में इस बार पड़ेगी रिकॉर्ड तोड़ ठंड, दिसंबर और जनवरी में 2 हफ्ते ज्यादा असर दिखेगा, उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी होगी उत्तर प्रदेश से मानसून की विदाई हो चुकी है। दिन सूखे और शाम में सिहरन और रातें हल्की ठंडी होने लगी हैं। मौसम विभाग की माने तो यह बदलाव शरद ऋतु की ओर इशारा कर रहा है। तापमान में गिरावट के चलते अब धीरे-धीरे ठंड बढ़ेगी। खासकर दशहरा के बाद इस गुलाबी ठंड का असर बढ़ा है। दीपावली तक नदियों के किनारे के जिलों में सुबह की शुरुआत धुंध के साथ होने लगेगी। हल्की गुलाबी ठंड के साथ शुरू हुआ सीजन राज्य में कैसा रहेगा, कब से कड़ाके की सर्दी का आगाज होगा। पढ़ें पूरी खबर...

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