हिमाचल की जेलों में बंद कैदी कुशल कामगार बने:35 हजार कमा रहे; परिवार का बने सहारा, समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की पहल
शिमला की कैंथू जेल में बंद कैदी गुड्डू हर महीने 25 से 35 हजार रुपए की कमाई कर रहे हैं। यह पैसा वह अपने परिवार को भेजते हैं। इससे गुड्डू जेल में बंद होकर भी अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। सजा पूरी होने के बाद उन्हें रोजगार की चिंता भी नहीं होगी। शिमला के रामपुर के रहने वाले गुडू दुष्कर्म मामले में 14 साल की सजा काट रहे हैं। वह 11 साल से जेल में बंद है। उन्हें अपनी गलती पर पछतावा है, लेकिन वह हिमाचल पुलिस की 'हर हाथ को काम दो मुहिम' से खुश है, जिसके तहत उन्होंने ट्रेनिंग लेकर फर्नीचर बनाना सीखा। इससे अब वह अच्छी कमाई कर रहे हैं। गुड्डू ने बताया वह लकड़ी से हर प्रकार का सामान तैयार करते हैं। उनकी तरह जैल में दूसरे कैदी भी कुशल कारीगर बन चुके हैं। शिमला में कैदियों के उत्पादों की प्रदर्शनी दरअसल, शिमला के रोटरी क्लब हॉल में बीते कल 3 दिवसीय प्रदर्शन शुरू हुई है। इसमें कैदियों द्वारा बनाया गया खूबसूरत फर्नीचर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कैदियों द्वारा बनाए फर्नीचर की अच्छी मांग है। लोग इनकी जमकर खरीददारी कर रहे हैं। इस प्रदर्शनी में बेड, सोफा, सेंटर टेबल, डायनिंग टेबल, पूजा टैंपल, चेयर जैसे उत्पाद कैदियों द्वारा बनाए गए हैं। दूसरी जेलों में भी कैदी सीख रहे विभिन्न उत्पाद बनाना कैंथू के अलावा प्रदेश की दूसरी जेल में बंद कैदियों को भी जेल विभाग को भी फर्नीचर बनाने के अलावा बैकरी उत्पाद और ऊनी वस्त्र बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। इनके बने उत्पादों की बिक्री के लिए पुलिस महकमा समय समय पर प्रदेश के अलग अलग क्षेत्रों में कैदियों द्वारा बनाए गए उत्पादों की प्रदर्शनी लगाता है। इनमें कैदी अपने उत्पाद बेचते हैं,जिससे उनके व्यवहार में भी सुधार हो रहा है। इस पहल के जरिए पुलिस महकमा कैदियों को जेल से छूटने के बाद समाज की मुख्य धारा से जोड़ना चाहता है। कैदियों में कौशल प्रशिक्षण पैदा करना उद्देश्य: एसआर ओझा रोटरी क्लब हॉल में शुरू प्रदर्शनी का शुभारंभ हिमाचल कारगर एवं सुधार सेवाएं महानिदेशक एसआर ओझा ने बीते कल किया। एसआर ओझा ने कहा हिमाचल की जेल में कैद कैदियों के उत्थान और उन्हें समाज से वापस जोड़ने के उद्देश्य से जेल के वर्कशॉप में विभिन्न उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने सुधार और पुनर्वास के आदर्श वाक्य पर जोर देते हुए कहा कि इस पहल का उद्देश्य कैदियों को कौशल प्रशिक्षण और अपने प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करना है। ओझा ने आगे कहा कि इस पहल से न केवल कैदियों को उनके पुनर्वास की यात्रा में सहायता करती है,बल्कि समाज की मुख्य धारा में शामिल होने का अवसर भी देती है। लोगों को अधिक से अधिक सामान इनसे खरीदना चाहिए। जेल में रहकर कर रहे परिवार की मदद: अनिल मर्डर मामले में सजा काट रहे अनिल कुमार ने बताया, अदालत ने उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई है। उन्होंने नशे की हालत में गंभीर जुर्म किया। अब वह कैंथू जेल में बंद है। लेकिन जेल में रहकर भी वह फर्नीचर बनाकर अपने परिवार की मदद कर रहे हैं।
What's Your Reaction?