हिमाचल में खाली पद समाप्त करने पर बवाल:CM बोले- भ्रामक प्रचार किया जा रहा; पोस्ट समाप्त नहीं कन्वर्ट की जा रही
हिमाचल प्रदेश में 2 साल से खाली पड़े पदों को समाप्त करने पर घमासान छिड़ गया है। फाइनेंस सेक्रेटरी के आदेशों के बाद कांग्रेस सरकार सोशल मीडिया में बुरी तरह घिर गई है। इस बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मीडिया के सामने आकर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि ऐसे पद खत्म किए जा रहे हैं जिनकी आज कोई जरूरत नहीं है। वहीं कुछ देर में पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भी इसी मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेस करके प्रदेश सरकार को घेरेंगे। इस बीच बेरोजगारों ने भी दिवाली के बाद सड़कों पर उतरने की चेतावनी दे डाली है। CM सुक्खू ने कहा कि पद खत्म करने वाली चिट्टी के साथ वित्त विभाग ने दूसरे ऑर्डर भी किए, जिसमें विभागों से पूछा गया कि आज के हिसाब से किन किन पदों की जरूरत है। विभाग कौन कौन से पद चाहते हैं। ऐसे पद अगले वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में क्रिएट किए जाएंगे। मगर इस चिट्ठी का सोशल मीडिया में कोई जिक्र नहीं है। आज टाइपिस्ट की जरूरत नहीं, इललिए खत्म किए जा रहे CM ने कहा कि समाप्त किए जा रहे कुछ पद ऐसे है, जो 20 सालों से खाली थे। उन्होंने कहा टाइपिस्ट जैसे पदों की आज जरूरत नहीं है। इन पदों को क्लर्क, जेओए आईटी जैसे में तब्दील किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह रूटीन चिट्ठी है। पूर्व भाजपा सरकारों में भी निकलते रहे ऐसे आदेश:CM सीएम ने कहा कि पूर्व की सरकारों में भी निकलती रही है। पूर्व भाजपा सरकार में भी ये ऑफिशियल ऑर्डर होते थे। साल 2012 में धूमल सरकार ने भी पद खत्म करने की नोटिफिकेशन की थी। सीएम ने कहा कि उनकी सरकार हमेशा रोजगार देने की दिशा में आगे रही है। उनके कार्यकाल में 19103 पद भरे जा रहे है। अकेले शिक्षा विभाग में 5861 पदों पर भर्तियां चल रही है। बैच वाइज कोटे से भर्तियां कर दी गई है। स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर-मरीज के रेशों को बराबर किया जा रहा है। पुलिस, वन विभाग, जल शक्ति और पीडबल्यूडी में बड़ी संख्या में पदों को भरा जा रहा है। बेरोजगारों ने दी आंदोलन की चेतावनी इस बीच प्रदेश के प्रशिक्षित बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बालकृष्ण ने बताया कि दिवाली के बाद सरकार के इस निर्णय के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले ही सरकार ने दो साल से भर्तियां बंद कर रखी है। ऐसे में पद तो खाली ही होंगे। अब सरकार द्वारा पदों को समाप्त करने का निर्णय बिल्कुल गलत है। उन्होंने सरकार से यह फैसला वापस लेने की मांग की है।
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