हिमाचल में साईं प्रतिमा मामले ने पकड़ा तूल:राम मंदिर नहीं पहुंचे शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, गौ रक्षा दल भड़का
शिमला में मस्जिद विवाद शांत होने के बाद अब राम मंदिर में साईं मूर्ति मामले ने तूल पकड़ लिया है। गौ रक्षा दल मंदिर में लगी साईं की मूर्ति को लेकर भड़क गया है। दल ने मांग की है कि मंदिर परिसर से साईं की मूर्ति हटाकर यहां गौ माता की मूर्ति स्थापित की जाएं। गौ रक्षा दल के हिमाचल के उपाध्यक्ष रवि ने कहा कि शंकराचार्य के मंदिर के बहिष्कार के बाद वह शिमला में राम मंदिर गए और उन्होंने देखा कि मूर्ति राम मंदिर के बाहर लगी हुई है। इसकी पूजा नहीं होती है, लेकिन इसकी वजह से शंकराचार्य ने कार्यक्रम को टाल दिया है। गौ रक्षा दल इसका विरोध करता है। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य ने वचन दिया है कि जब यह मूर्ति हटा दी जाएगी तो वह राम मंदिर जरूर आएंगे। वहीं विवाद बढ़ने पर राम मंदिर शिमला के पुजारी जीतराम शर्मा भी सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर में शंकराचार्य का आगमन होना था, जो रद्द हो गया है। पुजारी ने कहा कि मंदिर के बाहर सांई की प्रतिमा लगी है। इस वजह से उन्होंने यहां आने से मना कर दिया है। इसके अलावा दशावतार की प्रतिमा भी लगी है। उन्होंने बताया कि साईं की प्रतिमा की न तो प्राण प्रतिष्ठा की गई है और न ही कोई उसकी पूजा करता है ये केवल दर्शनों के लिए है। क्यों हुआ यह बवाल बता दें कि बीते कल उत्तर दिशा के ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 1008 शिमला पहुंचे। वह देशभर में गौ हत्या को रोकने व गौ को राष्ट्रमाता घोषित करने के लिए देश भर में जगह जगह पर गौ ध्वज की स्थापना कर रहे है। इसी कड़ी में वह शिमला आए। यहां उनका राम मंदिर में कार्यक्रम पहले से तय था, लेकिन मंदिर में साईं की प्रतिमा होने की जैसे ही उन्हें जानकारी मिली, उन्होंने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया। इसके बाद उनके एक अनुयायी ने गौ ध्वज की स्थापना की है, लेकिन साईं की मूर्ति होने से उन्होंने खुद मंदिर जाने से साफ इनकार कर दिया और वह वापस लौट गए। उनके मीडिया कॉर्डिनेटर योगीराज सरकार ने बातचीत में बताया कि उनके अनुसार साईं अन्य धर्म से सबंध रखते हैं। हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी देवता है। उन्होंने कहा कि जहां भी साईं की प्रतिमा होती है वहां शंकराचार्य महाराज नहीं जाते हैं।
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