अम्बेडकरनगर में किसानों की जमीन हो रही बंजर:मिट्टी की जांच के बाद मामला आया सामने, मिट्टी में कई तत्वों की पाई जा रही कमी

अम्बेडकरनगर में किसानों द्वारा मिट्टी की बिना जांच कराये किए जा रहे रासायनिक खाद के प्रयोग से मिट्टी में कई तत्वों की कमी पायी गई है। किसान अगर समय से मिट्टी की जांच कराकर इन तत्व को पूरा नहीं करेंगे तो उनकी जमीन ऊसर बन जाएगी। मामले में कृषि वैज्ञानिकों का कहना है की किसानों को खेतों में जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए। कृषि विभाग द्वारा किसानो के खेतो की मिट्टी की जांच के लिए समय- समय पर अभियान चलाये जाते है। इसी के तहत मई व जून में अभियान चलाकर जिले के सभी नौ ब्लॉक के लगभग नौ हजार किसानों की खेत की मिट्टी का नमूना लिया गया था।कृषि विभाग द्वारा नमूना लेकर उसे जांच के लिए भेजा गया। कृषि भवन स्थित प्रयोगशाला में जांच के बाद जो परिणाम सामने आया वह अत्यंत चिंताजनक है। जांच में लगभग सभी नमूनों में नाइट्रोजन अत्यंत कम मिला। फॉस्फोरस स्तर भी कम था। पोटाश में भी कमी पाई गई। पॉवर ऑफ हाइड्रोजन तेजी से बढ़ रहा है, जो भूमि को ऊसर में बदलने का संकेत है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को रासायनिक उर्वरक का प्रयोग करने के बजाय जैविक खाद का अधिक प्रयोग करें। इससे भूमि की उर्वरता बनी रहती है। जैविक खाद का प्रयोग करने से उपज तो बेहतर होती है। साथ ही उपज का प्रयोग करने से स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।जिला कृषि अधिकारी पीयूष राय ने बताया की रासायनिक उर्वरक का कम प्रयोग करने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है।

Nov 26, 2024 - 08:45
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अम्बेडकरनगर में किसानों की जमीन हो रही बंजर:मिट्टी की जांच के बाद मामला आया सामने, मिट्टी में कई तत्वों की पाई जा रही कमी
अम्बेडकरनगर में किसानों द्वारा मिट्टी की बिना जांच कराये किए जा रहे रासायनिक खाद के प्रयोग से मिट्टी में कई तत्वों की कमी पायी गई है। किसान अगर समय से मिट्टी की जांच कराकर इन तत्व को पूरा नहीं करेंगे तो उनकी जमीन ऊसर बन जाएगी। मामले में कृषि वैज्ञानिकों का कहना है की किसानों को खेतों में जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए। कृषि विभाग द्वारा किसानो के खेतो की मिट्टी की जांच के लिए समय- समय पर अभियान चलाये जाते है। इसी के तहत मई व जून में अभियान चलाकर जिले के सभी नौ ब्लॉक के लगभग नौ हजार किसानों की खेत की मिट्टी का नमूना लिया गया था।कृषि विभाग द्वारा नमूना लेकर उसे जांच के लिए भेजा गया। कृषि भवन स्थित प्रयोगशाला में जांच के बाद जो परिणाम सामने आया वह अत्यंत चिंताजनक है। जांच में लगभग सभी नमूनों में नाइट्रोजन अत्यंत कम मिला। फॉस्फोरस स्तर भी कम था। पोटाश में भी कमी पाई गई। पॉवर ऑफ हाइड्रोजन तेजी से बढ़ रहा है, जो भूमि को ऊसर में बदलने का संकेत है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को रासायनिक उर्वरक का प्रयोग करने के बजाय जैविक खाद का अधिक प्रयोग करें। इससे भूमि की उर्वरता बनी रहती है। जैविक खाद का प्रयोग करने से उपज तो बेहतर होती है। साथ ही उपज का प्रयोग करने से स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।जिला कृषि अधिकारी पीयूष राय ने बताया की रासायनिक उर्वरक का कम प्रयोग करने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है।

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