कासगंज में बुजुर्ग दंपति को आत्महत्या से बचाया:बेटे-बहू की प्रताड़ना से परेशान होकर हर की पौड़ी पहुंचे थे, पुलिस ने खाना खिलाकर समझाया
एटा जिले के सकीट थाना क्षेत्र के चुनीपुर गांव के रहने वाले एक बुजुर्ग दंपति को सोरों पुलिस ने आत्महत्या करने से बचा लिया। जगदीश और उनकी पत्नी विशुना देवी अपने छोटे बेटे रवि और बहू सूरती की प्रताड़ना से परेशान होकर आत्महत्या करने हर की पौड़ी पहुंचे थे। दंपति ने पुलिस को बताया कि बेटा और बहू उन्हें खाना नहीं देते। गाली-गलौज करते हैं और मारपीट भी करते हैं। इससे परेशान होकर वे सुबह 10 बजे घर से निकल गए। पिछले तीन दिनों से उन्होंने कुछ नहीं खाया था। थाना मोबाइल ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने हर की पौड़ी के घाट पर कपड़े पहने संदिग्ध अवस्था में खड़े दंपति को देखा। निरीक्षक प्रकाश चंद्र शर्मा, उपनिरीक्षक गिर्राज किशोर दुबे और अन्य पुलिसकर्मियों ने तुरंत उनसे बात की। दंपति की पूरी बात सुनने के बाद पुलिस ने उन्हें खाना खिलाया और समझा-बुझाकर आत्महत्या से रोका। यह कार्रवाई पुलिस अधीक्षक अंकिता शर्मा, अपर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार भारती और क्षेत्राधिकारी नगर आंचल चौहान के निर्देशन में की गई।

कासगंज में बुजुर्ग दंपति को आत्महत्या से बचाया
कासगंज की एक दिल दहला देने वाली घटना में, एक बुजुर्ग दंपति ने आत्महत्या का प्रयास किया, लेकिन समय पर पुलिस की मदद से उन्हें बचा लिया गया। बुजुर्ग दंपति बेटे और बहू की प्रताड़ना से परेशान होकर स्थानीय हर की पौड़ी पहुंचे थे। यह मामला समाज के लिए एक गंभीर मुद्दा है, जहाँ वृद्धों को उनके ही परिवार के सदस्यों से मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं।
पुलिस की तत्परता
पुलिस ने बुजुर्ग दंपति को तत्काल खाना खिलाया और उन्हें इस मानसिक तनाव से बाहर निकलने के लिए समझाया। उनकी तत्परता ने एक बड़ा संकट टाल दिया। इस मामले ने यह दिखाया कि समाज में बुजुर्गों के प्रति संवेदनशीलता की आवश्यकता है और हमें उनके प्रति अधिक जागरूक होना चाहिए।
परिवारों में बुजुर्गों की स्थिति
किसी भी परिवार में बुजुर्गों का बहुत बड़ा योगदान होता है, लेकिन कई बार वे ही पेरशानियों का शिकार बन जाते हैं। बेटों और बहुओं के प्रताड़ना से तंग आकर, ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं। यह आवश्यक है कि समाज में बुजुर्गों के अधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ाई जाए।
मदद की आवश्यकता
यदि आप या आपके आसपास कोई बुजुर्ग दंपति ऐसे हालात का सामना कर रहे हैं, तो तुरंत मदद लें। बहुत से संगठन हैं जो इस मामले में सहायता प्रदान करते हैं। समस्या को नजरअंदाज न करें, क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य बहुत महत्वपूर्ण है।
बुजुर्गों को अपने बच्चों और बहुओं से प्रताड़ना से बचाने के लिए सभी को आगे आना चाहिए। ऐसे कार्यक्रम और जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए जो इस समस्या के समाधान में मदद कर सकें।
इस मामले ने हमें यह सीख दी है कि प्रत्येक वृद्ध व्यक्ति की जीवन की गुणवत्ता महत्वपूर्ण है और हमें उनके प्रति निगरानी रखनी चाहिए।
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