नए भारत के निर्माण में शिक्षा के साथ संस्कार जरूरी:अमेठी में शांतनु महाराज बोले- भगवान को प्राप्त करने के लिए दिखावे की आवश्यकता नहीं

अमेठी के तिलोई स्थित आरवीएस इंटर कालेज में राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के तृतीय दिवस की कथा में आचार्य शान्तनु जी महाराज ने जन्मोत्सव की बधाई देते हुए कथा की शुरुआत की। आचार्य शान्तनु जी महाराज ने भगवान के जन्म की घटना को याद करते हुए कहा, जब भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लिया, तो देवताओं ने आकाश मार्ग से पुष्पों की वर्षा की। अयोध्या के नागरिक भगवान के दर्शन के लिए दौड़ पड़े। इस प्रसंग के माध्यम से उन्होंने कहा, भगवान को प्राप्त करने के लिए किसी प्रकार की दिखावट की जरूरत नहीं है। जैसे हो, वैसे ही परमात्मा की प्राप्ति के लिए भागो, और भक्ति में आत्मसमर्पण करो। नामकरण संस्कार पर विशेष ध्यान आचार्य ने नामकरण संस्कार पर चर्चा करते हुए कहा कि नाम संतों, शास्त्रों और विद्वानों से पूछकर ही रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि "यथा नाम तथा गुणः" का पुराना सिद्धांत सही है, क्योंकि नाम से ही व्यक्ति के गुणों का निर्माण होता है। उन्होंने भगवान राम के चारों भाइयों के नामकरण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वशिष्ठ जी ने विशेष ध्यान से उनका नामकरण किया था। प्राचीन गुरुकुल परंपरा और संस्कार की आवश्यकता आचार्य जी ने भारत की प्राचीन वैदिक गुरुकुल परंपरा की महत्वता पर भी बात की। उन्होंने कहा कि भगवान राम और उनके भाई गुरुकुल में पढ़ने गए, जो आज भी प्रासंगिक है। आचार्य ने यह भी बताया कि आज की शिक्षा प्रणाली में समझदारी का अभाव है। हमें सिर्फ पैसे कमाने की मशीन नहीं, बल्कि संस्कारों से भरे हुए बच्चे तैयार करने चाहिए। राम और लक्ष्मण का महत्व विश्वामित्र यज्ञ रक्षा के प्रसंग पर आचार्य जी ने कहा कि राम और लक्ष्मण का जीवन में साथ होना बेहद जरूरी है। राम का अर्थ है सत्य, और लक्ष्मण का अर्थ है वैराग्य, त्याग और समर्पण। जीवन में सत्य की सुगंध और त्याग की भावना होनी चाहिए, तभी हम अपने जीवन के यज्ञ को सही ढंग से निभा सकते हैं। धर्म की रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य आचार्य जी ने गंगा, गीता, गौरी और गायत्री को भारत के प्राणों की रक्षा करने के प्रतीक बताया और सभी से इसके संरक्षण की अपील की। सम्मान और प्रसाद वितरण कथा के तीसरे दिन समाजसेवी मनीष सिंह गौरीगंज ने प्रसाद वितरण किया। कथा के बाद भा.ज.पा. के जिलाध्यक्ष राम प्रसाद मिश्रा, विजय किशोर तिवारी, अमरेंद्र सिंह, सुधांशु शुक्ला, दलजीत सिंह, और कई अन्य प्रमुख व्यक्तियों को कथा व्यास ने अंगवस्त्र भेंट किए। वहीं, कुंवर उत्कर्ष शरण सिंह ने अतिथियों को प्रभु श्रीराम की प्रतिमा भेंट की। इस अवसर पर ब्लॉक प्रमुख तिलोई के प्रतिनिधि कृष्ण कुमार सिंह, सीओ अजय कुमार सिंह, और कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कथा का आयोजन हजारों की संख्या में श्रोताओं ने उत्साहपूर्वक सुना।

Nov 24, 2024 - 20:05
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नए भारत के निर्माण में शिक्षा के साथ संस्कार जरूरी:अमेठी में शांतनु महाराज बोले- भगवान को प्राप्त करने के लिए दिखावे की आवश्यकता नहीं
अमेठी के तिलोई स्थित आरवीएस इंटर कालेज में राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के तृतीय दिवस की कथा में आचार्य शान्तनु जी महाराज ने जन्मोत्सव की बधाई देते हुए कथा की शुरुआत की। आचार्य शान्तनु जी महाराज ने भगवान के जन्म की घटना को याद करते हुए कहा, जब भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लिया, तो देवताओं ने आकाश मार्ग से पुष्पों की वर्षा की। अयोध्या के नागरिक भगवान के दर्शन के लिए दौड़ पड़े। इस प्रसंग के माध्यम से उन्होंने कहा, भगवान को प्राप्त करने के लिए किसी प्रकार की दिखावट की जरूरत नहीं है। जैसे हो, वैसे ही परमात्मा की प्राप्ति के लिए भागो, और भक्ति में आत्मसमर्पण करो। नामकरण संस्कार पर विशेष ध्यान आचार्य ने नामकरण संस्कार पर चर्चा करते हुए कहा कि नाम संतों, शास्त्रों और विद्वानों से पूछकर ही रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि "यथा नाम तथा गुणः" का पुराना सिद्धांत सही है, क्योंकि नाम से ही व्यक्ति के गुणों का निर्माण होता है। उन्होंने भगवान राम के चारों भाइयों के नामकरण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वशिष्ठ जी ने विशेष ध्यान से उनका नामकरण किया था। प्राचीन गुरुकुल परंपरा और संस्कार की आवश्यकता आचार्य जी ने भारत की प्राचीन वैदिक गुरुकुल परंपरा की महत्वता पर भी बात की। उन्होंने कहा कि भगवान राम और उनके भाई गुरुकुल में पढ़ने गए, जो आज भी प्रासंगिक है। आचार्य ने यह भी बताया कि आज की शिक्षा प्रणाली में समझदारी का अभाव है। हमें सिर्फ पैसे कमाने की मशीन नहीं, बल्कि संस्कारों से भरे हुए बच्चे तैयार करने चाहिए। राम और लक्ष्मण का महत्व विश्वामित्र यज्ञ रक्षा के प्रसंग पर आचार्य जी ने कहा कि राम और लक्ष्मण का जीवन में साथ होना बेहद जरूरी है। राम का अर्थ है सत्य, और लक्ष्मण का अर्थ है वैराग्य, त्याग और समर्पण। जीवन में सत्य की सुगंध और त्याग की भावना होनी चाहिए, तभी हम अपने जीवन के यज्ञ को सही ढंग से निभा सकते हैं। धर्म की रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य आचार्य जी ने गंगा, गीता, गौरी और गायत्री को भारत के प्राणों की रक्षा करने के प्रतीक बताया और सभी से इसके संरक्षण की अपील की। सम्मान और प्रसाद वितरण कथा के तीसरे दिन समाजसेवी मनीष सिंह गौरीगंज ने प्रसाद वितरण किया। कथा के बाद भा.ज.पा. के जिलाध्यक्ष राम प्रसाद मिश्रा, विजय किशोर तिवारी, अमरेंद्र सिंह, सुधांशु शुक्ला, दलजीत सिंह, और कई अन्य प्रमुख व्यक्तियों को कथा व्यास ने अंगवस्त्र भेंट किए। वहीं, कुंवर उत्कर्ष शरण सिंह ने अतिथियों को प्रभु श्रीराम की प्रतिमा भेंट की। इस अवसर पर ब्लॉक प्रमुख तिलोई के प्रतिनिधि कृष्ण कुमार सिंह, सीओ अजय कुमार सिंह, और कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कथा का आयोजन हजारों की संख्या में श्रोताओं ने उत्साहपूर्वक सुना।

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