नोएडा किसान आंदोलन की दो बड़ी वजह:10 % जमीन और 64.7 % की दर से मुआवजे की मांग की, हाइ पावर कमेटी ने खारिज किया
नोएडा में किसानों के इस आंदोलन की बड़ी वजह हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट से जुड़ी है। दरअसल, नोएडा के किसानों की मांग को पूरा करने के लिए बनी हाइपावर कमेटी की रिपोर्ट से किसान असंतुष्ट है। ये रिपोर्ट अध्यक्ष राजस्व परिषद उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में बनाई गई। जिसमें मंडलायुक्त, जिलाधिकारी सदस्य थे। रिपोर्ट को बनाने से पहले करीब 5 बार किसानों के साथ बैठक की गई। साथ ही नोएडा ग्रेटरनोएडा और यमुना विकास प्राधिकरण के सीईओ का सहयोग लिया गया। नोएडा , ग्रेटरनोएडा के किसानों की प्रमुख मांग 10 प्रतिशत विकसित लैंड और 64.7 प्रतिशत की दर से मुआवजा की है। हाई पावर कमेटी की सार्वजनिक हुई रिपोर्ट में इन दोनों मांग को ही खारिज कर दिया गया था या कमेटी ने दोनों ही मांग पर असहमति जताई थी। ऐसे हुआ दिल्ली कूच का ऐलान जिन तीन मांगों को खारिज किया गया था उसमें साल1997 से अब तक सभी किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूखंड दिया जाए। साल 1997 से साल 2002 के मध्य जमीन अधिग्रहण में 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा सभी किसानों को दिया जाए। पांच प्रतिशत विकसित भूखंड पर व्यवसायिक गतिविधियों को मान्य किया गया। इन तीनों मांग के खारिज होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक की और प्राधिकरण अधिकारियों से बातचीत की। लेकिन वार्ता विफल रही। इसके अलावा नए किसान कानून को लागू किया जाए। जिसके तहत सर्किल रेट का चार गुना मुआवजा और 20 प्रतिशत लैंड दी जाए। ये मांगे नहीं मानने पर किसानों ने दिल्ली कूच का ऐलान किया। प्राधिकरण अधिकारियों से बातचीत के बाद किसानों ने सात दिन का समय दिया है। हाइपावर कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार किसानों की मांग पर ये होना है एक्शन शासन को भेजी गई रिपोर्ट कमेटी की ओर से बनाई गई इस रिपोर्ट को शासन को भेजा गया है। अंतिम निर्णय वहीं से होना है। ऐसे में किसानों ने स्पष्ट कहा कि जब तक हमारी प्रमुख मांग 10 प्रतिशत विकसित लैंड, 64.7 प्रतिशत की दर से मुआवजा और नए भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार बाजार दर का 4 गुना मुआवजा नहीं दिया जाएगा। किसान आंदोलन जारी रहेगा।
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