प्रयागराज में पीजिए.. हल्दी-गुड़ वाली सनातनी चाय:MBA कर चुके संतोष 15 से ज्यादा मसालों से बनाते हैं बगैर चायपत्ती वाली चाय, पीने वालों की लगती है भीड़

चाय तो अलग-अलग तरीकों से बनाकर लोग बेच रहे हैं लेकिन MBA की पढ़ाई कर चुके रमेश मिश्रा की चाय औराें से जरा हटकर है। इनकी हल्दी-गुड़ वाली सनातनी चाय पूरे शहर में चर्चित है। इस चाय में चायपत्ती बिल्कुल नहीं डाली जाती, बल्कि 15 से ज्यादा मसालों को इस्तेमाल किया जाता है जो सेहत के लिए लाभकारी भी है। एक बार जो भी इनकी चाय पी लेता है तो वह इनकी चाय का आदी हो जाता है। झूंसी पुलिस चौकी के पास सड़क किनारे ठेलेनुमा दुकान पर सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक चाय पीने वालों लंबी भीड़ दिखती है। शहर में 4 स्थानों पर चल रही सनातनी गुड़ की चाय रमेश मिश्र मूलत: जौनपुर के जंघई के रहने वाले हैं। यह झूंसी में ही रहते हैं। कानपुर के एक संस्थान से इन्होंने MBA की पढ़ाई की लेकिन मनमुताबिक नौकरी न मिलने की वजह से इन्होंने खुद का बिजनेस करने की ठानी। चाय बेचने का निर्णय लिया लेकिन चिर-परिचित व परिवार वालों को उनका यह निर्णय नहीं भाया, फिर भी संतोष ने झूंसी में चाय की दुकान की शुरूआत कर दी। नाम रखा सनातनी हल्दी गुड़ वाली चाय। चाय बनाने का इनका यह तरीका नया था, यही कारण लोगों को पसंद आया और लोगों की डिमांड पर उन्होंने अंदावा चौराहा, राजापुर व पत्रिका चौराहे पर भी इसकी शुरूआत की है। डायबिटीज के मरीज भी पीते हैं यह चाय रमेश के साथ साथ उनके 2 बेटे अमित मिश्र व अनुराग मिश्रा भी पिता के इस काम में पूरी तरह से हाथ बंटाते हैं। बड़े बेटे अनुराग बीफार्मा की पढ़ाई कर रहे हैं और अमित 12वीं में हैं। अमित बताते हैं कि इस चाय में हम लोग चीनी और चायपत्ती का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करते। यही कारण है कि यह डायबिटीज के मरीज भी बहुत पसंद करते हैं। इसमें गुड़, हल्दी, तेजपत्ता, अजवाइन, लौंग, इलायची, लौंग, काली मिर्च, दालचीनी, जायफर, गिलोय समेत कई अन्य ऐसे ही मसालों को डालते हैं। तांबे के बर्तन में इसे पकाया जाता है और कुल्हड़ में लोगों को दिया जाता है। चाय के लिए लोग इंतजार भी करते हैं। लोग बाेले.. ऐसी चाय कहीं नहीं पी इस दुकान पर चाय पीने वाले श्ववेतांक कहते हैं कि हमने देश के कई राज्यों में जाते रहते हैं लेकिन चाय का ऐसा टेस्ट और बनाने का बिल्कुल अलग तरीका कहीं नहीं मिला। वह कहते हैं कि प्रतिदिन हम यहां साथियों के साथ चाय पीने जरूर आते हैं। इसी तरह प्रतियोगी छात्र अर्पित तिवारी कहते हैं दिन भर में 2 बार तो हम यहां चाय पीने आ ही जाते हैं। स्वाद ही ऐसा है कि बिना यह चाय पीये जैसा कुछ अधूरा है।

Nov 26, 2024 - 06:05
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प्रयागराज में पीजिए.. हल्दी-गुड़ वाली सनातनी चाय:MBA कर चुके संतोष 15 से ज्यादा मसालों से बनाते हैं बगैर चायपत्ती वाली चाय, पीने वालों की लगती है भीड़
चाय तो अलग-अलग तरीकों से बनाकर लोग बेच रहे हैं लेकिन MBA की पढ़ाई कर चुके रमेश मिश्रा की चाय औराें से जरा हटकर है। इनकी हल्दी-गुड़ वाली सनातनी चाय पूरे शहर में चर्चित है। इस चाय में चायपत्ती बिल्कुल नहीं डाली जाती, बल्कि 15 से ज्यादा मसालों को इस्तेमाल किया जाता है जो सेहत के लिए लाभकारी भी है। एक बार जो भी इनकी चाय पी लेता है तो वह इनकी चाय का आदी हो जाता है। झूंसी पुलिस चौकी के पास सड़क किनारे ठेलेनुमा दुकान पर सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक चाय पीने वालों लंबी भीड़ दिखती है। शहर में 4 स्थानों पर चल रही सनातनी गुड़ की चाय रमेश मिश्र मूलत: जौनपुर के जंघई के रहने वाले हैं। यह झूंसी में ही रहते हैं। कानपुर के एक संस्थान से इन्होंने MBA की पढ़ाई की लेकिन मनमुताबिक नौकरी न मिलने की वजह से इन्होंने खुद का बिजनेस करने की ठानी। चाय बेचने का निर्णय लिया लेकिन चिर-परिचित व परिवार वालों को उनका यह निर्णय नहीं भाया, फिर भी संतोष ने झूंसी में चाय की दुकान की शुरूआत कर दी। नाम रखा सनातनी हल्दी गुड़ वाली चाय। चाय बनाने का इनका यह तरीका नया था, यही कारण लोगों को पसंद आया और लोगों की डिमांड पर उन्होंने अंदावा चौराहा, राजापुर व पत्रिका चौराहे पर भी इसकी शुरूआत की है। डायबिटीज के मरीज भी पीते हैं यह चाय रमेश के साथ साथ उनके 2 बेटे अमित मिश्र व अनुराग मिश्रा भी पिता के इस काम में पूरी तरह से हाथ बंटाते हैं। बड़े बेटे अनुराग बीफार्मा की पढ़ाई कर रहे हैं और अमित 12वीं में हैं। अमित बताते हैं कि इस चाय में हम लोग चीनी और चायपत्ती का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करते। यही कारण है कि यह डायबिटीज के मरीज भी बहुत पसंद करते हैं। इसमें गुड़, हल्दी, तेजपत्ता, अजवाइन, लौंग, इलायची, लौंग, काली मिर्च, दालचीनी, जायफर, गिलोय समेत कई अन्य ऐसे ही मसालों को डालते हैं। तांबे के बर्तन में इसे पकाया जाता है और कुल्हड़ में लोगों को दिया जाता है। चाय के लिए लोग इंतजार भी करते हैं। लोग बाेले.. ऐसी चाय कहीं नहीं पी इस दुकान पर चाय पीने वाले श्ववेतांक कहते हैं कि हमने देश के कई राज्यों में जाते रहते हैं लेकिन चाय का ऐसा टेस्ट और बनाने का बिल्कुल अलग तरीका कहीं नहीं मिला। वह कहते हैं कि प्रतिदिन हम यहां साथियों के साथ चाय पीने जरूर आते हैं। इसी तरह प्रतियोगी छात्र अर्पित तिवारी कहते हैं दिन भर में 2 बार तो हम यहां चाय पीने आ ही जाते हैं। स्वाद ही ऐसा है कि बिना यह चाय पीये जैसा कुछ अधूरा है।

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