संतकबीरनगर में आचार्य दयानंद ने कहा, भौतिकवादी युग में मानवता धीरे-धीरे नष्ट हो रही है, जानिए कैसे! - indiatoday

संतकबीरनगर के मंझरिया तिवारी गांव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन रविवार को प्रवचन करते हुए कथाव्यास आचार्य दयानंद मिश्र ने मानवता के नाश की चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आज के भौतिकवादी युग में समाज को धर्म, कर्म और ज्ञान प्रधान बनाने की आवश्यकता है। यज्ञ और कथा का महत्व आचार्य ने बताया कि यज्ञ और श्रीमद्भागवत कथा जैसे आयोजनों का महत्व आज के दौर में और भी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि भले ही विज्ञान और तकनीक में काफी प्रगति हुई है, लेकिन वैदिक और आध्यात्मिक ज्ञान में कमी आई है। इससे मानवता की सीख और अपने कर्तव्यों का पालन करने की भावना कमजोर हो गई है। भय और अविश्वास का माहौल आचार्य ने चिंता व्यक्त की कि वर्तमान समय में मनुष्य दूसरे से भयभीत है। पिता पुत्र से और पुत्र पिता से डरते हैं, जिससे लोगों के बीच विश्वास की कमी हो रही है। उन्होंने कहा कि समाज में भागवत भक्ति की कमी से आध्यात्मिकता का अभाव हो रहा है, जो न केवल धर्म का पालन करता है, बल्कि समाज को निर्भय बनाने में भी मदद करता है। रामायण से सीख आचार्य ने रामायण का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में कभी भी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि हमें राम के जीवन से शिक्षा लेते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। इस अवसर पर सावित्री देवी, जितेंद्र त्रिपाठी, छोटकू बाबा, नृपेंद्र त्रिपाठी, शौर्य त्रिपाठी, रामेश्वर मणि, शिव बहादुर समेत कई लोग उपस्थित रहे।

Oct 20, 2024 - 18:05
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संतकबीरनगर के मंझरिया तिवारी गांव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन रविवार को प्रवचन करते हुए कथाव्यास आचार्य दयानंद मिश्र ने मानवता के नाश की चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आज के भौतिकवादी युग में समाज को धर्म, कर्म और ज्ञान प्रधान बनाने की आवश्यकता है। यज्ञ और कथा का महत्व आचार्य ने बताया कि यज्ञ और श्रीमद्भागवत कथा जैसे आयोजनों का महत्व आज के दौर में और भी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि भले ही विज्ञान और तकनीक में काफी प्रगति हुई है, लेकिन वैदिक और आध्यात्मिक ज्ञान में कमी आई है। इससे मानवता की सीख और अपने कर्तव्यों का पालन करने की भावना कमजोर हो गई है। भय और अविश्वास का माहौल आचार्य ने चिंता व्यक्त की कि वर्तमान समय में मनुष्य दूसरे से भयभीत है। पिता पुत्र से और पुत्र पिता से डरते हैं, जिससे लोगों के बीच विश्वास की कमी हो रही है। उन्होंने कहा कि समाज में भागवत भक्ति की कमी से आध्यात्मिकता का अभाव हो रहा है, जो न केवल धर्म का पालन करता है, बल्कि समाज को निर्भय बनाने में भी मदद करता है। रामायण से सीख आचार्य ने रामायण का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में कभी भी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि हमें राम के जीवन से शिक्षा लेते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। इस अवसर पर सावित्री देवी, जितेंद्र त्रिपाठी, छोटकू बाबा, नृपेंद्र त्रिपाठी, शौर्य त्रिपाठी, रामेश्वर मणि, शिव बहादुर समेत कई लोग उपस्थित रहे।

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