भ्रष्टाचार की भेट चढ़ा पुल, चंद महीनों में वहा:टूटे पुल पर नहीं लगाया बैरीकेट, गूगल मैप ने टूटे पुल को बताया सही, 3 की मौत

बरेली के फरीदपुर और बदायूं के दातागंज तहसील को जोड़ने के लिए ग्राम खल्लपुर पर पुल बनाया गया था। 2022 में पुल बनकर तैयार हुआ था और 2023 में बरेली की तरफ का हिस्सा बाढ़ मै वह गया था। जिसके बाद लोक निर्माण विभाग, सेतु निगम और सिंचाई विभाग द्वारा गठित कमेटी ने मामले की जांच की। शासन द्वारा यह तय हुआ किसकी जांच आईआईटी रुड़की द्वारा करवाई जाए। अखिलेश सरकार में हुआ था स्वीक्रत फरीदपुर और दातागंज को जोड़ने के लिए ग्राम खल्लपुर पर कैप्टन अर्जुन यादव द्वारा अखिलेश यादव से पुल के लिए मांग की गई थी। जिसकी स्वीकृति 2016 में मिल गई उसके बाद सपा सरकार चली गई। भाजपा सरकार आ गई। पुल का निर्माण धीरे-धीरे चलता रहा और 2022 में पुल पर वाहन दौड़ने लगे। कुछ महीने में है 2023 जुलाई में पुल बाढ़ मै वह गया। चंद महीनों में पुल बाढ़ में वहा महज चंद महीनों में पुल बाढ़ में वह जाने का मतलब है कि पुल बनाने में जमकर भ्रष्टाचार हुआ अफसर और नेताओं ने मिलकर पॉल को भ्रष्टाचार की भेट चढ दिया यही वजह है कि पुलचंद महीना में बाढ़ में बह गया जिस वजह से आज तीन लोगों की जान चली गई। नेविगेशन के चलते तीन लोगों की जान चली गई रविवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें गूगल मैप नेविगेशन के चलते तीन लोगों की जान चली गई। गुड़गांव से बरेली आ रही कार रामगंगा नदी में गिर गई। हादसे में दो सगे भाई और उनका एक दोस्त जान गंवा बैठे। इस त्रासदी का कारण अधूरे पुल पर कोई चेतावनी या बैरिकेडिंग न होना और गूगल मैप की त्रुटिपूर्ण जानकारी था। गूगल मैप ने दिखाया साफ रास्ता, हादसे का कारण बना गूगल मैप नेविगेशन की भूमिका इस हादसे में महत्वपूर्ण रही। गूगल मैप में पुल को "नीट एंड क्लीन" और चालू बताया गया। नेविगेशन ने कार चालकों को यह जानकारी नहीं दी कि पुल निर्माणाधीन है और अधूरा है। रास्ते में कोई बैरिकेडिंग या चेतावनी बोर्ड न होने की वजह से कार सवार पुल पर चढ़ गए। उन्हें यह पता नहीं था कि पुल का आगे का हिस्सा गायब है। परिणामस्वरूप, कार गहरी नदी में जा गिरी। पुल पर बैरिकेडिंग का न होना प्रशासन की लापरवाही घटना स्थल पर जांच के दौरान पाया गया कि अधूरे पुल पर न तो किसी प्रकार की बैरिकेडिंग थी और न ही कोई चेतावनी बोर्ड। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पुल निर्माणाधीन है, लेकिन सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। यह प्रशासन और सेतु निगम की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। यदि समय पर बैरिकेडिंग की जाती या चेतावनी बोर्ड लगाए जाते, तो इस दुर्घटना को रोका जा सकता था। शादी में शामिल होने जा रहे थे तीनों हादसे मै जान गवाने वाले अजीत, नितिन और अमित शादी में शामिल होने के लिए गुड़गांव से बरेली के फरीदपुर आ रहे थे। अजीत और नितिन दोनों सगे चचेरे भाई थे। उनकी बहन की शादी उसी दिन थी। उनके साथ उनका दोस्त अमित भी यात्रा कर रहा था। परिवार को जब हादसे की खबर मिली, तो खुशी का माहौल मातम में बदल गया। ग्रामीणों ने दी घटना की सूचना हादसे के बाद सुबह जब ग्रामीणों ने कार को रामगंगा नदी में डूबा देखा, तो उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस और जेसीबी की मदद से कार को नदी से बाहर निकाला गया। कार में फंसे तीनों लोगों को बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। फोन कॉल ने दी परिजनों को हादसे की जानकारी परिवार वालों ने बताया कि जब सुबह तक अजीत और नितिन से संपर्क नहीं हो पाया, तो उन्होंने फोन करना शुरू किया। नितिन का फोन स्विच ऑफ मिला, लेकिन अजीत का फोन एक ग्रामीण ने उठाया। ग्रामीण ने बताया कि उनकी कार पुल से गिरकर नदी में डूब गई है। इस खबर ने परिजनों को सदमे में डाल दिया। दो भाइयों की मौत से शादी वाले घर में मचा कोहराम अजीत और नितिन की मौत की खबर ने पूरे परिवार को गहरे शोक में डाल दिया। जिस घर में शादी की तैयारियां हो रही थीं, वहां मातम छा गया। बहन की शादी में भाइयों की मौत की खबर से हर कोई गमगीन हो गया। लोग बहन और परिवार को सांत्वना देते हुए भावुक हो गए। गूगल मैप की भूमिका और संभावित समाधान गूगल मैप जैसी तकनीकों ने यात्रा को सुविधाजनक बनाया है, लेकिन इस हादसे ने दिखा दिया कि इनका अंधाधुंध उपयोग कभी-कभी खतरनाक हो सकता है। डाटा अपडेट में देरी: कई बार गूगल मैप निर्माणाधीन या बंद रास्तों की जानकारी अपडेट नहीं कर पाता। गूगल मैप में स्थानीय खतरों जैसे अधूरे पुल या बैरिकेडिंग न होने की जानकारी नहीं दी जाती। स्थानीय प्रशासन का योगदान: गूगल मैप को अपडेट रखने के लिए प्रशासन और स्थानीय एजेंसियों को सहयोग करना चाहिए। गूगल को अपने सिस्टम में रियल-टाइम ट्रैफिक और रोड कंडीशन डेटा को जोड़ना चाहिए। निर्माणाधीन क्षेत्रों के लिए नेविगेशन में स्पष्ट अलर्ट होने चाहिए। मृतकों का विवरण फर्रुखाबाद निवासी अजीत गुड़गांव में सिक्योरिटी एजेंसी में फील्ड ऑफिसर थे। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं। नितिन ओला कैब कंपनी में टैक्सी चलाते थे। एक महीने पहले ही नितिन पिता बने थे। मैनपुरी निवासी अमित गुड़गांव में एक सिक्योरिटी एजेंसी चलाते थे। प्रशासन की लापरवाही इस हादसे ने प्रशासन की बड़ी चूक को उजागर किया है। एक निर्माणाधीन पुल पर बैरिकेडिंग न होना और चेतावनी बोर्ड का अभाव सीधे-सीधे लापरवाही को दर्शाता है। परिजन अब सरकार से दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। क्या हमारी तकनीक और सरकारी व्यवस्थाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं? यह हादसा एक चेतावनी है कि गूगल मैप और अन्य नेविगेशन टूल्स पर पूरी तरह निर्भर रहना खतरनाक हो सकता है। इसके साथ ही, प्रशासन को सड़क और पुल निर्माण के दौरान सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू करना चाहिए। इस घटना ने न केवल तीन परिवारों को उजाड़ दिया, बल्कि यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या हमारी तकनीक और सरकारी व्यवस्थाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं? समय रहते प्रशासन और तकनीकी कंपनियों ने कदम उठाए, तो ऐसे हादसों को भविष्य में टाला जा सकता है।

Nov 24, 2024 - 20:25
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भ्रष्टाचार की भेट चढ़ा पुल, चंद महीनों में वहा:टूटे पुल पर नहीं लगाया बैरीकेट, गूगल मैप ने टूटे पुल को बताया सही, 3 की मौत
बरेली के फरीदपुर और बदायूं के दातागंज तहसील को जोड़ने के लिए ग्राम खल्लपुर पर पुल बनाया गया था। 2022 में पुल बनकर तैयार हुआ था और 2023 में बरेली की तरफ का हिस्सा बाढ़ मै वह गया था। जिसके बाद लोक निर्माण विभाग, सेतु निगम और सिंचाई विभाग द्वारा गठित कमेटी ने मामले की जांच की। शासन द्वारा यह तय हुआ किसकी जांच आईआईटी रुड़की द्वारा करवाई जाए। अखिलेश सरकार में हुआ था स्वीक्रत फरीदपुर और दातागंज को जोड़ने के लिए ग्राम खल्लपुर पर कैप्टन अर्जुन यादव द्वारा अखिलेश यादव से पुल के लिए मांग की गई थी। जिसकी स्वीकृति 2016 में मिल गई उसके बाद सपा सरकार चली गई। भाजपा सरकार आ गई। पुल का निर्माण धीरे-धीरे चलता रहा और 2022 में पुल पर वाहन दौड़ने लगे। कुछ महीने में है 2023 जुलाई में पुल बाढ़ मै वह गया। चंद महीनों में पुल बाढ़ में वहा महज चंद महीनों में पुल बाढ़ में वह जाने का मतलब है कि पुल बनाने में जमकर भ्रष्टाचार हुआ अफसर और नेताओं ने मिलकर पॉल को भ्रष्टाचार की भेट चढ दिया यही वजह है कि पुलचंद महीना में बाढ़ में बह गया जिस वजह से आज तीन लोगों की जान चली गई। नेविगेशन के चलते तीन लोगों की जान चली गई रविवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें गूगल मैप नेविगेशन के चलते तीन लोगों की जान चली गई। गुड़गांव से बरेली आ रही कार रामगंगा नदी में गिर गई। हादसे में दो सगे भाई और उनका एक दोस्त जान गंवा बैठे। इस त्रासदी का कारण अधूरे पुल पर कोई चेतावनी या बैरिकेडिंग न होना और गूगल मैप की त्रुटिपूर्ण जानकारी था। गूगल मैप ने दिखाया साफ रास्ता, हादसे का कारण बना गूगल मैप नेविगेशन की भूमिका इस हादसे में महत्वपूर्ण रही। गूगल मैप में पुल को "नीट एंड क्लीन" और चालू बताया गया। नेविगेशन ने कार चालकों को यह जानकारी नहीं दी कि पुल निर्माणाधीन है और अधूरा है। रास्ते में कोई बैरिकेडिंग या चेतावनी बोर्ड न होने की वजह से कार सवार पुल पर चढ़ गए। उन्हें यह पता नहीं था कि पुल का आगे का हिस्सा गायब है। परिणामस्वरूप, कार गहरी नदी में जा गिरी। पुल पर बैरिकेडिंग का न होना प्रशासन की लापरवाही घटना स्थल पर जांच के दौरान पाया गया कि अधूरे पुल पर न तो किसी प्रकार की बैरिकेडिंग थी और न ही कोई चेतावनी बोर्ड। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पुल निर्माणाधीन है, लेकिन सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। यह प्रशासन और सेतु निगम की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। यदि समय पर बैरिकेडिंग की जाती या चेतावनी बोर्ड लगाए जाते, तो इस दुर्घटना को रोका जा सकता था। शादी में शामिल होने जा रहे थे तीनों हादसे मै जान गवाने वाले अजीत, नितिन और अमित शादी में शामिल होने के लिए गुड़गांव से बरेली के फरीदपुर आ रहे थे। अजीत और नितिन दोनों सगे चचेरे भाई थे। उनकी बहन की शादी उसी दिन थी। उनके साथ उनका दोस्त अमित भी यात्रा कर रहा था। परिवार को जब हादसे की खबर मिली, तो खुशी का माहौल मातम में बदल गया। ग्रामीणों ने दी घटना की सूचना हादसे के बाद सुबह जब ग्रामीणों ने कार को रामगंगा नदी में डूबा देखा, तो उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस और जेसीबी की मदद से कार को नदी से बाहर निकाला गया। कार में फंसे तीनों लोगों को बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। फोन कॉल ने दी परिजनों को हादसे की जानकारी परिवार वालों ने बताया कि जब सुबह तक अजीत और नितिन से संपर्क नहीं हो पाया, तो उन्होंने फोन करना शुरू किया। नितिन का फोन स्विच ऑफ मिला, लेकिन अजीत का फोन एक ग्रामीण ने उठाया। ग्रामीण ने बताया कि उनकी कार पुल से गिरकर नदी में डूब गई है। इस खबर ने परिजनों को सदमे में डाल दिया। दो भाइयों की मौत से शादी वाले घर में मचा कोहराम अजीत और नितिन की मौत की खबर ने पूरे परिवार को गहरे शोक में डाल दिया। जिस घर में शादी की तैयारियां हो रही थीं, वहां मातम छा गया। बहन की शादी में भाइयों की मौत की खबर से हर कोई गमगीन हो गया। लोग बहन और परिवार को सांत्वना देते हुए भावुक हो गए। गूगल मैप की भूमिका और संभावित समाधान गूगल मैप जैसी तकनीकों ने यात्रा को सुविधाजनक बनाया है, लेकिन इस हादसे ने दिखा दिया कि इनका अंधाधुंध उपयोग कभी-कभी खतरनाक हो सकता है। डाटा अपडेट में देरी: कई बार गूगल मैप निर्माणाधीन या बंद रास्तों की जानकारी अपडेट नहीं कर पाता। गूगल मैप में स्थानीय खतरों जैसे अधूरे पुल या बैरिकेडिंग न होने की जानकारी नहीं दी जाती। स्थानीय प्रशासन का योगदान: गूगल मैप को अपडेट रखने के लिए प्रशासन और स्थानीय एजेंसियों को सहयोग करना चाहिए। गूगल को अपने सिस्टम में रियल-टाइम ट्रैफिक और रोड कंडीशन डेटा को जोड़ना चाहिए। निर्माणाधीन क्षेत्रों के लिए नेविगेशन में स्पष्ट अलर्ट होने चाहिए। मृतकों का विवरण फर्रुखाबाद निवासी अजीत गुड़गांव में सिक्योरिटी एजेंसी में फील्ड ऑफिसर थे। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं। नितिन ओला कैब कंपनी में टैक्सी चलाते थे। एक महीने पहले ही नितिन पिता बने थे। मैनपुरी निवासी अमित गुड़गांव में एक सिक्योरिटी एजेंसी चलाते थे। प्रशासन की लापरवाही इस हादसे ने प्रशासन की बड़ी चूक को उजागर किया है। एक निर्माणाधीन पुल पर बैरिकेडिंग न होना और चेतावनी बोर्ड का अभाव सीधे-सीधे लापरवाही को दर्शाता है। परिजन अब सरकार से दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। क्या हमारी तकनीक और सरकारी व्यवस्थाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं? यह हादसा एक चेतावनी है कि गूगल मैप और अन्य नेविगेशन टूल्स पर पूरी तरह निर्भर रहना खतरनाक हो सकता है। इसके साथ ही, प्रशासन को सड़क और पुल निर्माण के दौरान सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू करना चाहिए। इस घटना ने न केवल तीन परिवारों को उजाड़ दिया, बल्कि यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या हमारी तकनीक और सरकारी व्यवस्थाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं? समय रहते प्रशासन और तकनीकी कंपनियों ने कदम उठाए, तो ऐसे हादसों को भविष्य में टाला जा सकता है।

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