मंदिरों के खिलाफ टिप्पणी के आरोपी शिक्षक की गिरफ्तारी पर:कोर्ट ने मंदिरों को जूते-चप्पल से अपवित्र करने के लिए उकसाने के आरोपी स्कूल ​शिक्षक काे राहत दी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ​हिंदू मंदिरों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोपी शिक्षक को राहत दी है। कोर्ट ने मन्दिरों को जूते-चप्पल से अपवित्र करने के लिए उकसाने के आरोपी स्कूल ​शिक्षक की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने भीष्म पाल सिंह की याचिका पर दिया है। गोरखपुर के कैंट थाने में ​​वायरल वीडियो के आधार पर याची पर धार्मिक भावना को आहत करने के मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया है। मामले के तथ्यों के अनुसार याची एक बैठक में शामिल हुआ, जिसमें आगरा के एक कंपोजिट विद्यालय में कार्यरत ​शि​क्षिका ने हिंदू देवी देवताओं के ​खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की। बैठक में उपस्थित लोगों को हिंदू प्रतीकों सिंदूर, बिछिया का अपमान करने के लिए उकसाया गया। साथ ही लोगों को मंदिरों में जूते मारकर उन्हें अपवित्र करने के लिए प्रोत्साहित किया। कहा गया है कि ऐसी टिप्पणियों से हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। इससे सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा हो सकता है। याचिका में एफआईआर को चुनौती देते हुए कहा गया कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार और राजनीति से प्रेरित हैं क्योंकि आरोपों के अनुसार वह अपमानजनक टिप्पणी करने या सांप्रदायिक वैमनस्य भड़काने में शामिल नहीं था। याची के ​अधिवक्ता ने कहा कि याची केवल बैठक में उपस्थित था और उसने किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में भाग नहीं लिया। यह भी कहा गया कि ​शिकायतकर्ता के खिलाफ सार्वजनिक शांति भंग के आरोप में पहले भी कई मुकदमे दर्ज हैं। छोटी बातों पर मुकदमे दर्ज कराना उसकी आदत है। याचिका में एफआईआर रद्द करने और पुलिस की किसी भी तरह की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई से सुरक्षा की मांग की गई। कोर्ट ने याची की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। साथ ही मामले को विचारणीय मानते हुए ​शिकायतकर्ता, राज्य सरकार सहित सभी पक्षकारों से छह सप्ताह में जवाब मांगा है।

Feb 10, 2025 - 00:59
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मंदिरों के खिलाफ टिप्पणी के आरोपी शिक्षक की गिरफ्तारी पर:कोर्ट ने मंदिरों को जूते-चप्पल से अपवित्र करने के लिए उकसाने के आरोपी स्कूल ​शिक्षक काे राहत दी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ​हिंदू मंदिरों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोपी शिक्षक को राहत द

मंदिरों के खिलाफ टिप्पणी के आरोपी शिक्षक की गिरफ्तारी पर:कोर्ट ने मंदिरों को जूते-चप्पल से अपवित्र करने के लिए उकसाने के आरोपी स्कूल ​शिक्षक को राहत दी

हाल ही में एक विशेष अदालत ने उस स्कूल शिक्षक को राहत प्रदान की है, जो मंदिरों की पवित्रता को जूते-चप्पल से अपवित्र करने के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यह मामला न केवल स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बना है, बल्कि समाज में धार्मिक भावनाओं को भी गहरा आघात पहुँचाया है। स्कूल शिक्षक के कथित बयान ने मंदिरों के प्रति अपमानजनक गतिविधियों के लिए लोगों को उकसाने की कोशिश की, जिसके चलते उनकी गिरफ्तारी की गई।

कोर्ट द्वारा दी गई राहत

कोर्ट ने आरोपी शिक्षक की गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई की और उन्हें राहत प्रदान की। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि मामला गंभीर अवश्य है, लेकिन आरोपी को ना तो भौतिक साक्ष्य से जोड़ा जा सकता है और ना ही उनकी गिरफ्तारी को आवश्यक ठहराया जा सकता है। इस फैसले ने न केवल शिक्षक बल्कि उनके समर्थकों को भी संतोष प्रदान किया है।

समाज पर प्रभाव

इस प्रकार के मामलों का प्रभाव समाज पर पड़ता है क्योंकि यह भारतीय संस्कृति और धार्मिक मूल्यों पर प्रश्न चिह्न उठाता है। धार्मिक स्थलों का अपमान कई लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काने में सक्षम है। शिक्षक जैसे व्यक्तियों द्वारा इस प्रकार के बयान देना, विशेष रूप से जब वे शिक्षा के क्षेत्र में काम करते हैं, यह दर्शाता है कि समाज में अभी भी धर्म और शिक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है।

भविष्य के लिए सन्देश

इस घटनाक्रम ने न केवल न्याय प्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी दर्शाया है कि समाज में सभी को एक दूसरे के विश्वासों का सम्मान करना चाहिए। अदालत के निर्णय ने यह एक संभावित सन्देश दिया है कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग करने के लिए दूसरों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया जाए।

अंत में, यह घटना हमें यह सिखाती है कि सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के लिए हमें संवेदनशीलता से पेश आना चाहिए। धार्मिक स्थलों का अपमान नहीं किया जाना चाहिए, और हमें हमेशा मिलजुल कर रहना चाहिए।

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