मातृत्व सम्मेलन में छात्रों को दिया गया संदेश:प्रधानाचार्य बोले- मां होती है पहली गुरु, जीजाबाई के जीवन से सीखें बच्चे

सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज में शिवाजी इंटर कॉलेज बरगदवा में रविवार को मातृत्व सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत छात्र-छात्राओं द्वारा राष्ट्रगान और वंदे मातरम से हुई। मुख्य अतिथि रघुवर प्रसाद बालिका विद्यालय की प्रधानाचार्य प्रतिमा सिंह ने कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया। उन्होंने कहा कि मातृत्व सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य छात्रों को मातृ शक्ति का महत्व समझाना है। जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया प्रधानाचार्य ने छात्रों को शिवाजी की माता जीजाबाई के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक बच्चे की पहली गुरु उसकी मां होती है। विद्यालय छात्रों को अनुशासित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के साथ-साथ उनके सर्वांगीण विकास पर भी ध्यान दे रहा है। कार्यक्रम में मां सरस्वती वंदना के साथ छात्रों द्वारा तैयार किए गए विभिन्न मॉडल स्टॉल का निरीक्षण किया गया। इस अवसर पर दादा-दादी पूजन एवं सम्मान कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम को विद्यालय के प्रधानाचार्य कृष्ण प्रताप सिंह, प्रबंधक सूर्य प्रकाश सिंह उर्फ शब्बू सिंह और रामकेवल यादव ने भी संबोधित किया।

Apr 13, 2025 - 17:59
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मातृत्व सम्मेलन में छात्रों को दिया गया संदेश:प्रधानाचार्य बोले- मां होती है पहली गुरु, जीजाबाई के जीवन से सीखें बच्चे
सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज में शिवाजी इंटर कॉलेज बरगदवा में रविवार को मातृत्व सम्मेलन का आयोजन

मातृत्व सम्मेलन में छात्रों को दिया गया संदेश

प्रधानाचार्य ने मातृत्व सम्मेलन के दौरान छात्रों को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया कि 'मां होती है पहली गुरु'। यह आयोजन शिक्षा और मातृत्व के गहरे संबंध को प्रदर्शित करता है, जहाँ जीजाबाई के जीवन से सीखने के महत्व पर जोर दिया गया।

जीजाबाई का योगदान

जीजाबाई, एक आदर्श मातृशक्ति, जिन्होंने अपने बेटे शिवाजी महाराज को उत्कृष्टता की ओर प्रेरित किया। उनके जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि शिक्षा सिर्फ कक्षाओं में नहीं होती, बल्कि घर पर भी मां के माध्यम से प्रारंभ होती है। उनका स्नेह और मार्गदर्शन बच्चों के जीवन में एक स्थायी छाप छोड़ता है।

सम्मेलन का उद्देश्य

इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य बच्चों को मातृत्व के महत्व को समझाना था। प्रधानाचार्य ने कहा कि मां का आशीर्वाद और पारिवारिक शिक्षा बच्चे के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती है। इस लिए माताओं को भी अपने बच्चों की शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।

छात्रों की भागीदारी

छात्रों ने इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया, जिसमें उन्होंने अपनी माताओं के योगदान को साझा किया। इस प्रकार के आयोजनों से बच्चों में आत्म-विश्वास बढ़ता है और वे अपने माता-पिता के प्रति सम्मान और कृतज्ञता का अनुभव करते हैं।

आगे का रास्ता

इस प्रेरणादायक सम्मेलन का लक्ष्य न केवल आज के छात्रों को जागरूक करना है, बल्कि भविष्य की पीढ़ी में भी मातृत्व का महत्व स्थापित करना है। माताओं को शिक्षकों की तरह समझने और उनके योगदान को मान्यता देने की आवश्यकता है।

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