ट्रम्प ने चीन पर 100% टैरिफ और बढ़ाया, 245% किया:चीन बोला-ट्रेड वॉर से नहीं डरते; 5 दिन पहले अमेरिकी सामान पर 125% टैरिफ लगाया था

अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर और आगे बढ़ गई है। अमेरिका ने अब चीन पर 100% और टैरिफ लगा दिया है। इसके साथ अमेरिका इम्पोर्ट होने वाले चीनी सामान पर कुल टैरिफ 245% हो गया है। चीन ने 11 अप्रैल को अमेरिकी सामान पर 125% टैरिफ लगाया था, जिसके जवाब में ट्रम्प ने नया टैरिफ लगाया है। इससे पहले चीन ने कहा था कि अब वह अमेरिका की तरफ से लगाए जाने वाले किसी भी अतिरिक्त टैरिफ का जवाब नहीं देगा। चीन बोला- अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर से नहीं डरते अमेरिका की तरफ से नए टैरिफ के ऐलान के बाद चीन ने कहा कि हम अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर करने से नहीं डरते। चीन ने दोबारा कहा कि अमेरिका को बातचीत करनी चाहिए। इससे पहले डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि चीन को बातचीत की शुरुआत करनी होगी। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि अगर अमेरिका सच में डायलॉग और समझौते के जरिए मुद्दे को सुलझाना चाहता है, तो उसे बेमतलब का दबाव बनाना, डराना और ब्लैकमेल करना बंद करना चाहिए और चीन के साथ बराबरी, सम्मान और आपसी हित के आधार पर बात करनी चाहिए। लिन जियान ने पत्रकारों से कहा कि 245% अमेरिकी टैरिफ के तहत अलग-अलग टैक्स रेट क्या होगा, ये आप अमेरिका से ही पूछिए। ये टैरिफ वॉर अमेरिका ने शुरू की है, हमने नहीं। हम सिर्फ अमेरिका के एक्शन का जवाब दे रहे हैं। हमारे कदम पूरी तरह तार्किक और कानूनी हैं। हम अपने देश के अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में ईमानदारी बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। चीन ने बोइंग से नए विमानों की डिलीवरी लेने से मना किया एक दिन पहले जानकारी सामने आई थी कि चीन ने अपनी एयरलाइन कंपनियों को अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग से नए विमानों की डिलीवरी नहीं लेने के आदेश दिए हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक बीजिंग ने अमेरिका में बनने वाले विमान के पार्ट्स और डिवाइसेस की खरीद रोकने का आदेश भी दिया है। चीन ने यह आदेश अमेरिका के 145% टैरिफ के जवाब में जारी किया है। बोइंग एयरप्लेन एक अमेरिकी कंपनी है, जो एयरप्लेन, रॉकेट, सैटेलाइट, टेलीकम्युनिकेशन इक्विपमेंट और मिसाइल बनाती है। कंपनी की स्थापना 15 जुलाई 1916 को विलियम बोइंग ने की थी। कई देशों की एयरलाइंस कंपनियां बोइंग के बनाए गए प्लेन का इस्तेमाल करती हैं। बोइंग अमेरिका की सबसे बड़ी एक्सपोर्टर कंपनी है और यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी डिफेंस डील करने वाली कंपनी भी है। चीन ने कीमती मेटल्स की सप्लाई भी रोकी चीन ने इस ट्रेड वॉर के बीच 7 कीमती धातुओं (रेयर अर्थ मटेरियल) के निर्यात पर भी रोक लगा दी है। चीन ने कार, ड्रोन से लेकर रोबोट और मिसाइलों तक असेंबल करने के लिए जरूरी मैग्नेट यानी चुंबकों के शिपमेंट भी चीनी बंदरगाहों पर रोक दिए हैं। ये मटेरियल ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और एयरोस्पेस बिजनेस के लिए बेहद अहम हैं। इस फैसले से दुनियाभर में मोटरव्हीकल, एयरक्राफ्ट, सेमीकंडक्टर और हथियार बनाने वाली कंपनियों पर असर पड़ेगा। ये महंगे हो जाएंगे। चीन ने 4 अप्रैल को इन 7 कीमती धातुओं के निर्यात पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। आदेश के मुताबिक ये कीमती धातुएं और उनसे बने खास चुंबक सिर्फ स्पेशल परमिट के साथ ही चीन से बाहर भेजे जा सकते हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें... चीन ने कहा था- अमेरिकी टैरिफ अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करते हैं 11 अप्रैल को चीन ने कहा कि अमेरिका की तरफ से लगाए गए असामान्य टैरिफ अंतरराष्ट्रीय और आर्थिक व्यापार नियमों का गंभीर रूप से उल्लंघन करते हैं। यह पूरी तरह से एकतरफा दबाव और धमकाने की नीति है। चीन ने ये भी कहा कि अमेरिका भले ही टैरिफ को और ज्यादा बढ़ा दे लेकिन अब इसका कोई मतलब नहीं होगा। आखिर में वह ग्लोबल इकोनॉमी के इतिहास में हंसी का पात्र बन जाएगा। चीन नई इंडस्ट्री व इनोवेशन बढ़ाने पर जोर दे रहा चीन के पास अमेरिका के करीब 600 अरब पाउंड (करीब 760 अरब डॉलर) के सरकारी बॉन्ड हैं। मतलब ये कि चीन के पास अमेरिकी इकोनॉमी को प्रभावित करने की बड़ी ताकत है। वहीं, चीन ने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है। चीन ने 1.9 लाख करोड़ डॉलर का अतिरिक्त लोन इंडस्ट्रियल सेक्टर को दिया है। इससे यहां फैक्ट्रियों का निर्माण और अपग्रेडेशन तेज हुआ। हुआवेई ने शंघाई में 35,000 इंजीनियरों के लिए एक रिसर्च सेंटर खोला है, जो गूगल के कैलिफोर्निया हेडक्वार्टर से 10 गुना बड़ा है। इससे टेक्नोलॉजी और इनोवेशन कैपेसिटी तेज होगी। ------------------------------------ ट्रम्प-अमेरिका के टैरिफ वॉर से जुड़ीं ये खबरें भी पढ़ें... ट्रम्प के टैरिफ से चीन की GDP 1.5% गिरी थी:बीजिंग से पहली बार नहीं भिड़ रहे ट्रम्प; पिछले कार्यकाल में ट्रेड वॉर शुरू किया डोनाल्ड ट्रम्प 2017 में पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने। ट्रम्प ने चुनाव में वादा किया था कि वो चीन के साथ व्यापार घाटा कम करेंगे। ट्रम्प ने ट्रेड वॉर की शुरुआत जनवरी 2018 में सौलर पैनल पर 30% और वॉशिंग मशीन पर 20 से 50% टैरिफ लगाकर की। इसके बाद ट्रम्प ने स्टील पर 25% और एल्यूमीनियम पर 10% टैरिफ लगाया। ये सभी देशों पर लागू किए गए, लेकिन इनका सबसे ज्यादा असर चीन पर पड़ा। चीन इनका बड़ा आपूर्तिकर्ता था। 2018 में अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़कर 419 अरब डॉलर हो गया। पूरी खबर यहां पढ़ें... आज का एक्सप्लेनर:किस बात से डरे ट्रम्प, 7 दिन में यू-टर्न; 75 देशों पर रोक लेकिन चीन पर बढ़ाया टैरिफ, भारत पर क्या असर जैसे को तैसा… ये फॉर्मूला अपनाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अब बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। 2 अप्रैल को करीब 100 देशों पर टैरिफ लगाने के 7 दिन बाद ही उन्होंने इस फैसले पर 90 दिनों की रोक लगा दी है, लेकिन चीन पर 125% टैरिफ लगाकर तगड़ा झटका दिया है। आखिर ट्रम्प ने 7 दिनों के अंदर ही टैरिफ वापस क्यों लिया, अमेरिका के फैसले से भारत पर क्या असर पड़ेगा और 90 दिन बाद कैसे टैरिफ को दोबारा शुरू किया जाएगा। पूरी खबर यहां पढ़ें...

Apr 16, 2025 - 15:59
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ट्रम्प ने चीन पर 100% टैरिफ और बढ़ाया, 245% किया:चीन बोला-ट्रेड वॉर से नहीं डरते; 5 दिन पहले अमेरिकी सामान पर 125% टैरिफ लगाया था
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर और आगे बढ़ गई है। अमेरिका ने अब चीन पर 100% और टैरिफ लगा दिया है। इसके स

ट्रम्प ने चीन पर 100% टैरिफ और बढ़ाया, 245% किया

हाल ही में, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के खिलाफ व्यापारिक कदम उठाते हुए टैरिफ में भारी कमी की है। चीन पर 100% टैरिफ लगाने के फैसले के बाद, अब यह दर 245% पहुंच गई है। यह कदम अमेरिका की व्यापार नीति में महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है।

चीन की प्रतिक्रिया

चीन ने इस टैरिफ वृद्धि पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीनी अधिकारियों का कहना है कि वे इस ट्रेड वॉर से बिल्कुल भी नहीं डरते और इसका मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। अमेरिका के लिए चीन न केवल एक बड़ा बाजार है, बल्कि यह एक मजबूत प्रतिकूलता के रूप में भी उभरा है।

अमेरिकी सामान पर टैरिफ लगाया गया

पिछले 5 दिनों में, अमेरिका ने चीन से आयातित सामान पर 125% का टैरिफ लगाया था, जो कि ट्रेड वॉर में नए चरण का संकेत है। इस तरह के कदम से अमेरिका के उपभोक्ताओं पर भी असर पड़ सकता है। वहीं, चीनी उत्पादों की कीमतों में भी बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे अर्थविवस्था में स्थिरता की चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

भविष्य की संभावनाएँ

ट्रेड वॉर के इस बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह टैरिफ भविष्य में और बढ़ सकते हैं, जो वैश्विक आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

इस बीच, व्यवसायी और उद्योग के नेता चिंतित हैं कि यह टैरिफ उनके विकास और प्रतिस्पर्धा पर दुष्प्रभाव डाल सकते हैं। ऐसे में, भारत जैसे देशों के लिए यह एक अवसर हो सकता है कि वे अमेरिका के बाजार में अधिक सकारात्मक व्यापारी संबंध स्थापित कर सकें।

समग्रता में, यह ट्रेड वॉर वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। नीति निर्माताओं और व्यवसायों को चाहिए कि वे बदलते तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीतियों को समायोजित करें।

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