लखनऊ में दैनिक भास्कर दफ्तर पहुंचे रेलवे और परिवहन कर्मचारी:बोले-रोडवेज बिकने के कगार पर, कर्मचारियों की आह से बर्बाद हो जाता है नेता का करियर

लखनऊ के दैनिक भास्कर ऑफिस में शुक्रवार को रेलवे और परिवहन विभाग से जुड़े लोग पहुंचे। परिवहन सेक्टर से जुड़े मुद्दों को उठाया। परिवहन निगम के निजीकरण, मृतक आश्रितों को नौकरी, रेलवे में गारंटेड पेंशन, ई रिक्शा की बढ़ती समस्या, अतिक्रमण और कैब चालकों के शोषण का मुद्दा उठाया गया। दैनिक भास्कर द्वारा डिजिटल मीडिया पर किए जा रहे काम, खबरों की प्रस्तुति और रियल टाइम न्यूज कवरेज की भी सराहना की। साथ ही जरूरी सुझाव भी दिए। रोडवेज बिकने के कगार पर उत्तर प्रदेश रोडवेज संविदा कर्मचारी संघ के होमेंद्र मिश्रा ने कहा- अधिकारी वर्ग ही नियमित हैं। 90 फीसदी कर्मचारी संविदा पर हैं। लाखों लोगों को निकाल दिया गया है। तीन चार साल धरना प्रदर्शन किया गया। कोई कुछ कह नहीं रहा है। लीज पर डिपो है। रोडवेज बिकने के कगार पर है। कर्मचारियों का हित हमारे लिए प्राथमिकता राष्ट्रीय और मजदूर संघ मध्य रेलवे रेलवे (NERMU) के मोहम्मद मुसीब ने कहा- हमको गारंटेड पेंशन चाहिए। एक भारतीय होकर हम शिव गोपाल मिश्रा पर गर्व करते हैं। उनको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुलाया। इसके बाद कर्मचारियों के हित में UPS लागू किया है। कर्मचारियों का हित हमारे लिए प्राथमिकता है। सभी कर्मचारी को बेहतर सुविधाएं दिलाने के लिए संगठित रूप से काम हो रहा है। बस अड्डे लीज पर दिए जा रहे रोडवेज संयुक्त कर्मचारी परिषद के उपमंत्री सतीश कुमार ने कहा- परिवहन निगम के हालत ठीक नहीं है। 90 साल तक बस अड्डे लीज पर दिए जा रहे हैं। PPP मॉडल पर बस अड्डे बनाने के लिए शहर से 15 किलोमीटर बाहर बस अड्डे शिफ्ट हो रहे हैं। इससे लोगों को परेशानी होगी। मृतक आश्रितों पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है। प्रदेश में डग्गामारी हो रही है। जबकि मंत्री कह रहे हैं, ऐसा नहीं हो रहा है। परिवहन निगम को बचाने के लिए काम करना होगा। संविदा का नियमितीकरण होना चाहिए। मृतक आश्रितों का मुद्दा कैबिनेट में ले जाया जाए। परिवहन निगम खरीदने पर जिसने निगाह डाली वह नहीं रहे। कर्मचारियों की आह नेता और सरकार का करियर बर्बाद कर देती है। वामपंथी संगठनों ने कर्मचारियों को ठगा उत्तर रेलवे कर्मचारी यूनियन के सहायक महामंत्री हरेंद्र भदौरिया ने कहा- चुनाव अभी चल रहा है। देश हित में काम करेंगे। UPS को हम स्वीकार नहीं करते हम इसके लिए संघर्ष करेंगे। इसकी खामियों को लेकर हम कर्मचारियों के बीच में जा रहे हैं। वामपंथी संगठनों ने कर्मचारियों को ठगा है। UPS का कर्मचारी करें विरोध UBKU के शाखा अध्यक्ष अजय कुमार रावत ने कहा- वर्तमान मे रेलवे में जो लोग ताकत में हैं, वह चुप रहे। अब UPS आई है। मान्यता प्राप्त समितियां अब UPS को अच्छा मान रही हैं। सभी रेल कर्मचारियों से कहना चाहता हूं, इसका विरोध करें, जिससे अब OPS की मांग ये नेता करें। कर्मचारी 98 फीसदी उसके लिए तैयार हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे टैंपो-टैक्सी एवं ऑटो रिक्शा संयुक्त मोर्चा के पंकज दीक्षित ने कहा- सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की पॉलिसी लेकर आई है। लेकिन परमिट नहीं है। अधिकारी इसपर मौन हैं। शासन से इसकी मंजूरी कोई नहीं ले रहा है। अब ई-रिक्शा की जगह ई-ऑटो आ गया है। सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी भी दे रही है। हम इसको लेकर हाईकोर्ट में जाएंगे। एक शहर में निर्धारित संख्या में गाड़ी चले। ऑटो और टैंपो के लिए कोई स्टैंड नहीं है। इसका सर्वे किया गया। 52 स्टैंड बनाए गए, लेकिन जगह नहीं दी गई। 6 महीने का संचालन दिया गया। लेकिन अब टेंडर प्रक्रिया कर दिया गया है। हम माफियागिरी नहीं होने देंगे। ई-रिक्शा के लिए कोई मानक नहीं टैंपो-टैक्सी एवं ऑटो रिक्शा संयुक्त मोर्चा के महामंत्री राजेश ने कहा- लखनऊ में बस स्टैंड से लेकर ऑटो स्टैंड तक अतिक्रमण है। ई-रिक्शा के लिए कोई मानक नहीं है। 60 हजार ई-रिक्शा का संचालन लखनऊ में हो रहा है। इनका ना तो फिटनेस है न ही कुछ और। ऐसे में अगर दुर्घटना होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। ई-रिक्शा फीडर मार्ग पर संचालन किया जाए। ई-ऑटो का फिक्स संचालन किया जाए। इनकी भी परमिट दी जाए। ऑटो चालकों की स्थिति अब खराब हो रही है। एक प्रस्ताव दिया है मंडलायुक्त को कि हमें निर्धारित दूरी तक रोक दिया गया है। अगर हम बुकिंग पर दूसरे रूट पर गए तो 14 हजार तक चालान कर दिया जा रहा है। हमें भी फ्री कर दिया जाए। नौकरी के लिए मृतक आश्रित 6 साल से भटक रहे मृतक आश्रित शीला गौतम ने कहा- मृतक आश्रित 6 साल से भटक रहे हैं। हम जल्द ही इसका प्रस्ताव देने की मांग कर रहे हैं। हम मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि इसे पूरा किया जाए। सरकार ने हमें आश्वासन दिया है। हमारी मांग पूरी की जानी चाहिए। सरकार और परिवहन विभाग पर दबाव कैब ऑनर्स चालक वेलफेयर समिति उत्तर प्रदेश के आरके पांडेय ने कहा- ओला उबर के चालक परेशान हैं। 2013 में यह लखनऊ में आई थी। कंपनी शोषण कर रही है। एग्रीगेटर पालिसी लागू नहीं हो रही है। कंपनियां इसे लागू नहीं करने दे रही हैं। सरकार से मांग है कैब ड्राइवर को राहत दी जाए। कंपनियों का सरकार और परिवहन विभाग के ऊपर दबाव है। प्राइवेट वाहनों को कॉमर्शियल में उपयोग नहीं होना चाहिए। ऐसे में दुर्घटना होने पर लोगों को बीमा का पैसा नहीं मिलेगा। इसपर कार्यवाही होनी चाहिए। ,

Nov 15, 2024 - 21:45
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लखनऊ में दैनिक भास्कर दफ्तर पहुंचे रेलवे और परिवहन कर्मचारी:बोले-रोडवेज बिकने के कगार पर, कर्मचारियों की आह से बर्बाद हो जाता है नेता का करियर
लखनऊ के दैनिक भास्कर ऑफिस में शुक्रवार को रेलवे और परिवहन विभाग से जुड़े लोग पहुंचे। परिवहन सेक्टर से जुड़े मुद्दों को उठाया। परिवहन निगम के निजीकरण, मृतक आश्रितों को नौकरी, रेलवे में गारंटेड पेंशन, ई रिक्शा की बढ़ती समस्या, अतिक्रमण और कैब चालकों के शोषण का मुद्दा उठाया गया। दैनिक भास्कर द्वारा डिजिटल मीडिया पर किए जा रहे काम, खबरों की प्रस्तुति और रियल टाइम न्यूज कवरेज की भी सराहना की। साथ ही जरूरी सुझाव भी दिए। रोडवेज बिकने के कगार पर उत्तर प्रदेश रोडवेज संविदा कर्मचारी संघ के होमेंद्र मिश्रा ने कहा- अधिकारी वर्ग ही नियमित हैं। 90 फीसदी कर्मचारी संविदा पर हैं। लाखों लोगों को निकाल दिया गया है। तीन चार साल धरना प्रदर्शन किया गया। कोई कुछ कह नहीं रहा है। लीज पर डिपो है। रोडवेज बिकने के कगार पर है। कर्मचारियों का हित हमारे लिए प्राथमिकता राष्ट्रीय और मजदूर संघ मध्य रेलवे रेलवे (NERMU) के मोहम्मद मुसीब ने कहा- हमको गारंटेड पेंशन चाहिए। एक भारतीय होकर हम शिव गोपाल मिश्रा पर गर्व करते हैं। उनको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुलाया। इसके बाद कर्मचारियों के हित में UPS लागू किया है। कर्मचारियों का हित हमारे लिए प्राथमिकता है। सभी कर्मचारी को बेहतर सुविधाएं दिलाने के लिए संगठित रूप से काम हो रहा है। बस अड्डे लीज पर दिए जा रहे रोडवेज संयुक्त कर्मचारी परिषद के उपमंत्री सतीश कुमार ने कहा- परिवहन निगम के हालत ठीक नहीं है। 90 साल तक बस अड्डे लीज पर दिए जा रहे हैं। PPP मॉडल पर बस अड्डे बनाने के लिए शहर से 15 किलोमीटर बाहर बस अड्डे शिफ्ट हो रहे हैं। इससे लोगों को परेशानी होगी। मृतक आश्रितों पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है। प्रदेश में डग्गामारी हो रही है। जबकि मंत्री कह रहे हैं, ऐसा नहीं हो रहा है। परिवहन निगम को बचाने के लिए काम करना होगा। संविदा का नियमितीकरण होना चाहिए। मृतक आश्रितों का मुद्दा कैबिनेट में ले जाया जाए। परिवहन निगम खरीदने पर जिसने निगाह डाली वह नहीं रहे। कर्मचारियों की आह नेता और सरकार का करियर बर्बाद कर देती है। वामपंथी संगठनों ने कर्मचारियों को ठगा उत्तर रेलवे कर्मचारी यूनियन के सहायक महामंत्री हरेंद्र भदौरिया ने कहा- चुनाव अभी चल रहा है। देश हित में काम करेंगे। UPS को हम स्वीकार नहीं करते हम इसके लिए संघर्ष करेंगे। इसकी खामियों को लेकर हम कर्मचारियों के बीच में जा रहे हैं। वामपंथी संगठनों ने कर्मचारियों को ठगा है। UPS का कर्मचारी करें विरोध UBKU के शाखा अध्यक्ष अजय कुमार रावत ने कहा- वर्तमान मे रेलवे में जो लोग ताकत में हैं, वह चुप रहे। अब UPS आई है। मान्यता प्राप्त समितियां अब UPS को अच्छा मान रही हैं। सभी रेल कर्मचारियों से कहना चाहता हूं, इसका विरोध करें, जिससे अब OPS की मांग ये नेता करें। कर्मचारी 98 फीसदी उसके लिए तैयार हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे टैंपो-टैक्सी एवं ऑटो रिक्शा संयुक्त मोर्चा के पंकज दीक्षित ने कहा- सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की पॉलिसी लेकर आई है। लेकिन परमिट नहीं है। अधिकारी इसपर मौन हैं। शासन से इसकी मंजूरी कोई नहीं ले रहा है। अब ई-रिक्शा की जगह ई-ऑटो आ गया है। सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी भी दे रही है। हम इसको लेकर हाईकोर्ट में जाएंगे। एक शहर में निर्धारित संख्या में गाड़ी चले। ऑटो और टैंपो के लिए कोई स्टैंड नहीं है। इसका सर्वे किया गया। 52 स्टैंड बनाए गए, लेकिन जगह नहीं दी गई। 6 महीने का संचालन दिया गया। लेकिन अब टेंडर प्रक्रिया कर दिया गया है। हम माफियागिरी नहीं होने देंगे। ई-रिक्शा के लिए कोई मानक नहीं टैंपो-टैक्सी एवं ऑटो रिक्शा संयुक्त मोर्चा के महामंत्री राजेश ने कहा- लखनऊ में बस स्टैंड से लेकर ऑटो स्टैंड तक अतिक्रमण है। ई-रिक्शा के लिए कोई मानक नहीं है। 60 हजार ई-रिक्शा का संचालन लखनऊ में हो रहा है। इनका ना तो फिटनेस है न ही कुछ और। ऐसे में अगर दुर्घटना होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। ई-रिक्शा फीडर मार्ग पर संचालन किया जाए। ई-ऑटो का फिक्स संचालन किया जाए। इनकी भी परमिट दी जाए। ऑटो चालकों की स्थिति अब खराब हो रही है। एक प्रस्ताव दिया है मंडलायुक्त को कि हमें निर्धारित दूरी तक रोक दिया गया है। अगर हम बुकिंग पर दूसरे रूट पर गए तो 14 हजार तक चालान कर दिया जा रहा है। हमें भी फ्री कर दिया जाए। नौकरी के लिए मृतक आश्रित 6 साल से भटक रहे मृतक आश्रित शीला गौतम ने कहा- मृतक आश्रित 6 साल से भटक रहे हैं। हम जल्द ही इसका प्रस्ताव देने की मांग कर रहे हैं। हम मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि इसे पूरा किया जाए। सरकार ने हमें आश्वासन दिया है। हमारी मांग पूरी की जानी चाहिए। सरकार और परिवहन विभाग पर दबाव कैब ऑनर्स चालक वेलफेयर समिति उत्तर प्रदेश के आरके पांडेय ने कहा- ओला उबर के चालक परेशान हैं। 2013 में यह लखनऊ में आई थी। कंपनी शोषण कर रही है। एग्रीगेटर पालिसी लागू नहीं हो रही है। कंपनियां इसे लागू नहीं करने दे रही हैं। सरकार से मांग है कैब ड्राइवर को राहत दी जाए। कंपनियों का सरकार और परिवहन विभाग के ऊपर दबाव है। प्राइवेट वाहनों को कॉमर्शियल में उपयोग नहीं होना चाहिए। ऐसे में दुर्घटना होने पर लोगों को बीमा का पैसा नहीं मिलेगा। इसपर कार्यवाही होनी चाहिए। ,

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