झांसी में जामा मस्जिद पर 3.61 लाख का गृहकर बकाया:35 दुकानों से सिर्फ 19 हजार महीने की आमदानी; उप डाकघर से नहीं मिल रहा किराया
झांसी में नगरा की जामा मस्जिद पर 3.61 लाख रुपए का गृहकर बकाया है। पिछले दिनों नगर निगम की टीम गृहकर वसूलने पहुंची तो किराएदार उलझ गए। हंगामे बाद बाद अफसर लौट आए। मस्जिद के नाम पर नगरा के मुख्य बाजार में 35 दुकानें है, मगर इनसे महज 19 हजार रुपए महीना किराया आता है। वहीं, किराएदार उप डाकघर से किराए को लेकर विवाद चल रहा है। जिसे लेकर वक्फ बोर्ड ने डाकघर को नोटिस भी दिया है, जिसके बाद लगभग डेढ़ साल से किराया मिलना बंद हो गया है। कमेटी को मिलता है किराया नगरा में स्थित जामा मस्जिद से क्षेत्र के मुस्लिम समाज की आस्था जुड़ी है। लगभग 7 दशक से भी पुरानी इस मस्जिद के नाम पर बीच बाजार में 35 दुकानें हैं, जिनका किराया मस्जिद कमेटी को मिलता है। लेकिन, अधिकांश दुकानदार पीढ़ियों से मस्जिद के किराएदार हैं और 300 से 400 रुपए महीना ही किराया देते हैं। इससे मस्जिद को हर महीने महज 19 हजार रुपए ही किराए के रूप में मिलते हैं, जिससे मस्जिद के नियमित कार्यों का भी संचालन करना कठिन हो गया है। मस्जिद की संपत्ति के बड़े हिस्से पर काबिज उप डाकघर ने तो डेढ़ साल से किराया देना ही बंद कर दिया है। उप डाकघर से विवाद चल रहा है मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष ने बताया कि उप डाकघर से प्रत्येक 5 वर्ष में नया एग्रीमेंट किया जाता था। 2008 के एग्रीमेंट में उप डाकघर से 1700 रुपए महीना किराया लिया जाता था। पिछले वर्ष तक इतना ही किराया डाकघर द्वारा दिया जाता रहा, जबकि नया एग्रीमेंट भी नहीं किया गया। मस्जिद कमेटी ने इसकी शिकायत वक्फ बोर्ड से की और उप डाकघर का किराया बढ़ाने की मांग भी की। वक्फ बोर्ड ने उप डाकघर को नोटिस दिया, जिसके बाद से ही उप डाकघर का किराया मिलना बंद हो गया है। लगभग डेढ़ साल से किराए को लेकर विवाद चल रहा है। आमदनी का 7% हिस्सा वक्फ बोर्ड को देती है मस्जिद नगरा की जामा मस्जिद को अपनी संपत्ति से इतनी भी आमदनी नहीं हो रही है, जिससे मस्जिद का संचालन व मेंटीनेंस हो सके। मस्जिद को जो भी आमदनी होती है, उसका 7 प्रतिशत हिस्सा वक्फ बोर्ड को जमा करना पड़ता है। खुद किराना लेना बंद किया प्रवर डाक अधीक्षक वरुण मिश्रा ने बताया कि “मस्जिद कमेटी ने उप डाकघर से किराया लेना खुद ही बंद किया है। किराया निर्धारण के लिए कमेटी बनी है। अगर मस्जिद कमेट रेंट कमेटी के साथ वार्ता करेगी तो इस समस्या का समाधान निकल सकेगा। प्रेमनगर क्षेत्र में अन्य सरकारी विभागों के किराए का स्टीमेट कराते हुए नए सिरे से किराया निर्धारण किया जा सकता है। पर, मस्जिद कमेटी को सुविधाएं भी प्रदान करना होंगी। जल्द मस्जिद कमेटी के साथ वार्ता करने का प्रयास किया जाएगा।" वहीं, जामा मस्जिद कमेटी के सचिव हाजी रसूल खान ने बताया कि “कमेटी को हर माह महज 19 हजार रुपए ही किराए से आमदनी हो रही है। सालों से दुकानों का किराया नहीं बढ़ाया गया है। उप डाकघर द्वारा महज 1,700 रुपए ही किराया दिया जाता था, जिससे वक्फ बोर्ड को अवगत कराया गया था। वक्फ बोर्ड ने डाकघर को नोटिस देते हुए 15 हजार रुपए महीना किराया देने को कहा था। इसके बाद से ही किराया नहीं लिया जा रहा है। दुकानों के किराए का पुन: निर्धारण होना चाहिए।"
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