संविधान दिवस पर पचनद पर मशाल से दी जाएगी सलामी:चंबल म्यूजियम में मशाल बनाने का काम जारी, क्रांतिकारियों की गाथाएं सुनाई जाएंगी

औरैया में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में पंचनद घाटी के महानायक प्रधान पुजारी कुट्टी बक्स की वीरता को याद करते हुए 26 नवंबर, संविधान दिवस पर पंचनद के तट पर उन्हें मशाल सलामी दी जाएगी। इस कार्यक्रम के तहत चंबल संग्रहालय में मशाल तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके साथ ही, नई पीढ़ी को क्रांतिकारियों की गाथाओं से जोड़ने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। क्रांति का गढ़ था गढ़िया कालेश्वर मंदिर 1857 के विद्रोह में पंचनद घाटी क्रांतिकारियों की शरणस्थली बनी थी। गढ़िया कालेश्वर मंदिर स्वतंत्रता संग्राम के सेनानायकों के लिए रणनीतिक केंद्र रहा। यहां के प्रधान पुजारी कुट्टी बक्स ने न केवल मंदिर को क्रांतिकारियों का गढ़ बनाया, बल्कि ब्रिटिश सेना के खिलाफ साहसिक लड़ाई का नेतृत्व भी किया। इतिहासकार बताते हैं कि चकरनगर रियासत के राजा कुशल सिंह चौहान और भरेह रियासत के राजा रूप सिंह सेंगर जैसे योद्धाओं ने 31 मई 1857 को स्वतंत्र राज्य की घोषणा की थी। पंचनद घाटी ब्रिटिश दासता से पूरी तरह मुक्त हो गई थी। अंग्रेजों से लोहा लेने में अग्रणी थे कुट्टी बक्स गढ़िया कालेश्वर मंदिर के प्रधान पुजारी कुट्टी बक्स के पास 150 सशस्त्र सैनिक और स्थानीय बंदूकधारी थे। उन्होंने मंदिर को क्रांति का केंद्र बना दिया था। पंचनद की पांच नदियों के संगम और घाटी की भौगोलिक स्थितियां क्रांतिकारियों के लिए अनुकूल थीं। अंग्रेजी सेना चाहे जालौन, तातारपुर या आगरा-हनुमंतपुरा से हमला करती, लेकिन हर बार उन्हें कुट्टी बक्स के सैन्यबल का कड़ा सामना करना पड़ता। अंग्रेजी सेना का हमला और भीषण युद्ध 10 अगस्त 1858 को अंग्रेजी सेना ने थल और जल मार्ग से गढ़िया कालेश्वर मंदिर पर हमला किया। प्रधान पुजारी कुट्टी बक्स के नेतृत्व में भीषण युद्ध हुआ। दोनों पक्षों के असंख्य सैनिक हताहत हुए। हालांकि, ब्रिटिश सेना ने अंततः मंदिर पर कब्जा कर लिया और कुट्टी बक्स को बंदी बना लिया। इटावा की अदालत में उन पर राजद्रोह का मुकदमा चला, लेकिन ब्रिटिश सरकार उनके खिलाफ सबूत पेश नहीं कर पाई और अदालत ने उन्हें बरी कर दिया। संविधान दिवस पर मशाल सलामी चंबल संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने कहा, "पंचनद घाटी की भूमि अनगिनत वीरगाथाओं का साक्षी है। इन क्रांतिवीरों को मशाल सलामी देकर उनकी स्मृति को अमर करना हमारा कर्तव्य है। कुट्टी बक्स जैसे योद्धा प्रेरणा के स्तंभ हैं।" इससे पहले पंचनद दीप महापर्व में क्रांतिकारी जीता चमार और सूबेदार मेजर अमानत अली को श्रद्धांजलि दी गई थी। इस बार संविधान दिवस पर कुट्टी बक्स की स्मृति में मशाल जलाकर उनकी वीरता का सम्मान किया जाएगा। मशाल तैयारियों में मनोज सोनी, राजेश सक्सेना, शिवपाल सिंह परिहार, सुनील पंडित सहित कई लोग जुटे हैं। छात्र-युवाओं को इस मुहिम से जोड़ने के लिए जनसंपर्क अभियान भी चलाया जा रहा है। डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि यह मशाल हमारी जिम्मेदारी और ऐतिहासिक जवाबदेही का प्रतीक है। इसे थामकर हम स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।

Nov 24, 2024 - 17:20
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संविधान दिवस पर पचनद पर मशाल से दी जाएगी सलामी:चंबल म्यूजियम में मशाल बनाने का काम जारी, क्रांतिकारियों की गाथाएं सुनाई जाएंगी
औरैया में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में पंचनद घाटी के महानायक प्रधान पुजारी कुट्टी बक्स की वीरता को याद करते हुए 26 नवंबर, संविधान दिवस पर पंचनद के तट पर उन्हें मशाल सलामी दी जाएगी। इस कार्यक्रम के तहत चंबल संग्रहालय में मशाल तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके साथ ही, नई पीढ़ी को क्रांतिकारियों की गाथाओं से जोड़ने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। क्रांति का गढ़ था गढ़िया कालेश्वर मंदिर 1857 के विद्रोह में पंचनद घाटी क्रांतिकारियों की शरणस्थली बनी थी। गढ़िया कालेश्वर मंदिर स्वतंत्रता संग्राम के सेनानायकों के लिए रणनीतिक केंद्र रहा। यहां के प्रधान पुजारी कुट्टी बक्स ने न केवल मंदिर को क्रांतिकारियों का गढ़ बनाया, बल्कि ब्रिटिश सेना के खिलाफ साहसिक लड़ाई का नेतृत्व भी किया। इतिहासकार बताते हैं कि चकरनगर रियासत के राजा कुशल सिंह चौहान और भरेह रियासत के राजा रूप सिंह सेंगर जैसे योद्धाओं ने 31 मई 1857 को स्वतंत्र राज्य की घोषणा की थी। पंचनद घाटी ब्रिटिश दासता से पूरी तरह मुक्त हो गई थी। अंग्रेजों से लोहा लेने में अग्रणी थे कुट्टी बक्स गढ़िया कालेश्वर मंदिर के प्रधान पुजारी कुट्टी बक्स के पास 150 सशस्त्र सैनिक और स्थानीय बंदूकधारी थे। उन्होंने मंदिर को क्रांति का केंद्र बना दिया था। पंचनद की पांच नदियों के संगम और घाटी की भौगोलिक स्थितियां क्रांतिकारियों के लिए अनुकूल थीं। अंग्रेजी सेना चाहे जालौन, तातारपुर या आगरा-हनुमंतपुरा से हमला करती, लेकिन हर बार उन्हें कुट्टी बक्स के सैन्यबल का कड़ा सामना करना पड़ता। अंग्रेजी सेना का हमला और भीषण युद्ध 10 अगस्त 1858 को अंग्रेजी सेना ने थल और जल मार्ग से गढ़िया कालेश्वर मंदिर पर हमला किया। प्रधान पुजारी कुट्टी बक्स के नेतृत्व में भीषण युद्ध हुआ। दोनों पक्षों के असंख्य सैनिक हताहत हुए। हालांकि, ब्रिटिश सेना ने अंततः मंदिर पर कब्जा कर लिया और कुट्टी बक्स को बंदी बना लिया। इटावा की अदालत में उन पर राजद्रोह का मुकदमा चला, लेकिन ब्रिटिश सरकार उनके खिलाफ सबूत पेश नहीं कर पाई और अदालत ने उन्हें बरी कर दिया। संविधान दिवस पर मशाल सलामी चंबल संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने कहा, "पंचनद घाटी की भूमि अनगिनत वीरगाथाओं का साक्षी है। इन क्रांतिवीरों को मशाल सलामी देकर उनकी स्मृति को अमर करना हमारा कर्तव्य है। कुट्टी बक्स जैसे योद्धा प्रेरणा के स्तंभ हैं।" इससे पहले पंचनद दीप महापर्व में क्रांतिकारी जीता चमार और सूबेदार मेजर अमानत अली को श्रद्धांजलि दी गई थी। इस बार संविधान दिवस पर कुट्टी बक्स की स्मृति में मशाल जलाकर उनकी वीरता का सम्मान किया जाएगा। मशाल तैयारियों में मनोज सोनी, राजेश सक्सेना, शिवपाल सिंह परिहार, सुनील पंडित सहित कई लोग जुटे हैं। छात्र-युवाओं को इस मुहिम से जोड़ने के लिए जनसंपर्क अभियान भी चलाया जा रहा है। डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि यह मशाल हमारी जिम्मेदारी और ऐतिहासिक जवाबदेही का प्रतीक है। इसे थामकर हम स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।

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