सीसामऊ सीट पर योगी ने खेला ओबीसी कार्ड:नसीम की तुलना उमेश और राजू पाल की पत्नियों से की; निशाने पर रहे सपा और मुस्लिम

सीसामऊ सीट पर शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जमकर गरजे। उनके निशाने पर सपा, कांग्रेस और मुस्लिम ही रहे। हालांकि उनके आने से पहले भी मंच पर बैठे सभी विधायकों और सांसदों ने बटोगे और कटोगे के नारे काे पुरजोर तरीके से उठाया। योगी के भाषण में साफ दिखी झलक योगी ने मुस्लिम बाहुल्य सीट पर साफतौर पर हिंदुत्व को मजबूत करने का नारा दिया। वहीं मुस्लिम वोटर को पूरी तरह किनारे कर दिया। योगी के सीसामऊ सीट पर आने से यहां समीकरण बदल सकता है। इस सीट पर भाजपा ने दलित और हिंदू वोटर को ही मनाने में जुटी है। लेकिन सीट पर मौजूद पर करीब 13 हजार ओबीसी वोटर अपेक्षित था। ऐसे में योगी ने ओबीसी कार्ड खेला। उन्होंने राजू पाल और उमेश पाल हत्याकांड का जिक्र किया। उन्होंने नसीम का नाम लिए बिना उनके आंसुओं की तुलना राजू और उमेश पाल की पत्नियों से की। उन्होंने कहा कि दुख जानना है तो उनकी पत्नियों से भी दर्द पूछना चाहिए। योगी ने कहा कि कानपुर में दंगा कराने वाला इरफान सोलंकी आज सलाखों के पीछे हैं। सीसामऊ सीट पर ओबीसी में पाल वोटर भी अच्छी संख्या में है। अब समझते हैं कि योगी के भाषण के 5 बड़े मायने क्या हैं... 1. सीएम ने अपने भाषण की शुरुआत वनखंडेश्वर और आनंदेश्वर मंदिर से की। वनखंडेश्वर मंदिर में ही नसीम सोलंकी ने पूजा की थी। 2. योगी ने मुस्लिम वोटबैंक को पूरी तरह दरकिनार कर दिया है। उन्होंने साफ कहा कि बटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो सेफ रहोगे। 3. योगी ने सीधे तौर पर इरफान को दंगाई कहा। उन्होंने साफ कर दिया कि इरफान ने जो अपराध किए, उसकी सजा उसे मिलनी ही थी। 4. मुख्यमंत्री की सभा में सभी वर्गों को साधा गया। योगी ने दलितों को साधने के लिए लोकसभा चुनाव का जिक्र किया और दलितों को किसी बहकावे में न आने की बात कही। 5. सीसामऊ सीट पर करीब 6 हजार सिख वोटर्स को साधने के लिए उन्होंने 1984 के दंगों को जिक्र किया, जिससे सिख वोटर भाजपा के पक्ष में आए। हिंदुओं को एकजुट करने की कोशिश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब खुलकर मंच से सिर्फ हिंदुओं की बात कर रहे हैं। पार्टी ने इसी लाइन पर काम शुरू कर दिया है। सीसामऊ सीट पर करीब 45 परसेंट मुस्लिम और 55 परसेंट हिंदू वोटर है। इसमें दलित, कायस्थ, ब्राह्मण, ओबीसी और सिख वोटर भी शामिल है। ऐसे में भाजपा ने अब सिर्फ 55 परसेंट वोटबैंक को साधना शुरू कर दिया है। भाजपा ने बदल दी चुनावी रणनीति सीसामऊ सीट पर वर्ष-2022 के चुनाव में महज 8 परसेंट ही मुस्लिम वोट मिला था। बावजूद इसके भाजपा हार गई थी। चूंकि सपा को मुस्लिम, सिख और हिंदू वोटर भी मिलता है और इरफान की जीत हिंदू वोट मिलने से हो जाती थी। ऐसे में भाजपा ने अब रणनीति बदलते हुए पूरी तरह हिंदुओं पर ही फोकस कर दिया है। सपा को हिंदू वोट जितना कम मिलेगा, उतना भाजपा को फायदा होगा। अब समझते हैं उन 4 कारणों को जो भाजपा का बिगाड़ सकते हैं समीकरण 1. लालइमली सिर्फ बयान बनकर रह गया सीसामऊ सीट पर आयोजित जनसभा में मुख्यमंत्री योगी ने लालइमली शुरू करने का ऐलान किया था। लेकिन ये सिर्फ बयान बनकर ही रह गया। माना जा रहा था कि चुनाव से पहले लालइमली का निरीक्षण करने के लिए केंद्रीय कपड़ा मंत्री आएंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। वहीं लालइमली कर्मियों ने भाजपा के विरोध में मिल के गेट पर बैनर तक लगा दिया कि वेतन नहीं तो वोट भी नहीं। लालइमली के करीब 5 से 10 हजार लोग इस सीट पर रहते हैं। 2. दलितों को साधना होगा सुरेश अवस्थी के मैदान में आने से पार्टी नेताओं का मानना है कि दलितों को बिना साधे चुनाव में जीत सुनिश्चित नहीं हो सकती है। इसलिए भाजपा ने मुस्लिमों को छोड़कर दलितों को साधना शुरू कर दिया है। वहीं सपा भी दलितों को साधने में जुटी हुई है। 3. पार्टी से ज्यादा गठबंधन भाजपा के लिए चुनौती सपा-कांग्रेस गठबंधन इस सीट पर भाजपा को कड़ी चुनौती देगा। 2022 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो 66,897 वोट मिले। जबकि कांग्रेस से हाजी सुहैल अहमद को 5,616 वोट और इरफान को 79,163 वोट लेकर जीत दर्ज की थी। इस बार चुनाव में सपा के साथ कांग्रेस का वोट भी है। ऐसे में भाजपा को तगड़ी चुनौती मिलेगी। 4. अंदरूनी कलह हुई तो भाजपा को होगा नुकसान भाजपा में मौजूदा समय में भी शहर के कई बड़े नेता दूरी बनाए हुए हैं। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना अभी तक एक भी मंच पर नहीं आए हैं। वहीं राकेश सोनकर भी चुनाव प्रचार में भी नहीं आए हैं। ऐसे में अगर अंदरूनी कलह हुई तो भाजपा को नुकसान होना तय है। सीसामऊ सीट के इतिहास पर नजर डालते हैं... सीसामऊ से 1996 में तीसरी बार राकेश सोनकर ही जीते थे। लंबे अंतराल के बाद भाजपा यहां से कमल खिलाने के लिए जीजान से जुट गई है। परिसीमन के बाद सीट मुस्लिम बाहुल्य होने के कारण इरफान सोलंकी आर्यनगर से शिफ्ट होकर सीसामऊ आ गए थे। इरफान 2012 से 2022 तक वह इसी सीट से तीन चुनाव अब तक जीत चुके हैं। उन्हें सजा होने से उनकी सदन की सदस्यता रद्द कर दी गई थी। उपचुनाव में पार्टी ने उनकी पत्नी नसीम सोलंकी को प्रत्याशी बनाया है। सरकार ने जीतने के लिए प्रतिष्ठा लगाई सियासी समीकरण के लिहाज से यह सीट समाजवादी पार्टी के लिए मजबूत साबित होती रही है। सीट फतह करने को भाजपा ने सरकार की तरफ से कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना तो संगठन की तरफ से एमएलसी मानवेंद्र सिंह को आगे किया। जीत का ताना-बाना उन्हीं के जिम्मे है।

Nov 10, 2024 - 06:40
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सीसामऊ सीट पर योगी ने खेला ओबीसी कार्ड:नसीम की तुलना उमेश और राजू पाल की पत्नियों से की; निशाने पर रहे सपा और मुस्लिम
सीसामऊ सीट पर शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जमकर गरजे। उनके निशाने पर सपा, कांग्रेस और मुस्लिम ही रहे। हालांकि उनके आने से पहले भी मंच पर बैठे सभी विधायकों और सांसदों ने बटोगे और कटोगे के नारे काे पुरजोर तरीके से उठाया। योगी के भाषण में साफ दिखी झलक योगी ने मुस्लिम बाहुल्य सीट पर साफतौर पर हिंदुत्व को मजबूत करने का नारा दिया। वहीं मुस्लिम वोटर को पूरी तरह किनारे कर दिया। योगी के सीसामऊ सीट पर आने से यहां समीकरण बदल सकता है। इस सीट पर भाजपा ने दलित और हिंदू वोटर को ही मनाने में जुटी है। लेकिन सीट पर मौजूद पर करीब 13 हजार ओबीसी वोटर अपेक्षित था। ऐसे में योगी ने ओबीसी कार्ड खेला। उन्होंने राजू पाल और उमेश पाल हत्याकांड का जिक्र किया। उन्होंने नसीम का नाम लिए बिना उनके आंसुओं की तुलना राजू और उमेश पाल की पत्नियों से की। उन्होंने कहा कि दुख जानना है तो उनकी पत्नियों से भी दर्द पूछना चाहिए। योगी ने कहा कि कानपुर में दंगा कराने वाला इरफान सोलंकी आज सलाखों के पीछे हैं। सीसामऊ सीट पर ओबीसी में पाल वोटर भी अच्छी संख्या में है। अब समझते हैं कि योगी के भाषण के 5 बड़े मायने क्या हैं... 1. सीएम ने अपने भाषण की शुरुआत वनखंडेश्वर और आनंदेश्वर मंदिर से की। वनखंडेश्वर मंदिर में ही नसीम सोलंकी ने पूजा की थी। 2. योगी ने मुस्लिम वोटबैंक को पूरी तरह दरकिनार कर दिया है। उन्होंने साफ कहा कि बटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो सेफ रहोगे। 3. योगी ने सीधे तौर पर इरफान को दंगाई कहा। उन्होंने साफ कर दिया कि इरफान ने जो अपराध किए, उसकी सजा उसे मिलनी ही थी। 4. मुख्यमंत्री की सभा में सभी वर्गों को साधा गया। योगी ने दलितों को साधने के लिए लोकसभा चुनाव का जिक्र किया और दलितों को किसी बहकावे में न आने की बात कही। 5. सीसामऊ सीट पर करीब 6 हजार सिख वोटर्स को साधने के लिए उन्होंने 1984 के दंगों को जिक्र किया, जिससे सिख वोटर भाजपा के पक्ष में आए। हिंदुओं को एकजुट करने की कोशिश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब खुलकर मंच से सिर्फ हिंदुओं की बात कर रहे हैं। पार्टी ने इसी लाइन पर काम शुरू कर दिया है। सीसामऊ सीट पर करीब 45 परसेंट मुस्लिम और 55 परसेंट हिंदू वोटर है। इसमें दलित, कायस्थ, ब्राह्मण, ओबीसी और सिख वोटर भी शामिल है। ऐसे में भाजपा ने अब सिर्फ 55 परसेंट वोटबैंक को साधना शुरू कर दिया है। भाजपा ने बदल दी चुनावी रणनीति सीसामऊ सीट पर वर्ष-2022 के चुनाव में महज 8 परसेंट ही मुस्लिम वोट मिला था। बावजूद इसके भाजपा हार गई थी। चूंकि सपा को मुस्लिम, सिख और हिंदू वोटर भी मिलता है और इरफान की जीत हिंदू वोट मिलने से हो जाती थी। ऐसे में भाजपा ने अब रणनीति बदलते हुए पूरी तरह हिंदुओं पर ही फोकस कर दिया है। सपा को हिंदू वोट जितना कम मिलेगा, उतना भाजपा को फायदा होगा। अब समझते हैं उन 4 कारणों को जो भाजपा का बिगाड़ सकते हैं समीकरण 1. लालइमली सिर्फ बयान बनकर रह गया सीसामऊ सीट पर आयोजित जनसभा में मुख्यमंत्री योगी ने लालइमली शुरू करने का ऐलान किया था। लेकिन ये सिर्फ बयान बनकर ही रह गया। माना जा रहा था कि चुनाव से पहले लालइमली का निरीक्षण करने के लिए केंद्रीय कपड़ा मंत्री आएंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। वहीं लालइमली कर्मियों ने भाजपा के विरोध में मिल के गेट पर बैनर तक लगा दिया कि वेतन नहीं तो वोट भी नहीं। लालइमली के करीब 5 से 10 हजार लोग इस सीट पर रहते हैं। 2. दलितों को साधना होगा सुरेश अवस्थी के मैदान में आने से पार्टी नेताओं का मानना है कि दलितों को बिना साधे चुनाव में जीत सुनिश्चित नहीं हो सकती है। इसलिए भाजपा ने मुस्लिमों को छोड़कर दलितों को साधना शुरू कर दिया है। वहीं सपा भी दलितों को साधने में जुटी हुई है। 3. पार्टी से ज्यादा गठबंधन भाजपा के लिए चुनौती सपा-कांग्रेस गठबंधन इस सीट पर भाजपा को कड़ी चुनौती देगा। 2022 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो 66,897 वोट मिले। जबकि कांग्रेस से हाजी सुहैल अहमद को 5,616 वोट और इरफान को 79,163 वोट लेकर जीत दर्ज की थी। इस बार चुनाव में सपा के साथ कांग्रेस का वोट भी है। ऐसे में भाजपा को तगड़ी चुनौती मिलेगी। 4. अंदरूनी कलह हुई तो भाजपा को होगा नुकसान भाजपा में मौजूदा समय में भी शहर के कई बड़े नेता दूरी बनाए हुए हैं। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना अभी तक एक भी मंच पर नहीं आए हैं। वहीं राकेश सोनकर भी चुनाव प्रचार में भी नहीं आए हैं। ऐसे में अगर अंदरूनी कलह हुई तो भाजपा को नुकसान होना तय है। सीसामऊ सीट के इतिहास पर नजर डालते हैं... सीसामऊ से 1996 में तीसरी बार राकेश सोनकर ही जीते थे। लंबे अंतराल के बाद भाजपा यहां से कमल खिलाने के लिए जीजान से जुट गई है। परिसीमन के बाद सीट मुस्लिम बाहुल्य होने के कारण इरफान सोलंकी आर्यनगर से शिफ्ट होकर सीसामऊ आ गए थे। इरफान 2012 से 2022 तक वह इसी सीट से तीन चुनाव अब तक जीत चुके हैं। उन्हें सजा होने से उनकी सदन की सदस्यता रद्द कर दी गई थी। उपचुनाव में पार्टी ने उनकी पत्नी नसीम सोलंकी को प्रत्याशी बनाया है। सरकार ने जीतने के लिए प्रतिष्ठा लगाई सियासी समीकरण के लिहाज से यह सीट समाजवादी पार्टी के लिए मजबूत साबित होती रही है। सीट फतह करने को भाजपा ने सरकार की तरफ से कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना तो संगठन की तरफ से एमएलसी मानवेंद्र सिंह को आगे किया। जीत का ताना-बाना उन्हीं के जिम्मे है।

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