हिमाचल बीजेपी में आंतरिक कलह:पूर्व विधायक ने पूर्व मंत्री पर लगाए जातिवाद के आरोप; देहरा के MLA को बताया लापता
हिमाचल प्रदेश की देहरा विधानसभा में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। बीजेपी के पूर्व विधायक होशियार सिंह ने पूर्व मंत्री रमेश धवाला पर जातिवाद की राजनीति करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कुछ नेता मीडिया में जाकर पार्टी विरोधी बयानबाजी कर रहे हैं, जो संगठन को कमजोर कर रही है। होशियार सिंह ने वर्तमान विधायक कमलेश ठाकुर पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विधायक क्षेत्र से गायब हैं और उनका पता नादौन से मिलता है। देहरा में खोला गया मुख्यमंत्री कार्यालय भी तालाबंद पड़ा है। क्षेत्र का विकास पूरी तरह ठप है और विकास कार्य केवल चौकों तक ही सीमित हैं। क्षेत्र की विकास स्थिति पर चिंता जताते हुए उन्होंने बताया कि ईडी द्वारा जेल भेजे गए ठेकेदार ने सड़क निर्माण का काम सबलेट कर दिया है। इससे सड़कों की गुणवत्ता खराब हो रही है और दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। साथ ही पानी की आपूर्ति भी प्रभावित है, जिससे लोगों को चार दिन बाद पानी मिल रहा है। स्थानीय लोग विकास कार्यों की शिकायत लेकर उनके पास आ रहे हैं, लेकिन वह अब विधायक नहीं हैं। बोलने से ताजमहल नहीं बन जाता- होशियार सिंह विकास कार्यों पर टिप्पणी करते हुए होशियार सिंह ने कहा, "बोलने से ताजमहल नहीं बन जाता।" उन्होंने कहा कि मामूली मुद्दों – जैसे 1500 रुपए, गोबर और दूध – पर चर्चा नहीं कर रहा हूं। असली समस्या यह है कि आज मनरेगा मजदूरों को दिहाड़ी नहीं मिल रही, लोगों को राशन नहीं मिल रहा है। होशियार सिंह का दावा है कि 70 करोड़ रुपए की राशि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में लाने के बावजूद, ऐसे ठेकेदारों को ठेकों पर काम सौंप दिया गया है जो अब जेल में हैं।

हिमाचल बीजेपी में आंतरिक कलह: पूर्व विधायक ने पूर्व मंत्री पर लगाए जातिवाद के आरोप
हिमाचल प्रदेश की राजनीति में हाल ही में एक नया मोड़ आया है, जब पूर्व विधायक ने पूर्व मंत्री पर जातिवाद के आरोप लगाए हैं। यह आरोप इस समय चर्चा का विषय बन गए हैं और बीजेपी की आंतरिक कलह को उजागर करते हैं। यह घटनाक्रम देहरा के वर्तमान MLA की अनुपस्थिति से और भी जटिल हो गया है।
आरोपों की पृष्ठभूमि
पूर्व विधायक ने एक प्रेस कांफ्रेंस में यह स्पष्ट किया कि किस तरह जातिवाद ने बीजेपी के आंतरिक मामलों को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी में कुछ नेता इस भावना को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे पार्टी की एकता खतरे में पड़ गई है।
देहरा के MLA की स्थिति
देहरा के विधायक की अनुपस्थिति ने इस मामले को और भी रहस्यमय बना दिया है। स्थानीय पार्टी कार्यकर्ता और नेता उनकी गैरमौजूदगी को संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं। क्या उनकी अनुपस्थिति के पीछे कोई रणनीति है? इस प्रश्न का जवाब अभी भी गुप्त है।
भविष्य की स्थिति
भविष्य में इस तरह के आरोप और आंतरिक कलह का पार्टी की राजनीतिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। यदि पार्टी इस समस्या का समाधान नहीं करती है, तो चुनावी मौसम में यह उसके लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा।
इन घटनाक्रमों को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि बीजेपी के भीतर आंतरिक कलह उनके लिए एक नई चुनौती बन गई है। आगामी चुनावों में यह मुद्दा कितनी भूमिका निभाएगा, यह तो भविष्य ही बताएगा।
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