लखनऊ में बांग्लादेशियों पर नगर निगम का सर्वे हवा-हवाई:मेयर और अधिकारियों ने वापस की रिपोर्ट; पार्षद नहीं चाहते कार्रवाई
लखनऊ में पौने 2 लाख बांग्लादेशी होने का दावा करने वाला नगर निगम का सर्वे हवा-हवाई निकला। मेयर और अधिकारियों ने इस सर्वे को सिरे से खारिज कर दिया। रिपोर्ट वापस लौटा दी है। साथ ही फिर से सर्वे के निर्देश दिए हैं। चर्चा यह भी है कि शहर के कई पार्षद यह सर्वे नहीं कराना चाहते हैं। इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। फिलहाल, मेयर ने दोबारा सर्वे रिपोर्ट सौंपने का निर्देश जारी कर दिया है। पहले जानें सर्वे में क्या आया था? लखनऊ नगर निगम के अधिकारियों ने शहर से 10 जोन में सर्वे किया। इसमें शहर में 7,335 की संख्या में अवैध झुग्गियां बसी होने का दावा किया गया। बताया गया कि शहर में करीब पौने 2 लाख बांग्लादेशी रहते हैं। हालांकि झुग्गियों वाले लोग खुद को आसाम और पश्चिम बंगाल का बताते हैं। नगर निगम के सर्वे में 7335 झुग्गियों में रहने वाले 30,605 ऐसे लोगों की पहचान की गई, जो कूड़े के काम से जुड़े हैं। वहीं, नगर निगम में 10 हजार से अधिक सफाई कर्मचारी हैं। नगर निगम की टीम ने शुक्रवार को मामले की रिपोर्ट महापौर सुषमा खर्कवाल सहित अन्य सीनियर अधिकारियों को सौंपी। अधिकारियों और मेयर ने झुग्गी झोपड़ी की संख्या कम होने पर नाराजगी जताई और फिर से सर्वे के आदेश दिए। सर्वे से 3 गुना ज्यादा संख्या होने का अनुमान महापौर और अधिकारियों का अनुमान है कि सर्वे में आई झुग्गियों की संख्या बहुत कम बताई गई है। जबकि झुग्गी झोपड़ियों की संख्या इससे करीब 3 गुना ज्यादा है। महापौर सुषमा खर्कवाल पहले ही इस रिपोर्ट को शासन को भेजने का दावा कर चुकी हैं। नगर निगम के पार्षद नहीं चाहते हैं सर्वे नगर निगम में यह भी चर्चा है कि कई पार्षद नहीं चाहते कि यह सर्वे पूरा किया जाए। ताकि झुग्गी झोपड़ियों पर कार्रवाई का कोई आधार न बने। शहर के कई वार्ड में ऐसी भी चर्चा सामने आ रही है, जहां पार्षदों की मिलीभगत से वार्डों में कूड़ा उठवाया जाता है। इसमें नगर निगम के निचले स्तर तक के कर्मचारियों की भी मिलीभगत है। नगर निगम कर्मी, पुलिसकर्मी, बिजलीकर्मी और पाषर्दों की मिलीभगत से लखनऊ में 5 से 6 करोड़ रुपए तक का अवैध कूड़े का कारोबार हर महीने होता है। ऐसे में इन झुग्गी झोपड़ी वालों पर कार्रवाई की गई तो कईयों की आमदनी बंद हो जाएगी। यही वजह है कि कई पार्षद नहीं चाहते की कोई कार्रवाई हो। पूरी रिपोर्ट बनाने के निर्देश दिए गए महापौर और नगर निगम के सीनियर अधिकारियों ने कर्मचारियों को तथ्य के साथ में पूरी रिपोर्ट दोबारा से बनाने के निर्देश दिए हैं। अब नगर निगम की टीम सोमवार को फिर से रिपोर्ट सौंप सकती है। सर्वे का काम दोबारा किया जा रहा है। जोन 7 में सबसे अधिक संख्या में झुग्गी-झोपड़ियां सामने आ रही हैं। जोनल अधिकारियों के साथ में यहां के कर्मचारियों को भी सही रिपोर्ट देने को कहा गया है। इस दौरान नगर निगम के कर्मचारी शहर में बनी झुग्गियों पर पहुंचकर, वहां के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं। अब जानें क्यों कराया जा रहा है यह सर्वे 29 दिसंबर को लखनऊ नगर निगम की टीम जब कूड़ा उठाने वाले अवैध ठेलों पर कार्रवाई शुरू की तो उन्होंने विरोध कर दिया। नगर निगम के अधिकारियों, महिला अधिकारियों को दौड़ाकर पीटा गया, कपड़े तक फाड़ डाले गए थे। मौके पर पहुंची मेयर और नगर आयुक्त ने इस पर सख्त एक्शन लिया और उसी दिन 50 से ज्यादा झुग्गियां तोड़ दी गईं। मारपीट करने वालों पर केस भी दर्ज कराया गया था। इसके बाद निगम ने सर्वे करके इन्हें कूड़ा उठाने के काम से रोकने की योजना बनाई। .............................................. यह भी पढ़ें लखनऊ में 2 लाख बांग्लादेशियों की घुसपैठ:7335 झुग्गियां बनाकर रह रहे; जल्द तोड़ी जाएंगी; मेयर बोलीं- ये लोकतंत्र के लिए खतरा लखनऊ के 110 वार्डों में अवैध तरीके से रह रहे पौने 2 लाख बांग्लादेशियों पर नगर निगम कार्रवाई करेगा। विभाग ने सर्वे करके 7335 अवैध झुग्गियों की पहचान की है। शासन को रिपोर्ट भेजकर इन्हें जल्द ही तोड़ा जाएगा। लखनऊ की मेयर सुषमा खर्कवाल ने शुक्रवार को कहा कि शहर में जिस तरह से अवैध प्रवासियों की संख्या बढ़ रही है। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। इन झुग्गियों में रहने वाले 30 हजार 607 लोग कूड़ा उठाने के कारोबार से जुड़े हैं। पढ़ें पूरी खबर...

लखनऊ में बांग्लादेशियों पर नगर निगम का सर्वे: हवा-हवाई प्रगति
लखनऊ के नगर निगम द्वारा बांग्लादेशी नागरिकों के सर्वेक्षण को लेकर हाल ही में एक विवाद उठ खड़ा हुआ है। मेयर और अन्य अधिकारियों ने कहा है कि रिपोर्ट के नतीजे संदिग्ध हैं और कार्रवाई के लिए उपयुक्त नहीं हैं। यह सर्वेक्षण बांग्लादेशी मजदूरों के बढ़ते प्रभाव और उनकी बस्तियों के विकास के संदर्भ में किया गया था, लेकिन अब इसमें निहित सूचनाओं के सही होने पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
सर्वे की पृष्ठभूमि
नगर निगम का यह सर्वेक्षण बांग्लादेशियों के स्थानीय निवास और उनकी कार्यशीलता को समझने के लिए किया गया था, लेकिन पार्षदों ने इस पर सहमति नहीं जताई है। कई पार्षदों ने रिपोर्ट को हवा-हवाई करार दिया और कहा कि इसके लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि बिना सटीक जानकारी के ठोस कदम उठाना उचित नहीं है।
पार्षदों की प्रतिक्रिया
जिन पार्षदों ने इस मुद्दे को उठाया है, उनका कहना है कि लखनऊ की सुरक्षा और सांस्कृतिक धरोहर को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि बांग्लादेशियों की उपस्थिति की सही जानकारी प्राप्त की जाए। कुछ पार्षदों का मानना है कि नगर निगम को इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई करनी चाहिए, जबकि अन्य ने इसे राजनीति का हिस्सा बता दिया है।
सम्बंधित मुद्दे
हालांकि, यह विवाद केवल बांग्लादेशियों तक सीमित नहीं है। लखनऊ में अवैध प्रवासियों की समस्या अन्य बड़े शहरों में भी चर्चा का विषय बन चुकी है। स्थानीय प्रशासन इससे निपटने के लिए क्या कदम उठा रहा है, यह देखना जरूरी है।[For more updates, visit indiatwoday.com]
यह सर्वेक्षण लखनऊ में नागरिक सुरक्षा और अवैध प्रवासियों के मुद्दों के व्यापक परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण पहलू बन गया है। स्थानीय सांसद और विधायक भी इस मामले में अपनी अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं।
सारांश यह है कि लखनऊ में बांग्लादेशियों पर नगर निगम का सर्वेक्षण अब सवालों के घेरे में है और यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में प्रशासन क्या कदम उठाएगा।
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