आस्ट्रेलिया से पिता का तर्पण करने काशी आए मैथ्यू:घाट पर पिंडदान किया, बोले- पापा की आखिरी इच्छा थी, इसलिए आया

आस्ट्रेलिया से काशी आए मैथ्यू ने अपने पिता का पिंडदान गंगा घाट पर किया। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, मैथ्यू ने गंगा स्नान किया। पिंड बनाए। फिर तर्पण किया। करीब 1.30 घंटे तक चले पूजन के दौरान मैथ्यू ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। दैनिक भास्कर से बात करते हुए उन्होंने कहा- ये मेरे पिता की आखिरी इच्छा थी। जिसे पूरा करने के लिए अब मैं भारत आया हूं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट... मैथ्यू ने कहा- मेरे पिता हिंदू थे, मां क्रिश्चियन मैथ्यू ने कहा- मेरे पिताजी किम धर्म से हिंदू थे। वह जॉब के लिए ऑस्ट्रेलिया आए थे। वहीं पर शादी की थी। मेरी मां क्रिश्चियन थीं। मैथ्यू के मुताबिक, वह महज 10 साल के थे, जब उनके पिता का निधन हुआ। उन्होंने परिजनों से सुना था कि पापा जीवित रहते कहा करते थे कि जब मैं मर जाऊं, मुझे दफनाना नहीं। मेरी चिता सजाकर उसको आग देना। जब मेरे पापा नहीं रहे, तब मां ने ऑस्ट्रेलिया की रीति रिवाज के अनुसार ही उन्हें दफनाया था। जब मैं बड़ा हुआ, तब मुझे सनातन धर्म के बारे में पता चला। मैंने ऑनलाइन काफी कुछ पढ़ा। मुझे वेबसाइट पर जानकारी मिली कि मरने के बाद पिंडदान जरूरी होता है। इसलिए अब मैं अपने पिता का पिंडदान करने काशी आया हूं। मैथ्यू ने कहा- मुझे फोटोग्राफी का बहुत शौक है। मैं आस्ट्रेलिया में साफ्टवेयर कंपनी में काम करता हूं। अब मैं हर साल काशी में पितृ का तर्पण करने आऊंगा। काशी को ही क्यों चुना? इसपर मैथ्यू ने कहा- यह एक धार्मिक स्थल है, इसलिए यह किसी भी कर्म-कांड के लिए बेहतर स्थान है। लेकिन पितृ कार्य और श्राद्ध कार्य यहां पर सही तरीके से किए जाते हैं, जिसके लिए यह उत्तम स्थान है। बनारस मोक्ष धाम है। हिंदू धर्म से प्यार हो गया मैथ्यू ने कहा- मुझे सनातन धर्म से प्यार हो गया है। मेरे देश में बहुत से ऐसे लोग हैं, जो भारत की संस्कृति से प्रेम करते हैं। काशी में मैंने गाइड किया है। अब तक काशी के सभी प्रमुख मंदिरों में दर्शन-पूजन किया है। अगले एक सप्ताह तक वह काशी में भ्रमण करेंगे। आइए अब जानते है तर्पण कराने वाले पंडित ने क्या कहा? तीर्थ पुरोहित पंडित बलराम मिश्र ने पिंडदान और तर्पण कराया है। उन्होंने कहा- मैथ्यू ऑस्ट्रेलिया से बनारस आए हैं। उन्होंने अपने पिताजी का तर्पण किया है। इस दौरान उन्होंने पूरे विधि विधान को समझा। उनके साथ मौजूद गाइड ने उन्हें इंग्लिश में सभी पूजा के विधान के बारे में समझाया। लगभग 1.30 घंटे तक विधि विधान से उन्होंने पूजा अर्चना की। फिर उन्होंने मां गंगा को प्रणाम किया। उनकी इच्छा सनातन धर्म अपनाने की है। इसलिए वह वाराणसी में भ्रमण करके सनातन धर्म की विस्तार से जानकारी हासिल कर रहे हैं। अब 2 स्लाइड में पिंडदान को समझिए.... ........................ यह खबर भी पढ़िए... शमी की पत्नी बोलीं-बेटी ने होली खेलकर गुनाह नहीं किया:पति के खिलाफ सबूत लाई, तब मौलाना कहां थे; अब बोलने का हक नहीं भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी और उनकी बेटी मौलानाओं के टारगेट पर हैं। इसकी 2 वजहें हैं। पहली- रमजान में शमी ने रोजा नहीं रखा, मैच के दौरान एनर्जी ड्रिंक पी। दूसरी- उनकी बेटी आयरा ने होली खेली। बेटी की तस्वीर शमी की पूर्व पत्नी हसीन जहां ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी। पढ़ें पूरी खबर...

Mar 20, 2025 - 06:59
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आस्ट्रेलिया से पिता का तर्पण करने काशी आए मैथ्यू:घाट पर पिंडदान किया, बोले- पापा की आखिरी इच्छा थी, इसलिए आया
आस्ट्रेलिया से काशी आए मैथ्यू ने अपने पिता का पिंडदान गंगा घाट पर किया। सनातन धर्म की मान्यताओं क

आस्ट्रेलिया से पिता का तर्पण करने काशी आए मैथ्यू

आस्ट्रेलियाई नागरिक मैथ्यू ने अपनी पिता की याद में काशी में तर्पण की रस्म अदा की। यह विशेष अवसर उनके लिए बेहद भावुक रहा, क्योंकि यह उनके पिता की आखिरी इच्छा थी। काशी का पवित्र घाट एक ऐसा स्थान है, जहाँ पर हजारों लोग अपने प्रियजनों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते हैं।

पिता की अंतिम इच्छा का मान

मैथ्यू ने कहा, "मेरे पिता की अंतिम इच्छा थी कि मैं काशी आकर उनका तर्पण करूँ। मैं उन्हें इस बार पूरी श्रद्धा के साथ श्रद्धांजलि देना चाहता था।" उन्होंने काशी के घाट पर पिंडदान करते हुए अपने पिता की याद में भावुक होते हुए कहा, "यह मेरे लिए एक विशेष क्षण है, और मैं यहां आकर अपने पिता को सम्मानित करने की कोशिश कर रहा हूं।"

काशी का पवित्र महत्व

काशी, जिसे बनारस या वाराणसी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ आने वाले भक्तजन अपने परिवार के सदस्यों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं। मैथ्यू ने इस अनुभव को अद्वितीय बताते हुए कहा, "यह जगह सचमुच अद्भुत है, और यहां आकर मुझे अपने अंदर एक शांति का अनुभव हुआ है।"

संस्कृति और परंपरा का समागम

मैथ्यू के इस यात्रा के पीछे केवल उनकी पारिवारिक परंपराएं ही नहीं, बल्कि काशी की संस्कृति और धार्मिक महत्व भी है। यहां आने वाले लोगों का धैर्य और श्रद्धा इस स्थान को और भी खास बनाता है।

ऐसे तीर्थयात्रियों का अनुभव न केवल उनके लिए, बल्कि उनके समुदायों के लिए भी एक संदेश का काम करता है। यह हमारे पूर्वजों के प्रति हमारी जिम्मेदारी को दर्शाता है।

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संक्षेप में

महत्वपूर्ण घटनाक्रम मैथ्यू ने अपने पिता के लिए काशी आकर तर्पण किया, जो उनकी अंतिम इच्छा थी। परिवार और सम्मान का यह यात्रा सभी के लिए एक प्रेरणा है कि हम अपने पूर्वजों को कभी नहीं भूलें। Keywords: आस्ट्रेलिया तर्पण काशी, मैथ्यू पिंडदान पिता, काशी का धार्मिक महत्व, पितृ पक्ष तर्पण, बनारस तर्पण यात्रा, परिवार का सम्मान, अंतिम इच्छा पिंडदान, पितृ श्रद्धांजलि, काशी यात्रा अनुभव, भारत में तर्पण संस्कार

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