दलाई लामा की पेंटिंग लंदन में नीलाम:1.52 करोड़ में बिकी, कृष्ण कंवल ने 1940 में बनाई थी
लंदन में आयोजित एक नीलामी में भारतीय कलाकार कृष्ण कंवल द्वारा बनाई गई 14वें दलाई लामा की दुर्लभ तस्वीर 1.52 करोड़ रुपए में बिकी है। यह चित्र ब्रिटिश अधिकारी सर बेसिल गोल्ड के संग्रह का हिस्सा था। तस्वीर में 22 फरवरी 1940 को ल्हासा में आयोजित एक ऐतिहासिक क्षण को दर्शाया गया है। इस दिन चार वर्षीय तेनजिन ग्यात्सो को तिब्बत के सर्वोच्च धार्मिक नेता के रूप में प्रतिष्ठित किया गया था। यह कलाकृति 40 मूल जलरंगों की एक दुर्लभ श्रृंखला का हिस्सा है। इस श्रृंखला में तिब्बती दरबार, वहां के गणमान्य लोग और सांस्कृतिक झलकियों का चित्रण किया गया है। पूरी श्रृंखला की पेंटिंग्स 4.57 करोड़ रुपए में बिकीं। नीलामी में सर बेसिल गोल्ड का निजी फोटो संग्रह भी शामिल था। यह नीलामी 5 जून को हुई। इसमें ल्हासा में 1936-37 के ब्रिटिश मिशन की 1,500 से अधिक दुर्लभ तस्वीरें थीं। इन तस्वीरों को सात अलग-अलग एल्बम में संजोया गया था। यह फोटो संग्रह 57 लाख रुपये में बिका। नीलामी में तिब्बती पांडुलिपियां और दुर्लभ पुस्तकें भी थीं। 14वें दलाई लामा की मान्यता और सिंहासनारोहण पर सर बेसिल की 1941 की रिपोर्ट 14 लाख रुपये में बिकी। यह रिपोर्ट अंग्रेजी और तिब्बती दोनों भाषाओं में थी।

दलाई लामा की पेंटिंग लंदन में नीलाम: 1.52 करोड़ में बिकी, कृष्ण कंवल ने 1940 में बनाई थी
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लंदन में भारतीय चित्रकार कृष्ण कंवल द्वारा बनाई गई 14वें दलाई लामा की एक अद्भुत पेंटिंग हाल ही में नीलाम हुई है, और इसने 1.52 करोड़ रुपए की कीमत हासिल की है। यह चित्र 22 फरवरी 1940 को ल्हासा में प्राप्त एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक क्षण को दर्शाता है। इस दिन चार वर्षीय तेनजिन ग्यात्सो को तिब्बत के सर्वोच्च धार्मिक नेता के रूप में प्रतिष्ठित किया गया था।
कृष्ण कंवल: एक महत्वपूर्ण कलाकार
कृष्ण कंवल एक प्रमुख भारतीय कलाकार हैं जिनकी कला तिब्बती संस्कृति का उत्कृष्ट प्रतिनिधित्व करती है। उनका यह चित्र 40 जलरंगों की एक दुर्लभ श्रृंखला का हिस्सा है, जो तिब्बती दरबार, वहां के गणमान्य व्यक्तियों और सांस्कृतिक झलकियों को दर्शाता है। एस्सेनशियल म्यूज़ियम जैसी प्रतिष्ठित स्थलों पर उनकी कला का प्रदर्शन किया जाता है, जो उनके काम की मान्यता को बढ़ाता है।
नीलामी की खास बातें
यह नीलामी 5 जून को आयोजित की गई थी और इसमें सर बेसिल गोल्ड का निजी फोटो संग्रह भी शामिल था। इस संग्रह में ल्हासा में 1936-37 के ब्रिटिश मिशन की 1,500 से अधिक दुर्लभ तस्वीरें थीं, जिन्हें सात अलग-अलग एल्बमों में संजोया गया था। यह संग्रह 57 लाख रुपये में बिका। पेंटिंग के अलावा, नीलामी में तिब्बती पांडुलिपियां और दुर्लभ पुस्तकें भी शामिल थीं।
दलाई लामा का प्रतिष्ठान
दलाई लामा का नाम तिब्बती संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 14वें दलाई लामा के सिंहासनारोहण पर सर बेसिल की 1941 की रिपोर्ट ने भी ध्यान आकर्षित किया, जो 14 लाख रुपये में बिकी। यह रिपोर्ट अंग्रेजी और तिब्बती दोनों भाषाओं में थी, जिससे उसकी ऐतिहासिक महत्वता और बढ़ गई।
महत्व का मूल्यांकन
इस नीलामी का महत्व केवल एक कलाकृति तक सीमित नहीं है। यह तिब्बत की संस्कृति, इतिहास, और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को उजागर करता है, जो आज भी वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय है। चित्रकला न केवल एक दृश्य अनुभव है बल्कि यह इतिहास के एक पन्ने को भी पलटता है। यह हमें बताता है कि किस तरह से संस्कृति और कला एक राष्ट्र की पहचान में योगदान करती है।
निष्कर्ष
कृष्ण कंवल की पेंटिंग की नीलामी ने तिब्बती संस्कृति के प्रति हमारे दृष्टिकोण को और अधिक स्पष्ट किया है। यह न केवल एक कला का टुकड़ा है, बल्कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास का भी प्रतीक है। लोगों में कला के प्रति इस जागरूकता से हमें उम्मीद है कि तिब्बती संस्कृति और इतिहास की नई पीढ़ियाँ भी सराहना करेंगी।
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