17 घंटे रोती रही मां, फिर जिंदा मिला नवजात बेटा:अभी भी एक नवजात मिसिंग, एक दिन पहले उसकी मां हुई थी लापता, पिता परेशान

झांसी अग्निकांड में 10 बच्चे जिंदा जल गए। आग लगी तो एक मां दौड़ते हुए चिल्ड्रन वार्ड में पहुंची। देखा तो उसका बेटा नहीं था। उसे लगा कि बच्चा भी जिंदा जल गया। फिर चीख पड़ी और पति से लिपटकर रोने लगी। कहा- सिर्फ बच्चे का चेहरा दिखा दो। 17 घंटे तक रोते हुए अस्पताल में पति के साथ टहलती रही। अफसरों को देखते ही उसने पास पहुंच जाती और बेटे के बार में पूछती। अफसरों के कुछ न बताने पर इमरजेंसी गेट के बाहर बैठ जाती है। शनिवार शाम महिला ADM वरुण पांडेय से मिली। वो महिला को एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। मां ने देखकर ही बच्चे को पहचान लिया। दौड़ती हुई उसके पास गई और रोने लगी। चलिए, अब सिलसिलेवार तरीके से पूरी कहानी बताते हैं... मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात करीब साढ़े 10 बजे ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग के चलते आग लगी, फिर धमाका हो गया। पूरे वार्ड में आग फैल गई। धुआं उठता देखकर महोबा की नीलू पति कुलदीप के दौड़कर वार्ड पहुंचीं। देखा तो बेटा नहीं था। बच्चों की लाश देखकर नीलू रोने लगी। कहा- हाय मेरा बच्चा, एक बार चेहरा तो दिखा दो। एक बार आंचल से लगा लेने दो.. फिर बेहोश हो गईं। थोड़ी देर बाद होश आया। पति ने उन्हें किसी तरह से संभाला। फिर नीलू मेडिकल कॉलेज में भर्ती घायल बच्चों को देखने पहुंचीं। लेकिन वहां भी उन्हें बच्चा नहीं मिला। उन्हें भरोसा गया कि उनका बेटा मर गया। उन्होंने भास्कर से बताया- डॉक्टरों की लापरवाही से मेरा बेटा नहीं मिल रहा है। अंदर किसी को नहीं जाने दिया जा रहा। मगर उन्होंने आस नहीं छोड़ी थी। सुबह 10 बजे उन्हें पता चला कि उन्हीं की तरह 7 और ऐसे लोग हैं, जिनका बच्चा नहीं मिल रहा। उन्होंने सभी को इकट्‌ठा किया। फिर मेडिकल कॉलेज के सामने हंगामा कर दिया। लेकिन उनका बच्चा नहीं मिला। फिर इमरजेंसी के गेट के बाहर बैठ गई। बीच-बीच में उठकर-उठकर पूरे अस्पताल में घूमती। लोगों को अपने बच्चे की फोटो दिखाती। असफर को देखते ही उनके पास पहुंच जाती। लेकिन, जब अफसर कुछ नहीं बताते, तो फफक पड़तीं। दिनभर भटकने के बाद महिला शनिवार शाम साढ़े 4 बजे महिला से एडीएम वरुण पांडेय से मिले। एडीएम उन्हें अपने साथ मेडिकल कॉलेज के सामने स्थित एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां हादसे के बाद 2 बच्चों को भर्ती कराया गया था। यहां पहुंचते ही महिला ने बच्चे को पहचान लिया। बेटे को जिंदा देखकर महिला सास से लिपट कर रोन लगी। कुलदीप ने बताया- हम लोग महोबा परसा गांव के रहने वाले हैं। पत्नी नीलू का झांसी में मायका है। पत्नी की डिलीवरी 9 नवंबर को हुई थी। उसने बेटे को जन्म दिया। नीलू का यह पहला बच्चा था। जन्म के बाद से ही बेटे की तबीयत ठीक नहीं थी। जांच में उसके खून में इन्फेक्शन पाया गया। हालत गंभीर होने पर उसे वहां से झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था। अब कहानी कृपाराम, जिनकी पत्नी और बेटे दोनों लापता झांसी के गोरपुरा गांव निवासी कृपाराम यादव ने बताया- मैं किसानी करता हूं। डेढ़ साल पहले मेरी शादी शांतिदेवी (26) से हुई थी। 8 नवंबर को पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई। मेडिकल कॉलेज लाए तो नॉर्मल डिलेवरी हो गई। पत्नी ने बेटे को जन्म दिया। डॉक्टरों ने बच्चे को SNCU में भर्ती कर दिया। गुरुवार सुबह वार्ड से अचानक पत्नी शांतिदेवी लापता हो गई। इसके बाद शुक्रवार रात को SNCU में आग लग लग गई। अभी तक मेरा बेटा नहीं मिला है। सारे बच्चों को देख चुका हूं। हमारी मांग है कि प्रशासन बच्चा और पत्नी को ढूंढ़कर लाए।

Nov 17, 2024 - 10:25
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17 घंटे रोती रही मां, फिर जिंदा मिला नवजात बेटा:अभी भी एक नवजात मिसिंग, एक दिन पहले उसकी मां हुई थी लापता, पिता परेशान
झांसी अग्निकांड में 10 बच्चे जिंदा जल गए। आग लगी तो एक मां दौड़ते हुए चिल्ड्रन वार्ड में पहुंची। देखा तो उसका बेटा नहीं था। उसे लगा कि बच्चा भी जिंदा जल गया। फिर चीख पड़ी और पति से लिपटकर रोने लगी। कहा- सिर्फ बच्चे का चेहरा दिखा दो। 17 घंटे तक रोते हुए अस्पताल में पति के साथ टहलती रही। अफसरों को देखते ही उसने पास पहुंच जाती और बेटे के बार में पूछती। अफसरों के कुछ न बताने पर इमरजेंसी गेट के बाहर बैठ जाती है। शनिवार शाम महिला ADM वरुण पांडेय से मिली। वो महिला को एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। मां ने देखकर ही बच्चे को पहचान लिया। दौड़ती हुई उसके पास गई और रोने लगी। चलिए, अब सिलसिलेवार तरीके से पूरी कहानी बताते हैं... मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात करीब साढ़े 10 बजे ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग के चलते आग लगी, फिर धमाका हो गया। पूरे वार्ड में आग फैल गई। धुआं उठता देखकर महोबा की नीलू पति कुलदीप के दौड़कर वार्ड पहुंचीं। देखा तो बेटा नहीं था। बच्चों की लाश देखकर नीलू रोने लगी। कहा- हाय मेरा बच्चा, एक बार चेहरा तो दिखा दो। एक बार आंचल से लगा लेने दो.. फिर बेहोश हो गईं। थोड़ी देर बाद होश आया। पति ने उन्हें किसी तरह से संभाला। फिर नीलू मेडिकल कॉलेज में भर्ती घायल बच्चों को देखने पहुंचीं। लेकिन वहां भी उन्हें बच्चा नहीं मिला। उन्हें भरोसा गया कि उनका बेटा मर गया। उन्होंने भास्कर से बताया- डॉक्टरों की लापरवाही से मेरा बेटा नहीं मिल रहा है। अंदर किसी को नहीं जाने दिया जा रहा। मगर उन्होंने आस नहीं छोड़ी थी। सुबह 10 बजे उन्हें पता चला कि उन्हीं की तरह 7 और ऐसे लोग हैं, जिनका बच्चा नहीं मिल रहा। उन्होंने सभी को इकट्‌ठा किया। फिर मेडिकल कॉलेज के सामने हंगामा कर दिया। लेकिन उनका बच्चा नहीं मिला। फिर इमरजेंसी के गेट के बाहर बैठ गई। बीच-बीच में उठकर-उठकर पूरे अस्पताल में घूमती। लोगों को अपने बच्चे की फोटो दिखाती। असफर को देखते ही उनके पास पहुंच जाती। लेकिन, जब अफसर कुछ नहीं बताते, तो फफक पड़तीं। दिनभर भटकने के बाद महिला शनिवार शाम साढ़े 4 बजे महिला से एडीएम वरुण पांडेय से मिले। एडीएम उन्हें अपने साथ मेडिकल कॉलेज के सामने स्थित एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां हादसे के बाद 2 बच्चों को भर्ती कराया गया था। यहां पहुंचते ही महिला ने बच्चे को पहचान लिया। बेटे को जिंदा देखकर महिला सास से लिपट कर रोन लगी। कुलदीप ने बताया- हम लोग महोबा परसा गांव के रहने वाले हैं। पत्नी नीलू का झांसी में मायका है। पत्नी की डिलीवरी 9 नवंबर को हुई थी। उसने बेटे को जन्म दिया। नीलू का यह पहला बच्चा था। जन्म के बाद से ही बेटे की तबीयत ठीक नहीं थी। जांच में उसके खून में इन्फेक्शन पाया गया। हालत गंभीर होने पर उसे वहां से झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था। अब कहानी कृपाराम, जिनकी पत्नी और बेटे दोनों लापता झांसी के गोरपुरा गांव निवासी कृपाराम यादव ने बताया- मैं किसानी करता हूं। डेढ़ साल पहले मेरी शादी शांतिदेवी (26) से हुई थी। 8 नवंबर को पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई। मेडिकल कॉलेज लाए तो नॉर्मल डिलेवरी हो गई। पत्नी ने बेटे को जन्म दिया। डॉक्टरों ने बच्चे को SNCU में भर्ती कर दिया। गुरुवार सुबह वार्ड से अचानक पत्नी शांतिदेवी लापता हो गई। इसके बाद शुक्रवार रात को SNCU में आग लग लग गई। अभी तक मेरा बेटा नहीं मिला है। सारे बच्चों को देख चुका हूं। हमारी मांग है कि प्रशासन बच्चा और पत्नी को ढूंढ़कर लाए।

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