FY26 में 6.5% की दर से बढ़ेगी भारतीय इकोनॉमी:कैपिटल एक्सपेंडिचर, टैक्स और ब्याज दर में कटौती से ग्रोथ को सपोर्ट; बैंकिंग सेक्टर में स्थिरता रहेगी
वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.5% से ज्यादा की दर से बढ़ेगी। यह मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2024-25 के 6.3% के अनुमान से ज्यादा है। मूडीज रेटिंग्स ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ज्यादा कैपिटल खर्च करेगी। इसके अलावा टैक्स में कटौती और ब्याज दर में कमी से खपत बढ़ेगी जिससे ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा। इस दौरान बैंकिंग सेक्टर में स्थिरता रहेगी। भारतीय बैंकों का ऑपरेटिंग एनवायरमेंट अगले वित्त वर्ष में फेवरेबल बना रहेगा। लेकिन बीते साल में जरूरी सुधार के बाद उनकी एसेट क्वालिटी में मामूली गिरावट आएगी। तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.2% रही वित्त वर्ष 2024-2025 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में GDP ग्रोथ 6.2% रही। एक साल पहले की समान तिमाही (Q3 FY24) में ये 8.4% रही थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने 28 फरवरी को ये डेटा जारी किया। वित्त वर्ष 2024-2025 में इकोनॉमी के 6.5% की दर से बढ़ने का अनुमान है। इससे पहले जनवरी में जारी किए गए अनुमान में 2024-25 के लिए विकास दर 6.4% आंकी गई थी, जो 4 साल का निचला स्तर है। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में GDP ग्रोथ रेट 8.2% थी। बीते 5 साल का GDP का हाल GDP क्या है? इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए GDP का इस्तेमाल होता है। ये देश के भीतर एक तय समय में बनाए गए सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को दिखाती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं उन्हें भी शामिल किया जाता है। दो तरह की होती है GDP GDP दो तरह की होती है। रियल GDP और नॉमिनल GDP। रियल GDP में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है। फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। वहीं नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करंट प्राइस पर किया जाता है। कैसे कैलकुलेट की जाती है GDP? GDP को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। GDP=C+G+I+NX, यहां C का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन, G का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, I का मतलब इन्वेस्टमेंट और NX का मतलब नेट एक्सपोर्ट है। GDP की घट-बढ़ के लिए जिम्मेदार कौन है? GDP को घटाने या बढ़ाने के लिए चार इम्पॉर्टेंट इंजन होते हैं। पहला है, आप और हम। आप जितना खर्च करते हैं, वो हमारी इकोनॉमी में योगदान देता है। दूसरा है, प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ। ये GDP में 32% योगदान देती है। तीसरा है, सरकारी खर्च। इसका मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है। इसका GDP में 11% योगदान है। और चौथा है, नेट डिमांड। इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है, क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट GPD पर निगेटिव ही पड़ता है।

FY26 में 6.5% की दर से बढ़ेगी भारतीय इकोनॉमी
न्यूज बाय indiatwoday.com
भारत की आर्थिक स्थिति
भारतीय इकोनॉमी FY26 में 6.5% की दर से बढ़ने की संभावना है, जिससे देश के विकास की गति को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह खबर व्यापक रूप से चर्चा में है क्योंकि अर्थशास्त्री इसे बढ़ते कैपिटल एक्सपेंडिचर, टैक्स में कटौती और ब्याज दरों में सुधार के फायदों के साथ जोड़कर देख रहे हैं।
कैपिटल एक्सपेंडिचर का महत्व
सरकार द्वारा कैपिटल एक्सपेंडिचर को बढ़ावा देना भारतीय अर्थव्यवस्था के स्थायी विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार होगा, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और प्रतिस्पर्धात्मकता में इजाफा होगा।
टैक्स में कटौती
टैक्स में संभावित कटौती भी व्यापारियों और उपभोक्ताओं को प्रोत्साहन दे सकती है। इससे न केवल खर्च बढ़ेगा, बल्कि देश में कंज्यूमर डिमांड में भी इजाफा होगा। आर्थिक गतिविधियों में इस तरह वो बढ़ोत्तरी देश की ग्रोथ को काफी स्टेबल बनाएगी।
ब्याज दरों में बदलाव
ब्याज दरों में कटौती करने से वित्तीय साबितता बढ़ेगी और व्यवसायों के लिए पूंजी जुटाना आसान होगा। इससे निवेशक भी आकर्षित होंगे और देश में अधिक निवेश आएगा।
बैंकिंग सेक्टर में स्थिरता
बैंकिंग सेक्टर की स्थिरता भारतीय इकोनॉमी के लिए एक सकारात्मक संकेत है। जब बैंकों में स्थिरता होती है, तो इसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता और व्यवसाय दोनों को उधारी लेने में सरलता होती है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आती है।
निष्कर्ष
FY26 में 6.5% की वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए, भारत को लगातार आर्थिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। कैपिटल एक्सपेंडिचर, टैक्स में कमी और ब्याज दरों का उचित प्रबंधन इस दृष्टि को साकार कर सकता है।
इसके साथ ही, भारतीय बैंकिंग सेक्टर में स्थिरता बनाए रखने से आर्थिक विकास की राह प्रशस्त करेगी।
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