IIT कानपुर ने अनलक्ष्य मेटामटेरियल सरफेस क्लोकिंग सिस्टम लॉन्च किया:डिफेंस को मजबूत करने की दिशा में किया काम, 90% स्वेदशी सामग्री का हुआ प्रयोग

IIT कानपुर ने मेटामटेरियल सरफेस क्लोकिंग सिस्टम (अनलक्ष्य MSCS) लॉन्च किया। ये शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा विकसित किया गया है। ये प्रणाली मल्टीस्पेक्ट्रल स्टील्थ क्षमताओं में एक नया मानदंड स्थापित करती है। इस कपड़े को पहनने का बाद जवान दुश्मन की रडार पर नहीं आएंगे। इस अनावरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित उपस्थित थे। लेफ्टिनेंट जनरल चेरिश मैथसन और एयर मार्शल राजेश कुमार भी अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इन्होंने तैयार किया MSCS को MSCS उपकरण IIT कानपुर भौतिकी विभाग के प्रो. अनंथा रामकृष्ण, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. कुमार वैभव श्रीवास्तव और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. जे रामकुमार के दिमाग की उपज है। इनके छात्रों की टीम गगनदीप सिंह, डॉ. काजल चौधरी और डॉ. अभिनव भारद्वाज के साथ-साथ अन्य पीएचडी विद्वानों के द्वारा विकसित किया गया है। यह कपड़ा आधारित ब्रॉडबैंड मेटामटेरियल माइक्रोवेव अवशोषक एक व्यापक स्पेक्ट्रम है, जो कि सभी तरंग के अवशोषण प्रदान करता है। इसके चलते दुश्मनों की रडार जवान नहीं आ पाएंगे। रक्षा बलों की स्थिति को मजबूत करेगा IIT कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने कहा, हमें उम्मीद है कि यह नवाचार हमारे रक्षा बलों की स्थिति को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा। मुझे विश्वास है कि आईआईटी कानपुर रक्षा क्षेत्र के लिए उभरने वाली ऐसी कई और तकनीकों का नेतृत्व करेगा। अनलक्ष्य MSCS को रक्षा और सुरक्षा अनुप्रयोगों के लिए स्टील्थ तकनीक में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए इसे डिजाइन किया गया है। व्यापक स्पेक्ट्रम में नियर-परफेक्ट वेब अब्सॉर्प्शन की पेशकश करके, यह सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) इमेजिंग का मुकाबला करने की क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाता है, और रडार मार्गदर्शन का उपयोग करने वाली मिसाइलों से भी प्रभावी सुरक्षा प्रदान करेगा।’ 90% स्वदेशी सामग्री प्रयोग की गई उन्होंने बताया कि MSCS को बनाने के लिए 90% से अधिक स्वदेशी सामग्री का प्रयोग किया गया है। इस तकनीक को विकसित करने के लिए मेटा तत्व सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को लाइसेंस दिया गया है, जो इसके निर्माण और तैनाती की देखरेख करेगा। यह प्रणाली वर्तमान में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा अधिग्रहण के अधीन है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इसके रणनीतिक महत्व का संकेत देता है। एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने कहा, "यह क्रांतिकारी कैमोफ्लाज तकनीक आज सेनाओं के सामने सबसे बड़ी परिचालन चुनौतियों में से एक: आधुनिक खुफिया, निगरानी और टोही प्रणालियों की व्यापक और सटीक पहुंच का मुकाबला करने में एक साहसिक छलांग का प्रतिनिधित्व करती है।" ये तकनीक मील का पत्थर साबित होगा एयर मार्शल राजेश कुमार ने कहा, "इस तकनीक का लॉन्च एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि इस सामग्री के भविष्य के उपयोग दुनिया भर के संघर्षों में युद्ध के मैदानों पर पहले से ही दिखाई दे रहे हैं। तकनीकी रूप से युद्ध के वातावरण में, हमने देखा है कि युद्ध के मैदान की पारदर्शिता कैसे संचालन की प्रगति को धीमा कर देती है। यह गर्व का विषय है कि यह तकनीक दुनिया में अग्रणी है। मैं इस विकास के पीछे की टीम को बधाई देता हूं।" सबसे बड़ा खतरा सिंथेटिक अपर्चर रडार लेफ्टिनेंट जनरल चेरिश मैथसन ने कहा, "जब हमें 2019 में पता चला कि सैन्य गतिविधियों के लिए सबसे बड़ा खतरा सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर) है, तो हमें पता नहीं था कि यह अभूतपूर्व आविष्कार आईआईटी कानपुर की टीम के द्वारा पहले ही विकसित किया जा चुका है।"

Nov 27, 2024 - 12:15
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IIT कानपुर ने अनलक्ष्य मेटामटेरियल सरफेस क्लोकिंग सिस्टम लॉन्च किया:डिफेंस को मजबूत करने की दिशा में किया काम, 90% स्वेदशी सामग्री का हुआ प्रयोग
IIT कानपुर ने मेटामटेरियल सरफेस क्लोकिंग सिस्टम (अनलक्ष्य MSCS) लॉन्च किया। ये शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा विकसित किया गया है। ये प्रणाली मल्टीस्पेक्ट्रल स्टील्थ क्षमताओं में एक नया मानदंड स्थापित करती है। इस कपड़े को पहनने का बाद जवान दुश्मन की रडार पर नहीं आएंगे। इस अनावरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित उपस्थित थे। लेफ्टिनेंट जनरल चेरिश मैथसन और एयर मार्शल राजेश कुमार भी अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इन्होंने तैयार किया MSCS को MSCS उपकरण IIT कानपुर भौतिकी विभाग के प्रो. अनंथा रामकृष्ण, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. कुमार वैभव श्रीवास्तव और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. जे रामकुमार के दिमाग की उपज है। इनके छात्रों की टीम गगनदीप सिंह, डॉ. काजल चौधरी और डॉ. अभिनव भारद्वाज के साथ-साथ अन्य पीएचडी विद्वानों के द्वारा विकसित किया गया है। यह कपड़ा आधारित ब्रॉडबैंड मेटामटेरियल माइक्रोवेव अवशोषक एक व्यापक स्पेक्ट्रम है, जो कि सभी तरंग के अवशोषण प्रदान करता है। इसके चलते दुश्मनों की रडार जवान नहीं आ पाएंगे। रक्षा बलों की स्थिति को मजबूत करेगा IIT कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने कहा, हमें उम्मीद है कि यह नवाचार हमारे रक्षा बलों की स्थिति को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा। मुझे विश्वास है कि आईआईटी कानपुर रक्षा क्षेत्र के लिए उभरने वाली ऐसी कई और तकनीकों का नेतृत्व करेगा। अनलक्ष्य MSCS को रक्षा और सुरक्षा अनुप्रयोगों के लिए स्टील्थ तकनीक में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए इसे डिजाइन किया गया है। व्यापक स्पेक्ट्रम में नियर-परफेक्ट वेब अब्सॉर्प्शन की पेशकश करके, यह सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) इमेजिंग का मुकाबला करने की क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाता है, और रडार मार्गदर्शन का उपयोग करने वाली मिसाइलों से भी प्रभावी सुरक्षा प्रदान करेगा।’ 90% स्वदेशी सामग्री प्रयोग की गई उन्होंने बताया कि MSCS को बनाने के लिए 90% से अधिक स्वदेशी सामग्री का प्रयोग किया गया है। इस तकनीक को विकसित करने के लिए मेटा तत्व सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को लाइसेंस दिया गया है, जो इसके निर्माण और तैनाती की देखरेख करेगा। यह प्रणाली वर्तमान में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा अधिग्रहण के अधीन है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इसके रणनीतिक महत्व का संकेत देता है। एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने कहा, "यह क्रांतिकारी कैमोफ्लाज तकनीक आज सेनाओं के सामने सबसे बड़ी परिचालन चुनौतियों में से एक: आधुनिक खुफिया, निगरानी और टोही प्रणालियों की व्यापक और सटीक पहुंच का मुकाबला करने में एक साहसिक छलांग का प्रतिनिधित्व करती है।" ये तकनीक मील का पत्थर साबित होगा एयर मार्शल राजेश कुमार ने कहा, "इस तकनीक का लॉन्च एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि इस सामग्री के भविष्य के उपयोग दुनिया भर के संघर्षों में युद्ध के मैदानों पर पहले से ही दिखाई दे रहे हैं। तकनीकी रूप से युद्ध के वातावरण में, हमने देखा है कि युद्ध के मैदान की पारदर्शिता कैसे संचालन की प्रगति को धीमा कर देती है। यह गर्व का विषय है कि यह तकनीक दुनिया में अग्रणी है। मैं इस विकास के पीछे की टीम को बधाई देता हूं।" सबसे बड़ा खतरा सिंथेटिक अपर्चर रडार लेफ्टिनेंट जनरल चेरिश मैथसन ने कहा, "जब हमें 2019 में पता चला कि सैन्य गतिविधियों के लिए सबसे बड़ा खतरा सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर) है, तो हमें पता नहीं था कि यह अभूतपूर्व आविष्कार आईआईटी कानपुर की टीम के द्वारा पहले ही विकसित किया जा चुका है।"

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