IPS रश्मि शुक्ला फिर बनीं महाराष्ट्र DGP:चुनाव से पहले कांग्रेस की शिकायत पर इलेक्शन कमीशन ने पद से हटाने का निर्देश दिया था
महाराष्ट्र सरकार ने IPS अधिकारी रश्मि शुक्ला को राज्य की पुलिस महानिदेशक (DGP) और पुलिस बल के प्रमुख के रूप में फिर से बहाल कर दिया है। विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस की शिकायत पर इलेक्शन कमीशन ने रश्मि शुक्ला को उनके पद से हटाने का निर्देश दिया था। दरअसल, महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने रश्मि शुक्ला को भाजपा का करीबी बताते हुए पद से हटाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि भाजपा ने अपने चुनावी फायदे के लिए रश्मि शुक्ला को इस पद पर बैठाया था। इसके बाद शुक्ला को 4 नवंबर को अनिवार्य अवकाश पर भेजा गया था, जबकि उनकी जगह वरिष्ठ IPS अधिकारी संजय कुमार वर्मा को एक्टिंग DGP नियुक्त किया गया था। रश्मि के ट्रांसफर को लेकर शरद पवार ने कहा था कि चुनाव आयोग ने सही फैसला किया है। हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। रश्मि शुक्ला की दोबारा नियुक्ति की संभावना पर पटोले ने आपत्ति जताई थी नाना पटोले ने महाराष्ट्र चुनाव से कुछ दिन पहले राज्यपाल, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और अन्य को पत्र लिखकर रश्मि शुक्ला को फिर से महाराष्ट्र डीजीपी के तौर पर नियुक्त किए जाने की संभावना पर आपत्ति जताई थी। हालांकि, 23 नवंबर को चुनाव परिणामों की घोषणा और चुनावी प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव आयोग ने आचार संहिता खत्म होने का ऐलान किया, जिसके बाद सोमवार को राज्य सरकार ने शुक्ला का अनिवार्य अवकाश खत्म कर दिया और उन्हें डीजीपी के रूप में अपना कार्यभार फिर से संभालने का निर्देश दिया। महाराष्ट्र की पहली महिला DGP हैं रश्मि शुक्ला वरिष्ठ IPS अधिकारी रश्मि शुक्ला महाराष्ट्र की पहली महिला डीजीपी बनने का गौरव हासिल कर चुकी हैं। 1988 बैच की महाराष्ट्र कैडर की अधिकारी रश्मि, सशस्त्र सीमा बल की महानिदेशक के पद पर भी कार्य कर चुकी हैं। इसके अलावा, रश्मि शुक्ला ने 22 साल की उम्र में IPS बनने का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया है। इस साल जून में उनका रिटायरमेंट तय था, लेकिन सरकार ने उनका कार्यकाल बढ़ा दिया। खुफिया विभाग की प्रमुख के तौर पर रहीं चर्चा में महाविकास अघाड़ी सरकार के कार्यकाल के दौरान रश्मि शुक्ला महाराष्ट्र के खुफिया विभाग की प्रमुख थीं। इस दौरान कुछ वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं के अवैध फोन टैपिंग को लेकर उनके खिलाफ तीन मामले दर्ज किए गए। पहली FIR मुंबई में दर्ज हुई, जिसमें शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत और एनसीपी नेता एकनाथ खडसे के फोन टैप करने के आरोप लगाए गए थे।
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