आकस्मिक अग्निकांड की तैयारियो में कुशीनगर जिला अस्पताल फेल:सात सालों से टंगे फायर सिलेंडर धूल फाक रहे, प्रशासन ने सुधार का भरोसा दिलाया
झांसी में हुए अग्निकांड के बाद कुशीनगर जिले के जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज प्रशासन की नींद खुली है। फायर फाइटिंग उपकरणों को दुरुस्त करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है, लेकिन अस्पताल में मरीजों का इलाज रोजाना किया जाता है और अग्निकांड से बचाव के लिए कोई भी ठोस तैयारी अब तक नहीं थी। कुछ अग्निस्मयन यंत्र लगे हुए थे, लेकिन इनमें से ज्यादातर एक्सपायर हो चुके थे और कई सालों से उनका सही तरीके से रखरखाव नहीं किया गया था। फायर सेफ्टी उपकरणों में खामियां दैनिक भास्कर की टीम ने कुशीनगर जिला अस्पताल में फायर सुरक्षा व्यवस्था की जांच की। यहां पाया गया कि फायर सेफ्टी सिलेंडर एक्सपायर हो चुके थे और कई सिलेंडरों पर धूल-मिट्टी जमा हुई थी। पीकू वार्ड में 2017 में लगाए गए फायर सिलेंडर न तो रिफिल हुए थे और न ही एक्सपायर होने के बाद बदले गए थे। अन्य वार्डों में भी यही स्थिति थी, जिससे अस्पताल की फायर सुरक्षा व्यवस्था की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता था। जिला अस्पताल में सुरक्षा की हालत कुशीनगर मेडिकल कॉलेज के निर्माण के चलते जिला अस्पताल में फायर फाइटिंग सिस्टम की व्यवस्था अभी भी कामकाजी स्थिति में है। अगर यहां किसी प्रकार की अग्नि दुर्घटना होती है, तो तत्काल मदद के लिए अस्पताल पूरी तरह से तैयार नहीं था। जब इस लापरवाही को कैमरे में कैद किया गया, तो अस्पताल प्रशासन की नींद खुली और फायर सिलेंडरों को दुरुस्त करने की कार्रवाई शुरू की गई। प्रिंसिपल ने दी सुधार की गारंटी इस मामले पर जब कुशीनगर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल आरके शाही से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि फायर फाइटिंग सिस्टम की मरम्मत और दुरुस्त करने का कार्य तेजी से चल रहा है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि अगले 10 से 15 दिनों के भीतर पूरी फायर फाइटिंग व्यवस्था को ठीक कर लिया जाएगा और जिन फायर सिलेंडरों की एक्सपायरी हो चुकी थी, उन्हें भी आज शाम तक दुरुस्त कर लिया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि पहले भी इस पर ध्यान दिया गया था, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से परेशानी आई थी, जिसे अब शीघ्र दूर कर लिया जाएगा। नीचे देखें खबर से जुड़ी तस्वीरें...
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