आगरा में गोवर्धन पूजा से छप्पन भोग महोत्सव का शुभारंभ:श्री गिरिराज जी सेवा मण्डल परिवार ने किया अन्नकूट प्रसादी का आयोजन

आगरा में मंगलवार को श्री गिरिराज जी सेवा मण्डल परिवार बिजलीघर स्थित श्रीराम हनुमान मंदिर में गोर्वधन महाराज की पूजा की गयी। गोर्वधन पूजन पर गिरिराज जी महाराज को मनमोहक श्रंगार से सजाया गया। गोर्वधन पूजन के साथ प्रतीकात्मक रूप से गोर्वधन में 29 व 30 दिसम्बर को सजने वाले 16वें छप्पन भोग महोत्सव का शुभारम्भ भी हुआ। संस्थापक नितेश अग्रवाल ने बताया कि दिव्य छप्पन भोग महोत्सव के लिये 16 दिसम्बर को गौ माता का छप्पन भोग, 27 को मेंहदी उत्सव, 29 को गोर्वधन में दुग्ध धार परिक्रमा और 30 को साधू सेवा छप्पन भोग व विशाल भण्डारा आयोजित किया जायेगा। सभी भक्तों ने दर्शन कर गोर्वधन महाराज की रोली, खील, बतासे से पूजा अर्चना कर परिक्रमा लगाई। भक्तों ने मैं तो गोर्वधन कूं जाऊं मेरे मीत.. मानसी गंगा श्री हरि देव गिरधर की परिक्रमा दे.. गोर्वधन महाराज तेरे माथे मुकुट विराज रहो.. आदि के जयकारों के साथ अन्नकूट की प्रसादी ग्रहण की। इस अवसर पर संरक्षक मयंक अग्रवाल, रविंद्र अग्रवाल, वीरेंद्र सिंघल, अशोक खंदौली, विशाल बंसल, अशोक खंदौली, विकास जैन, कुलभूषण गुप्ता, अंकुर अग्रवाल, अजय शिवहरे, अनिल कैला, संतोष मित्तल, विजय तार, शिवानी सिंघल, आशी अग्रवाल, रुचि बंसल, अनीता अग्रवाल आदि ने जयकारों के साथ गोर्वधन महाराज की परिक्रमा की। पौराणिक है छप्पन भोग की परम्परा संरक्षक मयंक अग्रवाल ने बताया कि जब भगवान श्री कृष्ण ब्रजवासियों को बचाने के लिये सात दिनों तक बिना कुछ खाए गोर्वधन पर्वत को उठाए रहे। तब इंद्र देव शांत हुये और आठवें दिन बारिश रुकी। तब सभी ने यशोदा से पूछा कि वह अपने लल्ला को कैसे खाना खिलाती हैं, तो उन्होंने बताया कि वह कान्हा को दिन में आठ बार खाना खिलाती है। इस प्रकार गोकुल निवासियों ने कुल छप्पन प्रकार के भोजन प्रत्येक दिन के लिये आठ व्यंजन तैयार किये। जो श्री कृष्ण जी को पसंद थे और इस तरह छप्पन भोग का आयोजन शुरू हुआ।

Nov 5, 2024 - 17:55
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आगरा में गोवर्धन पूजा से छप्पन भोग महोत्सव का शुभारंभ:श्री गिरिराज जी सेवा मण्डल परिवार ने किया अन्नकूट प्रसादी का आयोजन
आगरा में मंगलवार को श्री गिरिराज जी सेवा मण्डल परिवार बिजलीघर स्थित श्रीराम हनुमान मंदिर में गोर्वधन महाराज की पूजा की गयी। गोर्वधन पूजन पर गिरिराज जी महाराज को मनमोहक श्रंगार से सजाया गया। गोर्वधन पूजन के साथ प्रतीकात्मक रूप से गोर्वधन में 29 व 30 दिसम्बर को सजने वाले 16वें छप्पन भोग महोत्सव का शुभारम्भ भी हुआ। संस्थापक नितेश अग्रवाल ने बताया कि दिव्य छप्पन भोग महोत्सव के लिये 16 दिसम्बर को गौ माता का छप्पन भोग, 27 को मेंहदी उत्सव, 29 को गोर्वधन में दुग्ध धार परिक्रमा और 30 को साधू सेवा छप्पन भोग व विशाल भण्डारा आयोजित किया जायेगा। सभी भक्तों ने दर्शन कर गोर्वधन महाराज की रोली, खील, बतासे से पूजा अर्चना कर परिक्रमा लगाई। भक्तों ने मैं तो गोर्वधन कूं जाऊं मेरे मीत.. मानसी गंगा श्री हरि देव गिरधर की परिक्रमा दे.. गोर्वधन महाराज तेरे माथे मुकुट विराज रहो.. आदि के जयकारों के साथ अन्नकूट की प्रसादी ग्रहण की। इस अवसर पर संरक्षक मयंक अग्रवाल, रविंद्र अग्रवाल, वीरेंद्र सिंघल, अशोक खंदौली, विशाल बंसल, अशोक खंदौली, विकास जैन, कुलभूषण गुप्ता, अंकुर अग्रवाल, अजय शिवहरे, अनिल कैला, संतोष मित्तल, विजय तार, शिवानी सिंघल, आशी अग्रवाल, रुचि बंसल, अनीता अग्रवाल आदि ने जयकारों के साथ गोर्वधन महाराज की परिक्रमा की। पौराणिक है छप्पन भोग की परम्परा संरक्षक मयंक अग्रवाल ने बताया कि जब भगवान श्री कृष्ण ब्रजवासियों को बचाने के लिये सात दिनों तक बिना कुछ खाए गोर्वधन पर्वत को उठाए रहे। तब इंद्र देव शांत हुये और आठवें दिन बारिश रुकी। तब सभी ने यशोदा से पूछा कि वह अपने लल्ला को कैसे खाना खिलाती हैं, तो उन्होंने बताया कि वह कान्हा को दिन में आठ बार खाना खिलाती है। इस प्रकार गोकुल निवासियों ने कुल छप्पन प्रकार के भोजन प्रत्येक दिन के लिये आठ व्यंजन तैयार किये। जो श्री कृष्ण जी को पसंद थे और इस तरह छप्पन भोग का आयोजन शुरू हुआ।

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