ऑनलाइन टैक्सी बुकिंग में भेदभाव का मामला संसद पहुंचा:आईफोन यूजर से ज्यादा किराया वसूलने का आरोप; सरकार बोली- जांच चल रही है
ओला और उबर जैसी कैब कंपनियों पर आईफोन और एंड्रॉयड यूजर्स से अलग-अलग किराया वसूलने के आरोपों को लेकर सरकार ने बुधवार को संसद में जवाब दिया। उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि इस मामले को गंभीरता से लिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है। दरअसल आरोप है कि ओला और उबर जैसी कंपनियां आईफोन यूजर्स से ज्यादा किराया वसूल रही हैं, जबकि एंड्रॉयड यूजर्स को वही राइड सस्ती मिलती है। जनवरी में एक सर्वे में यह खुलासा भी हुआ कि एक ही राइड के लिए दोनों ऑपरेटिंग सिस्टम पर अलग-अलग कीमतें देखी गईं। एक्स्पर्ट्स इसे ‘डार्क पैटर्न’ का मामला बता रहे हैं। इसमें कीमतों में गैर-वाजिब बदलाव, जबरन वसूली और छिपे हुए शुल्क शामिल हो सकते हैं। यह करना कंज्यूमर कानून के तहत गैर-कानूनी है। कंपनियों ने आरोपों का खंडन किया, सरकार ने जांच का आदेश दिया आईफोन यूजर की शिकायत पर उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने 10 फरवरी को पत्र जारी कर कंपनियों से जवाब मांगा था। इन आरोपों को ओला और उबर ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया। इसके बाद सरकार ने मामले को डीजी (जांच) के पास विस्तृत जांच के लिए भेज दिया है। नियम के अनुसार, किराये में भेदभाव करना गैर कानूनी रेगुलर कस्टमर को अमाउंट ज्यादा दिखाते हैं एप सोशल मीडिया पर इन स्क्रीन शॉट्स के शेयर होने के बाद हमने भी आईफोन और एंड्रॉयड डिवाइस में ओला एप पर भोपाल के एमपी नगर से राजाभोज एयरपोर्ट का किराया चेक किया। इसमें हमें एंड्रॉयड में किराया 310-301 रुपए दिखा रहा था। वहीं आईफोन में ये किराया 322-368 रुपए था। वहीं दूसरी बार चेक करने पर एंड्रॉयड में ज्यादा किराया बता रहा था। यानी, कई जगह एंड्रॉयड में पैसा ज्यादा है और कहीं आइफोन में। एक्सपर्ट बताते हैं कि ऐसा यूजर बिहेवियर के कारण होता है। आप रेगुलर कस्टमर हैं तो आपको पैसा ज़्यादा ही लगेगा भले आपका डिवाइस कोई सा भी हो क्योंकि एप आपकी हर एक्टिविटी को ट्रैक करता है। ये खबर भी पढ़ें... आज का एक्सप्लेनर:iPhone में एंड्रॉइड से ज्यादा किराया क्यों, ओला-उबर से सरकार ने मांगा जवाब राहुल को ऑफिस से घर जाने के लिए राइड बुक करनी थी। गाड़ी जल्दी मिल जाए, इसलिए अपने दोनों फोन से कोशिश करने लगा। राइड कन्फर्म हुई, तो एंड्राइड फोन में 290 रुपए किराया था, जबकि iPhone में 342 रुपए। मोबाइल के आधार पर कीमतों में फर्क की ऐसी शिकायतों से सोशल मीडिया भरा हुआ है। पूरी खबर पढ़ें...

ऑनलाइन टैक्सी बुकिंग में भेदभाव का मामला संसद पहुंचा
हाल ही में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसमें ऑनलाइन टैक्सी बुकिंग प्लेटफार्मों पर भेदभाव का आरोप लगाया गया है। विशेष रूप से, आईफोन यूजर्स से ज्यादा किराया वसूलने का मामला संसद में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मामले पर सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि जांच चल रही है।
क्या है मामला?
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब कुछ यूजर्स ने सोशल मीडिया पर शिकायतें कीं कि उनके आईफोन के इस्तेमाल के दौरान उन्हें अधिक किराया चार्ज किया गया। शिकायतों के अनुसार, आईफोन यूजर्स को एंड्रॉइड यूजर्स की तुलना में 20% अधिक चार्ज किया जा रहा था। यह आरोप ऐसे समय पर उठे हैं जब यातायात सेवाओं में समानता और निष्पक्षता की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है।
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार ने इस मामले पर गंभीरता से ध्यान देते हुए कहा है कि वे इस आरोप की जांच कर रहे हैं। एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा, "हमें ऐसे मामलों की जांच करने की आवश्यकता है, जहां तकनीक के आधार पर भेदभाव होने का संदेह होता है। हम सुनिश्चित करेंगे कि सभी यूजर्स को समान सेवाएं प्राप्त हों।"
खुले議 की आवश्यकता
इस मामले ने कई उपयोगकर्ताओं और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं को आंदोलित कर दिया है। उनका कहना है कि समय आ गया है कि इस समस्या का समाधान किया जाए और सभी टैक्सी सर्विस प्रदाताओं को एक समान नीति अपनाने के लिए बाध्य किया जाए। यह भी महत्वपूर्ण है कि ऐसी प्रथाओं के खिलाफ ठोस नियम बनाए जाएं जो तकनीकी आधार पर भेदभाव को बढ़ावा दें।
उपयोगकर्ता की आवाज
ये विवाद तब और भी बढ़ गया जब संतुलित सेवा की मांग करने वाले उपयोगकर्ताओं ने अपने अनुभव साझा किए। कई लोगों ने कहा कि वे इस समस्या को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं और चाहते हैं कि सरकार इससे संबंधित ठोस कदम उठाए।
इस मुद्दे पर चर्चा अभी जारी है, और इसे संसद में उठाने के बाद इसकी गंभीरता और भी बढ़ गई है। उपयोगकर्ताओं को उम्मीद है कि सरकार इस जांच को गंभीरता से लेगी और जल्द से जल्द निष्कर्ष पर पहुंचेगी।
निष्कर्ष के तौर पर, ऑनलाइन टैक्सी बुकिंग में भेदभाव के इस मामले की जांच और इसके समाधान के लिए बस हमारी अपेक्षा नहीं, बल्कि हमारी मांग भी है।
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