मथुरा में किसानों का कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन:4 घंटे धरना दिया, कोई अधिकारी ज्ञापन लेने नहीं आया; फसल नुकसान का मुआवजा रहे
मथुरा में किसानों ने फसल नुकसान के मुआवजे की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। भारतीय किसान कल्याण समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामबाबू सिंह कटैलिया के नेतृत्व में किसान टैंक चौराहे से पैदल मार्च करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे। मांट ब्लॉक के नौहझील और बाजना क्षेत्र में दो सप्ताह पहले हुई बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की फसलें प्रभावित हुई हैं। गेहूं, सरसों और आलू की फसलों को 50 से 60 प्रतिशत तक का नुकसान हुआ है। किसान नेताओं ने 15 हजार रुपये प्रति बीघा मुआवजे की मांग की है। भाकियू अराजनैतिक के मंडल अध्यक्ष राजकुमार तोमर ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन मुआवजा देने से बच रहा है। प्रदर्शन में नौहझील और बाजना के 250 से अधिक किसान शामिल हुए। किसानों ने कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार पर चार घंटे तक धरना दिया। इस दौरान सड़क पर जाम लग गया, जिसे पुलिस ने मशक्कत के बाद खुलवाया। कोई भी अधिकारी किसानों का ज्ञापन लेने नहीं आया और किसान बिना ज्ञापन दिए वापस लौट गए।

मथुरा में किसानों का कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन
मथुरा में किसानों ने अपने अधिकारों और फसल नुकसान के मुआवजे की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पर जबरदस्त प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान, किसानों ने चार घंटे तक धरना दिया, लेकिन दुर्भाग्यवश कोई भी अधिकारी ज्ञापन लेने नहीं आया। यह घटना किसानों के प्रति सरकार की अनदेखी को दर्शाती है, जो कि उनकी समस्याओं का समाधान करने में असफल रही है।
दर्शन का मुख्य कारण
किसानों ने रोकथाम के बावजूद अपने मुद्दों को उजागर करने के लिए इस तरह के प्रदर्शन का सहारा लिया। हाल ही में हुई बारिश और बेमौसम की मार से फसलों को भारी नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि सरकार को मुआवजा देना चाहिए, ताकि उनके कठिनाइयों में कुछ राहत मिल सके। इस मामले में किसानों की ओर से कई बार ज्ञापन सौंपे गए, लेकिन अधिकारियों की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई।
किसानों की मांगे
किसान संगठन के नेताओं का स्पष्ट कहना है कि यदि सरकार तुरंत कार्रवाई नहीं करती है, तो वे आगे भी बड़े प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे। मुआवजे की मांग के साथ-साथ किसानों ने अन्य समस्याओं के समाधान की भी अपील की है। उनका आरोप है कि कृषि क्षेत्र में मौजूदा नीतियां उनकी स्थिति में सुधार लाने में असफल रही हैं।
भविष्य की रणनीति
किसान संगठनों ने तय किया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं, तो वे अगले चरण में और अधिक व्यापक आंदोलन करेंगे। उन्होंने जनता से समर्थन की अपील की है, ताकि उनकी आवाज को अधिक मजबूती से उठाया जा सके। साथ ही, उन्होंने सभी किसान भाइयों को एकजुट होने का आह्वान किया है और बताया है कि एकजुटता में ही शक्ति है।
मथुरा के इस प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया है कि किसान अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए दृढ़ हैं। यह घटनाक्रम भविष्य में भी कृषि नीति और किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
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