कनाडा में 4000 करोड़ की ड्रग सुपरलैब, मास्टरमाइंड पंजाब का:10 साल पहले बतौर प्लंबर गया; परिजन बोले- गांव में कभी उसकी कहासुनी भी नहीं हुई

कनाडा में बीते दिनों अब तक की सबसे बड़ी ड्रग्स बरामदगी में पंजाब के जालंधर का कनेक्शन सामने आया है। केस का मुख्य आरोपी जालंधर के अलावलपुर के रहने वाले गगनप्रीत सिंह रंधावा को बनाया गया है। बता दें कि बरामद की गई ड्रग्स वैसी ही है जैसी पंजाब के सबसे बड़े ड्रग्स कार्टेल चलाने के आरोपों में फंसे जगदीश भोला और राजा कंदोला ड्रग्स केस में बरामद हुई थी। कनाडा में सील की फैक्ट्री में भी वैसा ही काम हो रहा था, जैसा कि पंजाब में ड्रग्स कार्टेल द्वारा किया जा रहा था। वहीं, कनाडा में गिरफ्तार मुख्य आरोपी भी भारतीय मूल का गगनप्रीत रंधावा था। RCMP को मिला था नशे का भंडार कनाडा में चल रहे सबसे बड़े अवैध ड्रग्स लैब का रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) की एक स्पेशल यूनिट ने भंडाफोड़ किया था। इसमें भारी मात्रा में ड्रग्स, केमिकल और हथियार बरामद किए गए थे। साथ ही भारतीय मूल के गगनप्रीत को इस मामले का किंगपिन बताकर गिरफ्तार किया गया था। क्राइम सीन से कनाडा पुलिस को करीब 54 किलोग्राम फेंटेनाइल, 390 किलोग्राम मेथामफेटामाइन, 35 किलोग्राम कोकीन, 15 किलोग्राम MDMA, 6 किलो भांग और 50 हजार कनाडाई डॉलर मिले थे। परिवार ने कैमरे के सामने आने से किया इनकार जालंधर के अलावलपुर स्थित गांव गोल में गगनप्रीत रंधावा की चर्चा थी। गगन का कोई भी पारिवारिक सदस्य इस मामले को लेकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं था। हालांकि, ऑफ कैमरा परिवार ने कहा- हमारा बेटा निर्दोष है। बेटे को फंसाया जा रहा है। सरगना कोई और है। रंधावा पिछले करीब 10 साल से कनाडा में रह रहा है। कनाडा में रंधावा प्लंबर था। रंधावा का अपने गांव में अक्सर आना जाना था। ग्रामीण बताते हैं कि रंधावा की गांव में कभी किसी से लड़ाई नहीं हुई। न ही ऐसे मामले में उसका नाम आया। हम लोग वकीलों की सलाह ले रहे हैं और उसके बाद अपनी अगली कार्रवाई करेंगे। वहीं, गगनप्रीत रंधावा के खिलाफ थाना अलावलपुर की पुलिस के पास भी कोई रिकॉर्ड नहीं है। पूरे गांव में सबसे बड़ा बंगला भी रंधावा का ही था। पंजाब में पकड़े गए सिंथेटिक ड्रग्स के 2 रैकेट बता दें कि पंजाब में सिंथेटिक ड्रग्स के अब तक 2 रैकेट सामने आ चुके हैं। इसमें एक राजा कंदोला का और दूसरा जगदीश भोला था। कंदोला की फैक्ट्री पर छापे के दौरान पुलिस ने 50 किलो एफेड्रिन व मेथामफेटामाइन बरामद किया था। कंदोला गैंग कनाडा और न्यूजीलैंड में सक्रिय था। ऐसे ही जगदीश भोला से भी ड्रग्स बरामद हुई थी, जोकि विदेश से अपना नेटवर्क चलाता था। जगदीश भोला कौन है और कैसे उसकी फैक्ट्री पंजाब में पकड़ी गई... इधर, पंजाब में जगदीश भोला का पंजाब पुलिस ने करीब 6 हजार करोड़ रुपए का ड्रग्स नेटवर्क ब्रेक किया था। यह कार्रवाई पंजाब पुलिस द्वारा साल 2013 में की गई थी। साल 2014 की शुरुआत में पंजाब में विभिन्न थानों में जब भोला के खिलाफ कई FIR दर्ज हो गईं तो केस को ED ने टेकओवर कर लिया था। ED ने जनवरी 2014 में भोला को गिरफ्तार किया था। उसकी 95 करोड़ रुपए की संपत्ति भी जब्त की गई थी। जगदीश सिंह उर्फ भोला पहले एक कुश्ती का खिलाड़ी था, जो बाद में पंजाब पुलिस में भर्ती हो गया था। DSP बनने के बाद वह ड्रग्स तस्करों के संपर्क में आया और बाद में उनका सरगना बन गया। पंजाब में ड्रग्स फैलाने में उसके गैंग का बहुत बड़ा हाथ है। भोला ने हिमाचल के बद्दी में लगाई थी फैक्ट्री जगदीश भोला पंजाब में सिंथेटिक ड्रग्स एम्फेटामाइन लाने वाला पहला व्यक्ति कहा जाता है। सिंथेटिक ड्रग्स को आइस या पार्टी ड्रग कहा जाता है। इसकी देश-विदेश में काफी मांग थी। भोला बाजार में उपलब्ध केमिकल की प्रोसेसिंग कर सिंथेटिक ड्रग्स तैयार करने का फॉर्मूला मिलते ही नशा कारोबार में कूद पड़ा और पंजाब सिंथेटिक ड्रग्स की तस्करी का हब बन गया। पंजाब में आइस ने 2009 में दस्तक दी थी। काउंटर इंटेलिजेंस विंग ने दो अलग-अलग मामलों में 4 किलो और 17 किलो आइस बरामद की थी। 17 किलो आइस बरनाला के कारोबारी से मिली। बाद में पुलिस ने उसकी हिमाचल के बद्दी स्थित फैक्ट्री में छापा मारा था। 2009 में ही नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ऑफ इंडिया (NCB) ने सिंथेटिक ड्रग्स कारोबार किंग जगदीश भोला को मुंबई में 25 किलो सिंथेटिक ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया था। इसके बाद एक और ड्रग किंग राजा कंदोला के समराला स्थित फार्म में चल रही सिंथेटिक ड्रग्स की फैक्ट्री पर पुलिस ने छापा मारा था। अर्जुन अवॉर्डी है पूर्व DSP जगदीश भोला 2019 के फरवरी माह में मोहाली की अदालत ने अर्जुन अवॉर्डी पूर्व खिलाड़ी और पंजाब पुलिस के पूर्व DSP जगदीश भोला को ड्रग रैकेट मामले में 12 साल कैद की सजा सुनाई थी। केस में भोला के साथ अन्य कई आरोपी भी शामिल थे। इसमें से 18 दोषियों को 6 माह से 15 साल तक कैद की सजाएं सुनाई गई थीं। अदालत ने भोला को ड्रग रैकेट के कुल 7 मामलों में से 4 में बरी कर दिया था। भोला के सभी केसों में कुल 32 लोगों को आरोपी बनाया गया था। केस में भारतीय उच्च एजेंसियों द्वारा भी जांच की गई। भोला और उसके लोगों से बरामद की गई ड्रग्स भी वैसी ही है, जैसी कनाडा में पुलिस ने बरामद की है। हजारों करोड़ रुपए की ड्रग्स बरामद हुई थी भोला के केस की जांच के दौरान पुलिस ने 935 किलो एफेड्रिन व स्यूडोफेड्रिन और 13 किलो तैयार पार्टी ड्रग बरामद की थी। इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में हजारों करोड़ रुपए थी। पुलिस जांच में सामने आया कि भोला रैकेट के जरिए 2009 से अब तक 3 सौ किलो सिंथेटिक ड्रग्स यूके, कनाडा, नीदरलैंड, आदि देशों में भेज चुका था। जगदीश भोला केस की जांच में कुछ समय बाद मुंबई पुलिस के जॉइंट ऑपरेशन में राजस्थान निवासी NRI दविंदर सिंह देव को गिरफ्तार किया गया था। इससे 50 करोड़ का स्यूडोफेड्रिन बरामद किया गया था। देव की गिरफ्तारी के बाद पता चला कि वह 3 साल से सिंथेटिक ड्रग्स कनाडा और अन्य देशों में भेज रहा था। तब पता चला कि यह रैकेट नए रूट गोल्डन ट्राइएंगल के जरिए म्यांमार-लाओस-थाइलैंड होते हुए उत्तरी अमेरिका तक चल रहा

Nov 8, 2024 - 13:25
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कनाडा में 4000 करोड़ की ड्रग सुपरलैब, मास्टरमाइंड पंजाब का:10 साल पहले बतौर प्लंबर गया; परिजन बोले- गांव में कभी उसकी कहासुनी भी नहीं हुई
कनाडा में बीते दिनों अब तक की सबसे बड़ी ड्रग्स बरामदगी में पंजाब के जालंधर का कनेक्शन सामने आया है। केस का मुख्य आरोपी जालंधर के अलावलपुर के रहने वाले गगनप्रीत सिंह रंधावा को बनाया गया है। बता दें कि बरामद की गई ड्रग्स वैसी ही है जैसी पंजाब के सबसे बड़े ड्रग्स कार्टेल चलाने के आरोपों में फंसे जगदीश भोला और राजा कंदोला ड्रग्स केस में बरामद हुई थी। कनाडा में सील की फैक्ट्री में भी वैसा ही काम हो रहा था, जैसा कि पंजाब में ड्रग्स कार्टेल द्वारा किया जा रहा था। वहीं, कनाडा में गिरफ्तार मुख्य आरोपी भी भारतीय मूल का गगनप्रीत रंधावा था। RCMP को मिला था नशे का भंडार कनाडा में चल रहे सबसे बड़े अवैध ड्रग्स लैब का रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) की एक स्पेशल यूनिट ने भंडाफोड़ किया था। इसमें भारी मात्रा में ड्रग्स, केमिकल और हथियार बरामद किए गए थे। साथ ही भारतीय मूल के गगनप्रीत को इस मामले का किंगपिन बताकर गिरफ्तार किया गया था। क्राइम सीन से कनाडा पुलिस को करीब 54 किलोग्राम फेंटेनाइल, 390 किलोग्राम मेथामफेटामाइन, 35 किलोग्राम कोकीन, 15 किलोग्राम MDMA, 6 किलो भांग और 50 हजार कनाडाई डॉलर मिले थे। परिवार ने कैमरे के सामने आने से किया इनकार जालंधर के अलावलपुर स्थित गांव गोल में गगनप्रीत रंधावा की चर्चा थी। गगन का कोई भी पारिवारिक सदस्य इस मामले को लेकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं था। हालांकि, ऑफ कैमरा परिवार ने कहा- हमारा बेटा निर्दोष है। बेटे को फंसाया जा रहा है। सरगना कोई और है। रंधावा पिछले करीब 10 साल से कनाडा में रह रहा है। कनाडा में रंधावा प्लंबर था। रंधावा का अपने गांव में अक्सर आना जाना था। ग्रामीण बताते हैं कि रंधावा की गांव में कभी किसी से लड़ाई नहीं हुई। न ही ऐसे मामले में उसका नाम आया। हम लोग वकीलों की सलाह ले रहे हैं और उसके बाद अपनी अगली कार्रवाई करेंगे। वहीं, गगनप्रीत रंधावा के खिलाफ थाना अलावलपुर की पुलिस के पास भी कोई रिकॉर्ड नहीं है। पूरे गांव में सबसे बड़ा बंगला भी रंधावा का ही था। पंजाब में पकड़े गए सिंथेटिक ड्रग्स के 2 रैकेट बता दें कि पंजाब में सिंथेटिक ड्रग्स के अब तक 2 रैकेट सामने आ चुके हैं। इसमें एक राजा कंदोला का और दूसरा जगदीश भोला था। कंदोला की फैक्ट्री पर छापे के दौरान पुलिस ने 50 किलो एफेड्रिन व मेथामफेटामाइन बरामद किया था। कंदोला गैंग कनाडा और न्यूजीलैंड में सक्रिय था। ऐसे ही जगदीश भोला से भी ड्रग्स बरामद हुई थी, जोकि विदेश से अपना नेटवर्क चलाता था। जगदीश भोला कौन है और कैसे उसकी फैक्ट्री पंजाब में पकड़ी गई... इधर, पंजाब में जगदीश भोला का पंजाब पुलिस ने करीब 6 हजार करोड़ रुपए का ड्रग्स नेटवर्क ब्रेक किया था। यह कार्रवाई पंजाब पुलिस द्वारा साल 2013 में की गई थी। साल 2014 की शुरुआत में पंजाब में विभिन्न थानों में जब भोला के खिलाफ कई FIR दर्ज हो गईं तो केस को ED ने टेकओवर कर लिया था। ED ने जनवरी 2014 में भोला को गिरफ्तार किया था। उसकी 95 करोड़ रुपए की संपत्ति भी जब्त की गई थी। जगदीश सिंह उर्फ भोला पहले एक कुश्ती का खिलाड़ी था, जो बाद में पंजाब पुलिस में भर्ती हो गया था। DSP बनने के बाद वह ड्रग्स तस्करों के संपर्क में आया और बाद में उनका सरगना बन गया। पंजाब में ड्रग्स फैलाने में उसके गैंग का बहुत बड़ा हाथ है। भोला ने हिमाचल के बद्दी में लगाई थी फैक्ट्री जगदीश भोला पंजाब में सिंथेटिक ड्रग्स एम्फेटामाइन लाने वाला पहला व्यक्ति कहा जाता है। सिंथेटिक ड्रग्स को आइस या पार्टी ड्रग कहा जाता है। इसकी देश-विदेश में काफी मांग थी। भोला बाजार में उपलब्ध केमिकल की प्रोसेसिंग कर सिंथेटिक ड्रग्स तैयार करने का फॉर्मूला मिलते ही नशा कारोबार में कूद पड़ा और पंजाब सिंथेटिक ड्रग्स की तस्करी का हब बन गया। पंजाब में आइस ने 2009 में दस्तक दी थी। काउंटर इंटेलिजेंस विंग ने दो अलग-अलग मामलों में 4 किलो और 17 किलो आइस बरामद की थी। 17 किलो आइस बरनाला के कारोबारी से मिली। बाद में पुलिस ने उसकी हिमाचल के बद्दी स्थित फैक्ट्री में छापा मारा था। 2009 में ही नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ऑफ इंडिया (NCB) ने सिंथेटिक ड्रग्स कारोबार किंग जगदीश भोला को मुंबई में 25 किलो सिंथेटिक ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया था। इसके बाद एक और ड्रग किंग राजा कंदोला के समराला स्थित फार्म में चल रही सिंथेटिक ड्रग्स की फैक्ट्री पर पुलिस ने छापा मारा था। अर्जुन अवॉर्डी है पूर्व DSP जगदीश भोला 2019 के फरवरी माह में मोहाली की अदालत ने अर्जुन अवॉर्डी पूर्व खिलाड़ी और पंजाब पुलिस के पूर्व DSP जगदीश भोला को ड्रग रैकेट मामले में 12 साल कैद की सजा सुनाई थी। केस में भोला के साथ अन्य कई आरोपी भी शामिल थे। इसमें से 18 दोषियों को 6 माह से 15 साल तक कैद की सजाएं सुनाई गई थीं। अदालत ने भोला को ड्रग रैकेट के कुल 7 मामलों में से 4 में बरी कर दिया था। भोला के सभी केसों में कुल 32 लोगों को आरोपी बनाया गया था। केस में भारतीय उच्च एजेंसियों द्वारा भी जांच की गई। भोला और उसके लोगों से बरामद की गई ड्रग्स भी वैसी ही है, जैसी कनाडा में पुलिस ने बरामद की है। हजारों करोड़ रुपए की ड्रग्स बरामद हुई थी भोला के केस की जांच के दौरान पुलिस ने 935 किलो एफेड्रिन व स्यूडोफेड्रिन और 13 किलो तैयार पार्टी ड्रग बरामद की थी। इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में हजारों करोड़ रुपए थी। पुलिस जांच में सामने आया कि भोला रैकेट के जरिए 2009 से अब तक 3 सौ किलो सिंथेटिक ड्रग्स यूके, कनाडा, नीदरलैंड, आदि देशों में भेज चुका था। जगदीश भोला केस की जांच में कुछ समय बाद मुंबई पुलिस के जॉइंट ऑपरेशन में राजस्थान निवासी NRI दविंदर सिंह देव को गिरफ्तार किया गया था। इससे 50 करोड़ का स्यूडोफेड्रिन बरामद किया गया था। देव की गिरफ्तारी के बाद पता चला कि वह 3 साल से सिंथेटिक ड्रग्स कनाडा और अन्य देशों में भेज रहा था। तब पता चला कि यह रैकेट नए रूट गोल्डन ट्राइएंगल के जरिए म्यांमार-लाओस-थाइलैंड होते हुए उत्तरी अमेरिका तक चल रहा था। राजा कंदोला के ड्रग्स कॉर्टिल का जालंधर पुलिस ने पर्दाफाश किया पंजाब के सबसे बड़े ड्रग्स कॉर्टिल चलाने वाला राजा कंदोला करीब 13 दिन पहले ही 200 करोड़ के ड्रग्स केस में बरी हुआ है। इसे लेकर पुलिस कोर्ट में आरोपों के आधार पर सबूत नहीं पेश कर पाई थी। इसके चलते कोर्ट ने कंदोला को बरी कर दिया। राजा कंदोला पर साल 2012 में नशा तस्करी की FIR दर्ज हुई थी। इसमें पुलिस ने दावा किया था उक्त ड्रग्स रैकेट करीब 200 करोड़ रुपए से ज्यादा का था। राजा कंदोला मूल रूप से नवांशहर का रहने वाला है, लेकिन 200 करोड़ के ड्रग्स कॉर्टिल का भंडाफोड़ जालंधर पुलिस ने किया था। जालंधर देहात की करतारपुर पुलिस ने कंदोला के कुछ साथियों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद कंदोला के समराला स्थित फॉर्म हाउस से पुलिस ने भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद की गई थी। 10 साल से ज्यादा जेल में रहा राजा कंदोला करीब 11 साल पहले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिल्ली के सब्जी मंडी स्टेशन से फरार हुए रंजीत सिंह उर्फ राजा कंदोला को गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस के साथ जालंधर पुलिस ने इनपुट शेयर किए थे। केस में राजा कंदोला का ड्राइवर सुखजिंदर सिंह उर्फ कमांडो भी गिरफ्तार हुआ था। उसे भी कोर्ट ने बरी कर दिया। 1 जून 2012 को जालंधर की देहात पुलिस ने ड्रग रैकेट का पर्दाफाश किया। पुलिस ने बंगा के गांव हैप्पोवाल के रहने वाले रंजीत सिंह कंदोला की पत्नी राजवंत कौर, बेटे बैली सिंह सहित 19 लोग पकड़े थे, लेकिन राजा पकड़ा नहीं गया। 14 अगस्त 2012 को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने राजा को लोधी रोड से दबोच लिया था। ED भी कर रही मामले की जांच रंजीत की पत्नी राजवंत कौर के खिलाफ भी NDPS और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में पंजाब पुलिस ने केस दर्ज किया था। राजवंत कौर के बैंक खातों से करोड़ों का लेनदेन हुआ था। इसका हिसाब आयकर विभाग को नहीं दिया गया था। राजवंत यूनान दूतावास में वीजा अधिकारी के रूप में कार्य कर चुकी है। आयकर विभाग ने 24 जून 2015 को ED को भेजे पत्र में सूचना दी थी कि राजवंत कौर विर्क ने कोई आयकर रिटर्न नहीं भरा। उसने सभी अचल संपत्तियां ड्रग की ट्रैफिकिंग के जरिए अपराध की आय से खरीदी हैं।

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