"कभी भी हो सकता है बड़ा नरसंहार":लखनऊ में डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल बोले- बांग्लादेश में हिंदू दलितों पर अत्याचार चिंताजनक; प्रधानमंत्री करें हस्तक्षेप

विधान परिषद सदस्य और डॉ. आंबेडकर महासभा ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने बांग्लादेश में हिंदू दलित समुदाय की दयनीय स्थिति पर गहरी चिंता जताई है। वीवीआईपी गेस्ट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों को "मानवाधिकार संकट" करार दिया और भारत सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। "बांग्लादेश में दलितों की स्थिति भयावह" डॉ. निर्मल ने बताया कि विभाजन के समय बांग्लादेश में दलित समुदाय की आबादी 28% थी, जो अब घटकर मात्र 6% रह गई है। उन्होंने कहा कि विभाजन के समय प्रमुख दलित नेता योगेंद्र नाथ मंडल, जो मुस्लिम लीग के प्रभाव में पूर्वी पाकिस्तान चले गए थे, बाद में वहां के दलितों पर हुए अत्याचार और जनसंहार से परेशान होकर भारत लौट आए। 28% से घटकर 6% रह गई दलितों की आबादी विभाजन के समय बांग्लादेश में दलितों की आबादी 28% थी, जो अब मात्र 6% रह गई है। डॉ. निर्मल ने 1971 और उसके बाद हुए नरसंहारों का जिक्र करते हुए हालात को भयावह बताया।1971 से अब तक दलित समुदाय पर हिंसा जारीडॉ. निर्मल ने कहा कि 1971 के युद्ध के दौरान लाखों दलितों की हत्या की गई थी। आज भी बांग्लादेश में हिंदू दलित, बौद्ध और अन्य अल्पसंख्यक कट्टरपंथी ताकतों के निशाने पर हैं। हत्याएं, मकान जलाने और महिलाओं के साथ दुराचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। भारत सरकार से हस्तक्षेप की अपील डॉ. निर्मल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बांग्लादेश में हिंदू दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की। उन्होंने सुझाव दिया कि आपातकालीन स्थिति में इन पीड़ित समुदायों को भारत में शरण देने पर भी विचार किया जाना चाहिए। "कभी भी हो सकता है बड़ा नरसंहार" डॉ. निर्मल ने चेतावनी दी कि बांग्लादेश में हालात इतने खराब हैं कि वहां किसी भी समय बड़ा नरसंहार हो सकता है। उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बताया।

Dec 4, 2024 - 14:50
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"कभी भी हो सकता है बड़ा नरसंहार":लखनऊ में डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल बोले- बांग्लादेश में हिंदू दलितों पर अत्याचार चिंताजनक; प्रधानमंत्री करें हस्तक्षेप
विधान परिषद सदस्य और डॉ. आंबेडकर महासभा ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने बांग्लादेश में हिंदू दलित समुदाय की दयनीय स्थिति पर गहरी चिंता जताई है। वीवीआईपी गेस्ट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों को "मानवाधिकार संकट" करार दिया और भारत सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। "बांग्लादेश में दलितों की स्थिति भयावह" डॉ. निर्मल ने बताया कि विभाजन के समय बांग्लादेश में दलित समुदाय की आबादी 28% थी, जो अब घटकर मात्र 6% रह गई है। उन्होंने कहा कि विभाजन के समय प्रमुख दलित नेता योगेंद्र नाथ मंडल, जो मुस्लिम लीग के प्रभाव में पूर्वी पाकिस्तान चले गए थे, बाद में वहां के दलितों पर हुए अत्याचार और जनसंहार से परेशान होकर भारत लौट आए। 28% से घटकर 6% रह गई दलितों की आबादी विभाजन के समय बांग्लादेश में दलितों की आबादी 28% थी, जो अब मात्र 6% रह गई है। डॉ. निर्मल ने 1971 और उसके बाद हुए नरसंहारों का जिक्र करते हुए हालात को भयावह बताया।1971 से अब तक दलित समुदाय पर हिंसा जारीडॉ. निर्मल ने कहा कि 1971 के युद्ध के दौरान लाखों दलितों की हत्या की गई थी। आज भी बांग्लादेश में हिंदू दलित, बौद्ध और अन्य अल्पसंख्यक कट्टरपंथी ताकतों के निशाने पर हैं। हत्याएं, मकान जलाने और महिलाओं के साथ दुराचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। भारत सरकार से हस्तक्षेप की अपील डॉ. निर्मल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बांग्लादेश में हिंदू दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की। उन्होंने सुझाव दिया कि आपातकालीन स्थिति में इन पीड़ित समुदायों को भारत में शरण देने पर भी विचार किया जाना चाहिए। "कभी भी हो सकता है बड़ा नरसंहार" डॉ. निर्मल ने चेतावनी दी कि बांग्लादेश में हालात इतने खराब हैं कि वहां किसी भी समय बड़ा नरसंहार हो सकता है। उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बताया।

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