कांग्रेस महाराष्ट्र के साथ हरियाणा की हार पर करेगी मंथन:CWC की मीटिंग में नेता प्रतिपक्ष पर हो सकता है फैसला, 4 नेता दौड़ में
हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में मिली हार पर मंथन के लिए ऑल इंडिया कांग्रेस (AICC) ने कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की मीटिंग बुला ली है। मीटिंग दोपहर बाद ढाई बजे शुरू होगी। इस मीटिंग में महाराष्ट्र के साथ ही हरियाणा पर मंथन होगा। संभावना है कि हरियाणा को लेकर राहुल गांधी कुछ बड़ा फैसला लें। पार्टी सूत्रों का कहना है कि मीटिंग में हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष और पार्टी संगठन को लेकर आए इनपुट के बाद मंथन होगा। संभावना है कि पार्टी की ओर से इस मंथन के बाद हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष और संगठन में बदलाव को लेकर घोषणा कर दी जाए। नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में 4 नेता शामिल हैं। इसमें रघुबीर कादियान, पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा, अशोक अरोड़ा और चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में ये रहे नतीजे हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली थी। BJP ने 48 सीटों पर कब्जा किया था। कांग्रेस को राज्य में 39.1 फीसदी और BJP को 39.9 फीसदी वोट मिले थे। कांग्रेस अपनी जीत को लेकर काफी आश्वस्त दिख रही थी, लेकिन परिणाम के दिन झटका मिला। महाराष्ट्र में ये रहे चुनावी नतीजे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज 16 सीटों पर जीत मिली है। गठबंधन में उसकी सहयोगी शिवसेना (उद्धव गुट) को 20 और एनसीपी (शरद गुट) को 10 सीटें मिली हैं। 2 सीटों पर समाजवादी पार्टी को भी जीत मिली है। CWC की मीटिंग में इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा... 1. अमेरिका में अडाणी समूह पर भ्रष्टाचार के लगे आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग से सरकार के लगातार इनकार करने के मुद्दे पर चर्चा किए जाने के संकेत हैं। 2. अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे दोनों राज्यों (हरियाणा-महाराष्ट्र) के परिणामों पर चर्चा कर भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयारी पर फोकस करेंगे। 3. हरियाणा में मिली हार की सबसे बड़ी वजह पार्टी नेताओं की गुटबाजी को बताया जा रहा है। प्रदेश में चुनाव में टिकट बंटवारे से सांसद कुमारी सैलजा नाराज हो गईं थी। जिसके बाद उन्होंने घर बैठकर दलित विरोधी बयान दिए थे। इस कारण से हरियाणा की गुटबाजी का मीटिंग में मुद्दा उठाया जा सकता है। हरियाणा में हार के ये 4 कारण सामने आए... पहला: जून 2023 में शक्ति सिंह गोहिल के गुजरात जाने के बाद दीपक बाबरिया को हरियाणा कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया। बाबरिया को राहुल गांधी के किचन कैबिनेट का सदस्य माना जाता है। प्रभारी बनाए जाने के बाद न तो बाबरिया संगठन तैयार कर पाए और न ही गुटबाजी को रोक पाए। साथ ही उन्होंने इसकी जानकारी केंद्रीय नेतृत्व को भी नहीं दी। दूसरा: विधानसभा चुनाव में अजय माकन हरियाणा चुनाव में स्क्रीनिंग कमेटी के प्रमुख थे। टिकट वितरण का काम स्क्रीनिंग कमेटी के पास ही रहता है। टिकट वितरण में केवल हुड्डा गुट को ही अहमियत दी गई। 89 में से 72 टिकट तो हुड्डा समर्थकों को दिए गए। इसके बाद सैलजा नाराज होकर चुनाव प्रचार से ही बाहर हो गईं। आम आदमी पार्टी (AAP) से गठबंधन की कवायद शुरू की गई तो अजय माकन और भूपेंद्र हुड्डा इसके खिलाफ थे। तीसरा: कांग्रेस ने राजस्थान के पूर्व CM अशोक गहलोत को हरियाणा का वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया था। कांग्रेस के भीतर पर्यवेक्षक का काम क्राइसिस मैनेजमेंट करना और ग्राउंड की रिपोर्ट से हाईकमान को अवगत कराना होता है। वह क्राइसिस मैनेज नहीं कर पाए। कांग्रेस के 29 बागी मैदान में उतर गए, जिसमें से एक बागी को ही कांग्रेस मना पाई। वह सैलजा और हुड्डा की लड़ाई को रोक नहीं पाए। चौथा: सुनील कानुगोलू हरियाणा में कांग्रेस की राजनीति देख रहे थे। कहा जाता है हरियाणा मांगे हिसाब का रोड मैप भी सुनील की टीम ने ही तैयार किया था। कानुगोलू के सर्वे को आधार बनाकर ही हुड्डा कैंप ने कई बड़े फैसले हाईकमान से करवाए, लेकिन कानुगोलू BJP के रणनीति को समझने में फेल रहे। जमीन पर जिस तरह से BJP ने जाट वर्सेस गैर जाट का फॉर्मूला तैयार किया, उसे भी सुनील की टीम काउंटर नहीं कर पाई। नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में ये 4 नेता हरियाणा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में 4 चेहरे शामिल हैं। सबसे आगे अनुभवी नेताओं में शामिल रघुबीर कादियान (80) का नाम सामने आ रहा है। कांग्रेस हाईकमान पार्टी में चल रही गुटबाजी के बीच सीनियर और अनुभवी नेता पर दांव खेल सकती है। हालांकि, इस दौड़ में पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा के अलावा गैर जाट चेहरे में थानेसर से विधायक अशोक अरोड़ा और पंचकूला से विधायक चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम भी चर्चा में है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को आए थे। इसके बाद विधायकों की चंडीगढ़ में मीटिंग हुई और हाईकमान को नेता प्रतिपक्ष चुनने के अधिकार दे दिए। मगर, इस पर फैसला नहीं हो पाया। इसी बीच नेता प्रतिपक्ष के बगैर ही एक सत्र भी गुजर गया। पूर्व सीएम हुड्डा ने कहा था कि महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव की वजह से इस पर फैसला नहीं हुआ। अब चूंकि यहां चुनाव खत्म हो चुके हैं और 23 नवंबर को रिजल्ट भी आ जाएगा। उसके बाद इसका ऐलान हो सकता है। इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता रहे बालमुकुंद शर्मा ने भी दावा किया था कि भूपेंद्र हुड्डा इस बार नेता प्रतिपक्ष नहीं होंगे। मगर, हुड्डा अपने करीबी यानी डॉ. रघुबीर कादियान को आगे कर अपनी राजनीति को सेफ कर सकते हैं। ऐसा कर वह हरियाणा के नेताओं में एक मैसेज देने में भी कामयाब होंगे कि कांग्रेस उनके कहने से बाहर नहीं है।
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