काशी में मां गंगा का वंदन, नव-संवतसर का अभिनंदन:शंखनाद और डमरू वादन से सूर्य का स्वागत, भव्य आरती से गूंजे गंगाघाट
हिन्दू नववर्ष के आगाज पर काशी में जगह-जगह आयोजन हुए। गंगा घाटों पर शंखनाद के साथ नव संवतसर के सूर्य का स्वागत किया गया। भव्य गंगा आरती के बीच काशी ने नए साल का उल्लास मनाया। गंगाघाट पहुंचे सनातनियों ने एक दूसरे को शुभकामनाएं देकर हिन्दू नए वर्ष का गर्मजोशी से स्वागत किया। उधर, शहर में घरों एवं गांव गलियारों को भगवा ध्वज-पताकों से सजाया गया है। घर के मुख्यद्वार पर वंदनवार लगाए गए और नए साल को लोग अपने-अपने तरीके से नए साल का जश्न मना रहे हैं। गंगा घाट पर संख्या में विदेशी पर्यटक भी आरती में शामिल हुए। RSS के गंगा समग्र की ओर से अस्सी घाट पर मां गंगा का पूजनकर देश के सुख समृद्धि की प्रार्थना की गई। रविवार सुबह गंगोत्री सेवा समिति और नमामि गंगे ने नव संवत्सर के स्वागत में मां गंगा की आरती उतारी। भगवान भास्कर को दूध से अर्ध्य देकर मां गंगा का दुग्धाभिषेक किया। सूर्यदेव से दुनिया को वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश देते हुए विश्व भर को ऊर्जा से भरने की आराधना की। अर्चकों के साथ मां गंगा की आरती के बाद मानव कल्याण की शांति और पर्यावरण संरक्षण के लिए हवन-पूजन भी किया गया। गंगोत्री सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष पं० किशोरी रमण दुबे ने आरती में मौजूद लोगों को नव संवत्सर की बधाई दी। कहा कि भारतीय नव संवत्सर की शुरुआत गंगा आरती के साथ करना काशी में शुभ और मंगलकारी माना गया है। यह आध्यात्मिक अनुभव है जो सनातनी वर्ष की शुरुआत मे सकारात्मकता और शांति प्रदान करता है। सचिव पं दिनेश शंकर दुबे ने कहा कि गंगा आरती मां गंगा की शक्ति और पवित्रता के लिए एक प्रतीकात्मक श्रद्धांजलि है। नमामि गंगे के काशी क्षेत्र संयोजक राजेश शुक्ला मयंक दुबे, गंगा आरती अर्चक व बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल रहे ।

काशी में मां गंगा का वंदन, नव-संवतसर का अभिनंदन
काशी, भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा, हर वर्ष नव-संवतसर के अवसर पर एक अद्भुत उत्सव का साक्षी बनता है। इस वर्ष भी मां गंगा के प्रति श्रद्धा और आभार के साथ शंखनाद और डमरू वादन किया गया, जिससे सूर्य का स्वागत किया गया। भव्य आरती के आयोजन से गंगाघाट गूंज उठा, जो श्रद्धालुओं के लिए अद्वितीय अनुभव था।
मां गंगा का वंदन
मां गंगा को भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व दिया गया है। यहां के लोग इस पवित्र नदी के तट पर मिलकर न केवल अपनी आस्था प्रकट करते हैं, बल्कि पुनर्जन्म और शुद्धि का प्रतीक मानते हैं। नव-संवतसर का यह अभिनंदन यहां के लोगों के लिए एक नया आरंभ लाता है। खासकर इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में गंगा की महिमा को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।
उत्सव का महत्त्व
இந்த விடுமுறையில், शंखनाद और डमरू वादन जैसे पारंपरिक संगीत के माध्यम से सूर्य की आराधना की गई। यह समारोह न केवल धार्मिक है बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। हजारों श्रद्धालु एकत्र होकर गंगाघाट पर आरती में शामिल होते हैं, जिससे माहौल आनंदमय हो जाता है।
अभूतपूर्व भव्य आरती
इस बार की भव्य आरती ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। यहां गंगाजी की आरती को लेकर श्रद्धालुओं में अपार उत्साह देखा गया। दीपक जलाने से लेकर आरती के मंत्रों की गूंज हर ओर सुनाई दी। यह एक ऐसा क्षण होता है, जब सब एक स्वर में मां गंगा की स्तुति करते हैं, और पूरा वातावरण भक्ति में लीन हो जाता है।
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निष्कर्ष
काशी में मां गंगा का वंदन और नव-संवतसर का अभिनंदन निश्चित रूप से एक गहन धार्मिक अनुभव है। यह आयोजन न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं को संजोने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इसे देखकर हर श्रद्धालु के मन में भक्ति और श्रद्धा की भावना जागृत होती है। Keywords: काशी, मां गंगा का वंदन, नव-संवतसर का अभिनंदन, शंखनाद, डमरू वादन, सूर्य का स्वागत, भव्य आरती, गंगाघाट, धार्मिक अनुभव, भारतीय संस्कृति, काशी के उत्सव, मां गंगा, आरती का आयोजन, काशी में पर्व.
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