किसान के बेटे अभिषेक सजवाण बने सेना के अफसर, पहाड़ का गर्व

रैबार डेस्क:  मन में वर्दी की चाह हो, सच्ची लगन हो तो कोई मुश्किल आडे... The post पहाड़ के लिए गौरव का पल: सेना में अफसर बना किसान का बेटा, मॉल में की थी नौकरी appeared first on Uttarakhand Raibar.

Sep 6, 2025 - 18:27
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किसान के बेटे अभिषेक सजवाण बने सेना के अफसर, पहाड़ का गर्व
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किसान के बेटे अभिषेक सजवाण बने सेना के अफसर, पहाड़ का गर्व

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कम शब्दों में कहें तो, टिहरी के चंबा के अभिषेक सजवाण को मिली सफलता ने पूरे पहाड़ को गर्वित किया है। वह अब ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से पासआउट होकर भारतीय सेना में अफसर बन चुके हैं। यह कहानी संघर्ष, मेहनत और जुनून की है।

गौरवमयी पल की शुरुआत करते हैं उत्तराखंड के टिहरी जिले के चंबा ब्लॉक के कोट गांव के निवासी अभिषेक सजवाण से। उनके पिता किसान हैं और मां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता। अभिषेक ने बचपन से ही सेना में जाने का सपना देखा था। लेकिन ऐसा होना आसान नहीं था। उन्होंने कई बार चुनौतियों का सामना किया, बार-बार रिजेक्शन के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी, जो कि दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।

संघर्ष और मेहनत के सफर की शुरुआत

अभिषेक की प्रारंभिक शिक्षा श्रीदेव सुमन राजकीय इंटर कॉलेज चंबा से हुई। यहां से शिक्षा ग्रहण करने के बाद, उन्होंने सेना में जाने की दिशा में कदम बढ़ाए। उन्हें अपने मामा से प्रेरणा मिली, जो गढ़वाल राइफल्स से रिटायर्ड हैं। अभिषेक ने होनहार छात्रों में से एक बनकर अपना नाम कमाया और डिफेंस एंड स्ट्रेटेजी में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन किया।

हालांकि इस बीच घर के खर्चों को संभालने के लिए उन्हें एक निजी मॉल में कार्य करना पड़ा। इस सरकारी नौकरी का एक साइड इफेक्ट भी हुआ - उन्होंने मेहनत और परिश्रम का असली मतलब समझा। एनसीसी में उनके अनुभव ने उन्हें सीनियर अंडर ऑफिसर का पद दिलाया, जिसके चलते वह आर्मर्ड रेजिमेंट में अटैच किए गए और नेशनल इंटिग्रेशन कैंप के लिए चुने गए।

आफिसर बनने की दिशा में महत्वपूर्ण मोड़

आर्मी के प्रति अभिषेक की गहरी रुचि और मेहनत ने उन्हें स्पेशल एंट्री स्कीम के एग्जाम में सफलता दिलाई। उन्होंने इस परीक्षा में देशभर में 51वीं रैंक हासिल की और ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में स्थान पाया। 6 सितंबर को उन्होंने ओटीए से पासआउट होकर भारतीय सेना में अफसर बनने का गर्व हासिल किया।

अभिषेक सजवाण की सफलता सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे पहाड़ के लिए एक गर्व का क्षण है। उनका यह सफर यह साबित करता है कि यदि मन में वर्दी की चाह और सच्ची लगन हो तो कोई भी मुश्किल आड़े नहीं आती।

अल्मोड़ा के पवन की सफलता

अल्मोड़ा के भतरौंजखान के दढूली गांव के पवन उफाध्याय, जो ओटीएस से ऑफिसर बने हैं, ने भी ऐसी ही कहानी पेश की है। पवन का परिवार गाजियाबाद में निवास करता है और उन्हें भारतीय सेना की पंजाब रेजीमेंट की 22वीं बटालियन में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन मिला है। उनके परिवार के समर्पण और संघर्ष ने उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस तरह की सफलताएं आज की युवा पीढ़ी को उनके लक्ष्यों की ओर प्रेरित करती हैं और उन्हें यह विश्वास दिलाती हैं कि कठिनाइयों के बावजूद, मेहनत करने से हर सपना पूरा किया जा सकता है।

अभिषेक सजवाण और पवन उफाध्याय की सफलता की कहानियां इस बात का अनुकरणीय उदाहरण हैं कि सामान्य परिस्थितियों में भी सम्मान लाना संभव है। इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए युवाओं को समय-समय पर प्रेरित होते रहना चाहिए, जिससे वे अपने सपनों को साकार कर सकें।

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सादर, टीम इंडिया टुडे - नेहा शर्मा

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