कुरुक्षेत्र चैत्र-चौदस मेले में लाखों श्रद्धालुओं ने पिंडदान किया:सरस्वती तीर्थ में लगाई डुबकी, तर्पण कर मांगी पितरों की शांति, शाम को दीपदान होगा

कुरुक्षेत्र के पिहोवा में चल रहे चैत्र चौदस मेले के दूसरे दिन तड़के ही सरस्वती तीर्थ पर श्रद्धालुओं का जमघट लग गया। लाखों श्रद्धालुओं ने पावन सरस्वती तीर्थ में डुबकी लगाकर पिंडदान और तर्पण किया। वैदिक मंत्रों की गूंज के बीच श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मिक शांति और मोक्ष की कामना की। सुबह से ही सरस्वती घाट पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। विशेष स्नान के लिए दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। पिंडदान और तर्पण के लिए पुरोहितों के पास पर लंबी कतारें लगी रहीं। पुरोहितों ने पीढ़ी दर पीढ़ी संजोए गए वंशावली बही-खातों से श्रद्धालुओं को उनके पूर्वजों की जानकारी दी। कई श्रद्धालु वर्षों बाद अपने पितरों की याद में भावुक हो उठे। प्रेत पीपल पर जल चढ़ाने की परंपरा भी विधिपूर्वक निभाई गई। मान्यता है कि यहां जल अर्पण करने से पितर तृप्त होकर परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। मेले की शाम और भी भव्य होने वाली है, क्योंकि श्रद्धालु दीपदान करेंगे। घाटों पर हजारों दीप प्रज्ज्वलित कर पितरों को समर्पित किए जाएंगे। इससे सरस्वती नदी का हर किनारा जगमगा उठेगा। कल भी होगा पिंडदान 29 मार्च मेले का अंतिम दिन है। अमावस्या पर ज्यादातर दिल्ली के श्रद्धालु पिंडदान और तर्पण करने के लिए आएंगे। हालांकि दोपहर के बाद मेला अपने अंतिम चरण में होगा। कल हिमाचल प्रदेश के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री पूजा अर्चना के लिए मेले में शिरकत करेंगे। DC ने लिया जायजा दोपहर को DC नेहा सिंह ने मेले का जायजा लिया। DC ने मेले में इंतजाम को लेकर अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए। DC ने तहसील कार्यालय का निरीक्षण भी किया। उन्होंने वहां पर चल रहे कार्यों का जायजा लिया। अधिकारियों को प्रायोरिटी से पब्लिक के काम पूरे करने के निर्देश दिए ताकि लोगों को बार-बार चक्कर न काटने पड़ें।

Mar 28, 2025 - 17:59
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कुरुक्षेत्र चैत्र-चौदस मेले में लाखों श्रद्धालुओं ने पिंडदान किया:सरस्वती तीर्थ में लगाई डुबकी, तर्पण कर मांगी पितरों की शांति, शाम को दीपदान होगा
कुरुक्षेत्र के पिहोवा में चल रहे चैत्र चौदस मेले के दूसरे दिन तड़के ही सरस्वती तीर्थ पर श्रद्धालु

कुरुक्षेत्र चैत्र-चौदस मेले में लाखों श्रद्धालुओं ने पिंडदान किया

कुरुक्षेत्र, जहां ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का अद्वितीय संगम है, अब चैत्र-चौदस मेले के दौरान लाखों श्रद्धालुओं की आवाजाही को देख रहा है। इस मेले में लोगों ने पिंडदान की अद्भुत परंपरा को पुनर्जीवित किया, जिससे पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त हो सके। News by indiatwoday.com

श्रद्धालुओं का सैलाब और पिंडदान का महत्व

इस मेले में अब तक लाखों श्रद्धालुओं ने भाग लिया है, जहां उन्होंने स्वर्गीय पितरों की शांति के लिए पिंडदान किया। पिंडदान एक संस्कार है जिसका पालन श्रद्धालु अपने परिवारीजनों की आत्मा की शांति के लिए करते हैं। कुरुक्षेत्र का यह मेला धार्मिक महत्त्व रखता है और यहां आकर श्रद्धालु अपने पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।

सरस्वती तीर्थ में डुबकी और तर्पण

श्रद्धालुओं ने सरस्वती नदी के तीर्थ स्थल में जाकर पवित्र डुबकी लगाई। डुबकी लगाना केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं बल्कि आस्था और विश्वास का प्रतीक है। इसके बाद, श्रद्धालुओं ने तर्पण किया, जिसका उद्देश्य पितरों को जल अर्पित करना और उनकी शांति की कामना करना होता है। यह प्रथा सदियों से चली आ रही है और आज भी इसे श्रद्धा और सम्मान के साथ किया जाता है।

शाम को दीपदान की तैयारियां

इस मेले का एक और मुख्य आकर्षण दीपदान है, जो शाम को होगा। दीपदान के दौरान श्रद्धालु एकत्र होकर रात्रि में दीप जलाकर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करेंगे। यह एक अद्वितीय दृश्य होता है, जहां हजारों दीयों की रौशनी एक साथ जलकर एक साथ दर्शकों को मोहित करती है।

कुरुक्षेत्र में धार्मिक पर्यटन का बढ़ता महत्व

कुरुक्षेत्र में इस प्रकार के धार्मिक मेलों का आयोजन न केवल धार्मिक महत्व को बढ़ाता है बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा देता है। श्रद्धालुओं का यहां आना स्थानीय व्यवसाय को बढ़ावा देने में मदद करता है। इस मेले के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं ताकि श्रद्धालुओं को कोई कठिनाई न हो।

इस वर्ष का चैत्र-चौदस मेला एक ऐतिहासिक घटना बनकर उभरा है, जिसमें लोगों ने एकजुट होकर अपनी धार्मिक आस्था को व्यक्त किया है। ऐसे आयोजनों से न केवल धार्मिक मूल्यों का प्रचार होता है, बल्कि यह समाज में एकता और अखंडता का भी संदेश देता है।

अंत में, हम सभी श्रद्धालुओं से अपील करते हैं कि वे इस पवित्र त्योहार का आनंद लें और अपने पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा प्रदर्शन करें।

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