कुरुक्षेत्र में शनिचरी-अमावस्या संग मेला संपन्न:5 लाख श्रद्धालुओं ने तीर्थ में डुबकी लगाई; पिंडदान-तर्पण कर पितरों की शांति मांगी; हिमाचल डिप्टी-सीएम ने पूजा की

कुरुक्षेत्र के पिहोवा में सरस्वती तीर्थ पर चल रहा 3 दिवसीय चैत्र चौदस मेला शनिचरी अमावस के साथ संपन्न हो गया। इन दौरान मेले में 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने सरस्वती तीर्थ में स्नान किया। साथ ही अपने पितरों की आत्मिक शांति के लिए पिंडदान व तर्पण किया। अंतिम दिन हिमाचल प्रदेश के डिप्टी सीएम ने भी तीर्थ पर आकर पूजा करवाई। मेले में पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर समेत विभिन्न प्रदेशों से श्रद्धालु आए थे। एकादशी पर हिमाचल प्रदेश, त्रयोदशी-चौदस पर पंजाब और अमावस्या पर दिल्ली से ज्यादातर श्रद्धालुओं ने तर्पण किया। मेले में सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। साथ ही CCTV कैमरों से निगरानी रखी गई। संस्थाओं ने लगाए भंडारे मेले में नगरवासियों और सेवाभावी संस्थाओं की तरफ से जगह-जगह भंडारे लगाए गए, जिसमें श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। वहीं लोक कलाकारों ने भक्ति गीतों और लोक नृत्यों से श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। श्रद्धालुओं ने दान-पुण्य किया। मान्यता है कि पिहोवा क्षेत्र में किया गया दान 13 दिन तक 13 गुना फलता है। डिप्टी सीएम ने पूजा की मेले के अंतिम अमावस पर हिमाचल प्रदेश के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री भी सरस्वती तीर्थ पर आए। यहां उन्होंने अपनी पत्नी के निमित्त पूजा-अर्चना करवाई। उनके साथ उनकी बेटी भी आई थीं। तीर्थ पुरोहित ने डिप्टी सीएम को उनकी वंशावली के बारे में बताया।

Mar 29, 2025 - 21:59
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कुरुक्षेत्र में शनिचरी-अमावस्या संग मेला संपन्न:5 लाख श्रद्धालुओं ने तीर्थ में डुबकी लगाई; पिंडदान-तर्पण कर पितरों की शांति मांगी; हिमाचल डिप्टी-सीएम ने पूजा की
कुरुक्षेत्र के पिहोवा में सरस्वती तीर्थ पर चल रहा 3 दिवसीय चैत्र चौदस मेला शनिचरी अमावस के साथ सं

कुरुक्षेत्र में शनिचरी-अमावस्या संग मेला संपन्न

कुरुक्षेत्र, भारत - इस वर्ष शनिचरी-अमावस्या के अवसर पर आयोजित मेला ऐतिहासिक रूप से संपन्न हुआ, जिसमें लगभग 5 लाख श्रद्धालुओं ने आस्था के साथ तीर्थ में डुबकी लगाई। तीर्थ पर स्नान करने के बाद, श्रद्धालुओं ने पितरों की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण किया, जो हिंदू परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में भक्तों ने इकट्ठा होकर धार्मिक अनुष्ठान किए और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

मुख्य आकर्षण और गतिविधियाँ

इस मेले में विभिन्न धार्मिक गतिविधियों के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। हिमाचल प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री ने अपने परिवार के साथ मिलकर पूजा विधि में भाग लिया और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। पूरे मेले के दौरान भक्तों का उत्साह देखकर यह स्पष्ट था कि यह त्योहार उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है। मेले में विशेष रूप से सजीव भजन संध्या और शास्त्रीय नृत्य कार्यक्रम ने भक्तों का ध्यान आकर्षित किया।

पिंडदान और तर्पण की महत्वता

पिंडदान और तर्पण की विशेष पूजा विधि के अंतर्गत श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और श्रद्धा व्यक्त की। धार्मिक मान्यता अनुसार, यह क्रिया पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करती है। भक्तों ने अपने-अपने परिवार के पितरों के नाम से पिंड का आयोजन किया और विधिवत रूप से तर्पण किया, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति की आशा बनी।

आस्था और श्रद्धा का महासंगम

इस मेले में शामिल होकर भक्तों ने न केवल अपनी आस्था को प्रकट किया, बल्कि समुदायिक एकता और सामाजिक सहयोग का भी अहसास कराया। बड़ी संख्या में स्वैच्छिक संगठन द्वारा सामाजिक सेवा के कार्य किए गए, जैसे कि खाने-पीने की व्यवस्था, स्वास्थ्य जांच और अन्य आवश्यक सेवाएँ। यह मेले का एक महत्वपूर्ण पहलू था, जिसमें सभी अपने-अपने योगदान देकर मानवता की सेवा कर रहे थे।

इस त्योहार पर आयोजित गतिविधियों की व्यवस्था में स्थानीय प्रशासन का योगदान भी सराहनीय रहा। उन्होंने मेले की सुरक्षा, सफाई और सुविधाओं का ध्यान रखा, जिससे श्रद्धालुओं को अच्छी सेवाएँ प्राप्त हो सकें।

समग्र रूप से, कुरुक्षेत्र में शनिचरी-अमावस्या का मेला धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक बना रहा। यह मेले हर साल श्रद्धालुओं को एकत्रित करता है और उनके लिए एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है।

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