गड़बड़झाला: प्रदूषण के आंकड़ों में हो रहा खेल:ताजमहल पर 21 साल में PM10 147 से 142 पर ला पाए, जबकि समीर एप पर 3 साल में AQI 486 से 183 पर लेआए
प्रदूषण का आकलन करने वाले आंकड़ों में खेल हो रहा है। प्रदूषण की गण्ना करने वाले उपकरणों को सरकारी मशीनरी अपने हिसाब से संचालित कर रही है। CPCB की दो रिपोर्ट इसका उदाहरण मात्र हैं। CPCB समीर एप के माध्यम से लोगों को AQI की जानकारी प्रतिदिन उपलब्ध कराता है। दूसरी ओर CPCB ताजमहल पर अलग से वायु प्रदूषण की जांच करता है। CPCB की वेबसाइड पर पिछले 21 सालों की ताजमहल पर प्रदूषण की स्थिति की रिपोर्ट है। इसके अनुसार, वर्ष 2002 में ताजमहल पर PM10 की मात्रा 147 थी। जोकि वर्ष 2023 में 142 हो गई। यानि 21 सालों में PM10 सिर्फ 5 ही कम हुआ। PM10 के माध्यम से वातावरण में धूल के कणों का आकलन किया जाता है। इसी प्रकार 2002 में ताजमहल पर SPM (सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) 376 थे, जोकि 2023 में 229 रह गए। यानि इसमें भी ज्यादा कमी नहीं आई। इस रिपोर्ट के अनुसार, ताजमहल पर पिछले 21 सालों में प्रदूषण के स्तर पर ज्यादा असर नहीं दिखाई दिया। जितना प्रदूषण वर्ष 2002 में था, वर्ष 2023 में भी लगभग उतना ही रहा। अब देखते हैं, CPCB के समीर एप की प्रदूषण रिपोर्ट के आंकड़े। वर्ष 2021 में ताजमहल के पास नवंबर में सबसे अधिक AQI 486 पहुंचा था। 8 नवंबर को इतना AQI दर्ज किया था। नवंबर 2021 में सिर्फ एक दिन ही स्वच्छ हवा रही थी। वह थी 23 नंवबर को। इस दिन AQI सिर्फ 97 था। इस एप के आंकड़ों के अनुसार, इस साल नवंबर में अब तक एक भी दिन ही हवा खराब नहीं रही है। इस नवंबर में सबसे अधिक AQI 6 नवंबर को रहा। इस दिन AQI 172 दर्ज किया गया। इस एप के आंकड़े सही माने तो CPCB 3 साल में AQI में 314 की कमी आई। ऐसे कैसे संभव है कि इन 3 सालों में प्रदूषण का स्तर इतना कम कर लिया और दूसरी रिपोर्ट के अनुसार, 21 सालों में मामूली का अंतर आया है। पर्यावरणविद डा. शरद गुप्ता के अनुसार, प्रदूषण नियंत्रण विभाग से जुड़े लोग उपकरणों से कोई न कोई छेड़छाड़ जरूर कर रहे हैं। इसलिए प्रदूषण से संबंधित आंकड़ों में इतना अंतर आ रहा है।
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