छठ पर पीतल के सूप की काशी से बिहार तक:वाराणसी में एक टन से ज्यादा पीतल के सूप बिके, दुकानदार बोले- इस बार मार्केट अच्छी

छठ महापर्व नहाय-खाय की परंपरा से शुरू हो गया। इस छठ पर्व पर पीतल के सूप का खासा महत्त्व है। ऐसे में काशी के काशीपुरा इलाके में इस पीतल के सूप के खरीदार दुकानों पर पहुंच रहे हैं। दुकानदारों की मानें तो इस वर्ष मार्किट अच्छी है। काशी के पीतल के सूप की डिमांड वाराणसी के साथ पूर्वांचल, बिहार और झारखंड तक है। काशी के पीतल के सूप के बाजार में इस वर्ष कैसा रहा कारोबार? कब से वाराणसी में बनना शुरू हो जाते हैं पीतल का सूप ? काशीपुरा के दुकानदारों का कितना हुआ कारोबार और कहां तक फैला हुआ है इसका कारोबार ? इन सब विषय पर दुकानदारों से बात की। पेश खास खबर... भादो के महीने से शुरू हो जाती है मैन्यूफैक्चरिंग काशीपुरा में पीतल के सामान का कारोबार करने वाले अंकित कुमार ने बताया- काशी के पीतल के सूप की बड़ी डिमांड है। काशी में 10 व्यापारी सूप की मैन्यूफैक्चरिंग करते हैं। यहां भादो के महीने से छठ का सूप बनना शुरू हो जाता है। नवरात्र के पहले तक इसकी मैन्यूफैक्चरिंग बंद हो जाती है। नवरात्र के बाद ऑर्डर के अनुसार इसकी डिलेवरी शुरू हो जाती है। पूर्वांचल से बिहार तक होता है व्यापार अंकित ने बताया- वाराणसी में बनने वाले सूप की डिमांड पूर्वांचल से लेकर बिहार तक है। वाराणसी के अलावा गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, बलिया, देवरिया, बस्ती, गोरखपुर। इसके अलावा बिहार के पटना, बक्सर, अररिया, सासाराम, आरा, मोहनिया आदि इलाकों में इसकी डिमांड बहुत ज्यादा है। पटना के होलसेलर बल्क में माल लेकर जाते हैं और हर साल उनका 200 से 300 किलो का ऑर्डर रहता है। 1 नंबर से लेकर 5 नंबर तक का है सूप काशीपुर में ही एक अन्य दुकानदार रामविलास यादव ने बताया- हमारे यहां 1 नंबर से 5 नंबर तक का सूप डिमांड में हैं। इसका वजन 300 ग्राम से एक किलो तक वजन होता है। दो वैरायटी का सूप मिलता है। एक 350 रुपए किलो और एक 650 रुपए किलो हमारी दुकान से अभी तक 400 किलो सूप बिक चुका है। क्वांटिटी की बात करें तो यह तकरीबन 1000 पीस है। वहीं अंकित ने बताया - हमारे यहां 3 नंबर से 5 नंबर के सूप बनते और बिकते हैं। अभी तक हमने 1 टन पीतल का सूप बेचा है। एक किलो का दाम 650 रुपए है। ऐसे में मार्केट में लोग हैं पर मार्केट में दम नहीं है। काशीपुरा में पीतल का सूप लेने उमड़ रहे लोग रामविलास यादव ने बताया- छठ महापर्व पर पीतल के सूप का महत्त्व है। इसी पीतल के सूप में पूजा सामग्री रखी जाती है और महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देती हैं। कहा जाता है कि पीतल ही भगवान सूर्य की प्रिय धातु है। ऐसे दुकान पर स्थानीय लोग भी पीतल का सूप और दिया लेने के लिए उमड़ रहे हैं। जिसे इसी सूप में जलाया जाता है भगवान् सूर्य को प्रिय है पीला रंग मान्यताओं के अनुसार- भगवान सूर्य को पीला रंग पसंद है। इसलिए महिलाऐं पीतल के सूप से पूजा करती हैं। वहीं दोष न लगे इसके लिए भी महिलाएं अब पीतल का सूप लेती हैं। बनारस के चौक ठठेरी बाजार, काशीपुरा आदि इलाकों में डाला छठ पर महिलाओं की भीड़ उमड़ती है।

Nov 6, 2024 - 07:40
 55  501.8k
छठ पर पीतल के सूप की काशी से बिहार तक:वाराणसी में एक टन से ज्यादा पीतल के सूप बिके, दुकानदार बोले- इस बार मार्केट अच्छी
छठ महापर्व नहाय-खाय की परंपरा से शुरू हो गया। इस छठ पर्व पर पीतल के सूप का खासा महत्त्व है। ऐसे में काशी के काशीपुरा इलाके में इस पीतल के सूप के खरीदार दुकानों पर पहुंच रहे हैं। दुकानदारों की मानें तो इस वर्ष मार्किट अच्छी है। काशी के पीतल के सूप की डिमांड वाराणसी के साथ पूर्वांचल, बिहार और झारखंड तक है। काशी के पीतल के सूप के बाजार में इस वर्ष कैसा रहा कारोबार? कब से वाराणसी में बनना शुरू हो जाते हैं पीतल का सूप ? काशीपुरा के दुकानदारों का कितना हुआ कारोबार और कहां तक फैला हुआ है इसका कारोबार ? इन सब विषय पर दुकानदारों से बात की। पेश खास खबर... भादो के महीने से शुरू हो जाती है मैन्यूफैक्चरिंग काशीपुरा में पीतल के सामान का कारोबार करने वाले अंकित कुमार ने बताया- काशी के पीतल के सूप की बड़ी डिमांड है। काशी में 10 व्यापारी सूप की मैन्यूफैक्चरिंग करते हैं। यहां भादो के महीने से छठ का सूप बनना शुरू हो जाता है। नवरात्र के पहले तक इसकी मैन्यूफैक्चरिंग बंद हो जाती है। नवरात्र के बाद ऑर्डर के अनुसार इसकी डिलेवरी शुरू हो जाती है। पूर्वांचल से बिहार तक होता है व्यापार अंकित ने बताया- वाराणसी में बनने वाले सूप की डिमांड पूर्वांचल से लेकर बिहार तक है। वाराणसी के अलावा गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, बलिया, देवरिया, बस्ती, गोरखपुर। इसके अलावा बिहार के पटना, बक्सर, अररिया, सासाराम, आरा, मोहनिया आदि इलाकों में इसकी डिमांड बहुत ज्यादा है। पटना के होलसेलर बल्क में माल लेकर जाते हैं और हर साल उनका 200 से 300 किलो का ऑर्डर रहता है। 1 नंबर से लेकर 5 नंबर तक का है सूप काशीपुर में ही एक अन्य दुकानदार रामविलास यादव ने बताया- हमारे यहां 1 नंबर से 5 नंबर तक का सूप डिमांड में हैं। इसका वजन 300 ग्राम से एक किलो तक वजन होता है। दो वैरायटी का सूप मिलता है। एक 350 रुपए किलो और एक 650 रुपए किलो हमारी दुकान से अभी तक 400 किलो सूप बिक चुका है। क्वांटिटी की बात करें तो यह तकरीबन 1000 पीस है। वहीं अंकित ने बताया - हमारे यहां 3 नंबर से 5 नंबर के सूप बनते और बिकते हैं। अभी तक हमने 1 टन पीतल का सूप बेचा है। एक किलो का दाम 650 रुपए है। ऐसे में मार्केट में लोग हैं पर मार्केट में दम नहीं है। काशीपुरा में पीतल का सूप लेने उमड़ रहे लोग रामविलास यादव ने बताया- छठ महापर्व पर पीतल के सूप का महत्त्व है। इसी पीतल के सूप में पूजा सामग्री रखी जाती है और महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देती हैं। कहा जाता है कि पीतल ही भगवान सूर्य की प्रिय धातु है। ऐसे दुकान पर स्थानीय लोग भी पीतल का सूप और दिया लेने के लिए उमड़ रहे हैं। जिसे इसी सूप में जलाया जाता है भगवान् सूर्य को प्रिय है पीला रंग मान्यताओं के अनुसार- भगवान सूर्य को पीला रंग पसंद है। इसलिए महिलाऐं पीतल के सूप से पूजा करती हैं। वहीं दोष न लगे इसके लिए भी महिलाएं अब पीतल का सूप लेती हैं। बनारस के चौक ठठेरी बाजार, काशीपुरा आदि इलाकों में डाला छठ पर महिलाओं की भीड़ उमड़ती है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow