जश्न-ए- मौजशाही का आयोजन: कवि सम्मेलन व मुशायरे वो जहाँ बेकरार बैठेगा, दिल वहाँ बार बार बैठेगा… प्रस्तुति पर बजी तालियां - देखें इंडिया टुडे.
सिविल लाइंस स्थित स्टॉक एक्सचेंज ऑडिटोरियम में साहेब स्मृति फाउंडेशन की ओर से जश्न-ए- मौजशाही का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में 13वां राष्ट्रीय कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत हजरत मंजूर आलम शाह ‘कलंदर मौजशाही’ की याद में उनके द्वारा रचित कलाम को प्रदीप श्रीवास्तव, दिनेश सिंह व अभिषेक झा ने पढ़ कर की। कार्यक्रम की शुरूआत विधि विधान के साथ पूजा अर्चन कर की गई। मुख्य अतिथि अजीत तिवारी, जटाधर दीक्षित ने हजरत मंजूर आलम शाह (हुजूर साहेब) के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया। हुजुर साहेब द्वारा रचित इस वक्त मुझे मत छेड़िए, दिल मौजे मैं के आसार में है, इस वक्त वो मयखाना खोले,बैठा हुआ मेरे घर में है… रचना पेश करते ही कवि सम्मेलन का समां बंध गया। दिनेश सिंह ने पुरबिया गीत, काहे के पीरितिया लगायो,अकेले जिया रहलो ना जाए… प्रस्तुत किया। इसके बाद शहर के फारूक जायसी ने अपना कलाम पेश किया अपनी हस्ती को हमें रखा बनाएं हुए हैं, इश्क की आग जो सीने में दबाए हुए हैं… इकरा अंबर ने अपना गीत प्रस्तुत किया वो जहाँ बेकरार बैठेगा, दिल वहाँ बार बार बैठेगा… गाते ही ऑडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। अतीक कानपुरी की गजल ने लूटी वाहवाही शायर अतीक फतेहपुरी और जहीर कानपुरी ने अपने कलाम पेश किए | अतीक कानपुरी ने गजल, कैसे कहूं तुम्हारी इनायत नहीं रही, तुम हो तो अब किसी की भी हाजत नहीं रही… पर जमकर वाहवाही लूटी। वहीं जनाब नाज प्रतापगढ़ी की गजल जब गई परवाज़ तुझ तक फिक्र की, आ गई खुशबू गजल में इत्र की… को सभी कवि व मुशायरा प्रेमियों ने जमकर सराहा। कवि सम्मेलन के दौरान पटियाला की मधु मधुमन ने उसे महारतें हासिल हैं गर सताने में, तो मेरा जज्बा-ए-बर्दाश्त भी कमाल का है… दिल्ली की नीना सहर ने तमाम महफिल ओ वीरान सब उसी का है, बशर है सिर्फ निगेहबान सब उसी का है… शेर-ओ-शायरी के दौर में धमेंद्र सोलंकी, विनीता मिश्र, रेनू मिश्र, रेनू शुक्ल, प्रार्थना पंडित, अलका मिश्र, नफीस कानपुरी आदि ने अपनी गजलें और गीत प्रस्तुत किए । ईशा त्रिपाठी ने संस्था के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। कवि सम्मलेन और मुशायरे का संचालन शायर शफीक आब्दी ने किया।
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