जामा मस्जिद में 2:30 बजे होगी जुमे की नमाज:मुरादाबाद में शहर इमाम सैय्यद मासूम अली आजाद बोले-दूर से आने वाले मोहल्ले की मस्जिदों में पढ़ें

मुरादाबाद में जामा मस्जिद में जुमे की नमाज दोपहर 12:30 बजे के बजाए दोपहर 2:30 बजे होगी। शहर इमाम सैय्यद मासूम अली आजाद ने इसे लेकर ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि होली के त्योहार के मद्देनजर ऐसा किया गया है। ताकि होली के जुलूस और नमाज का वक्त आपस में न टकराए। शहर इमाम ने दूर से आने वाले मुसलमानों से अपील की है कि वो इस जुमे को जामा मस्जिद आने के बजाए अपने मोहल्लों की मस्जिदों में ही नमाज पढ़ें।

Mar 11, 2025 - 07:00
 55  29888
जामा मस्जिद में 2:30 बजे होगी जुमे की नमाज:मुरादाबाद में शहर इमाम सैय्यद मासूम अली आजाद बोले-दूर से आने वाले मोहल्ले की मस्जिदों में पढ़ें
मुरादाबाद में जामा मस्जिद में जुमे की नमाज दोपहर 12:30 बजे के बजाए दोपहर 2:30 बजे होगी। शहर इमाम सैय्यद
जामा मस्जिद में 2:30 बजे होगी जुमे की नमाज News by indiatwoday.com जुमे की नमाज एक महत्वपूर्ण इस्लामी प्रथा है जो हर शुक्रवार को अदा की जाती है। मुरादाबाद के शहर इमाम सैय्यद मासूम अली आजाद ने बताया है कि इस सप्ताह यह नमाज जामा मस्जिद में स्थानीय समय के अनुसार 2:30 बजे शुरू होगी। यह सूचना उन सभी मुस्लिमान के लिए है जो नमाज अदा करने के लिए दूर-दूर से आ रहे हैं।

जुमे की नमाज का महत्व

जुमे की नमाज का महत्व मुस्लिम समाज में अत्यधिक है। यह एक ऐसा समय होता है जब मुस्लिम समुदाय एकत्रित होकर अल्लाह की इबादत करता है। इमाम द्वारा दी जाने वाली खुत्बा (धार्मिक संबोधन) के माध्यम से मुस्लिम समुदाय को नैतिक और सामाजिक शिक्षा दी जाती है।

अन्य मोहल्लों से आने वाले नमाजी

शहर इमाम के अनुसार, जिन लोगों का आवागमन दूर-दूर के मोहल्लों से हो रहा है, उन्हें सलाह दी गई है कि वे अपने स्थानीय मस्जिदों में भी नमाज पढ़ें। यह सलाह न केवल उनके लिए सुविधाजनक है, बल्कि इससे सामुदायिक एकता को भी बढ़ावा मिलता है।

सुरक्षा उपाय और व्यवस्था

मस्जिद में नमाज अदा करने के दौरान सुरक्षा उपायों का भी खास ध्यान रखा जाएगा। प्रशासन ने सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की है, ताकि नमाज अदा करने वालों को कोई समस्या न हो। आने वाले नमाजियों से अनुरोध किया गया है कि वे समय से पहले पहुंचे और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।

मस्जिदों की भूमिका

मस्जिदें केवल प्रार्थना स्थल नहीं हैं; वे समुदाय के लिए मिलन स्थल का कार्य भी करती हैं। नमाज के बाद, मुस्लिम आपसी बातचीत और सामाजिक समस्याओं पर चर्चा करते हैं।

कुल मिलाकर, यह जुमे की नमाज न केवल धार्मिकता का प्रतीक है, बल्कि यह समाज की एकता और भाईचारे को भी मजबूती देती है। Keywords: जुमे की नमाज मुरादाबाद, जामा मस्जिद मुरादाबाद, इमाम सैय्यद मासूम अली आजाद, मुस्लिम प्रथा, मुरादाबाद नमाज समय, मोहल्ले की मस्जिदें, जुमे की नमाज का महत्व, सुरक्षा उपाय जुमे की नमाज For more updates, visit indiatwoday.com.

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow