ट्रम्प ने ईरान को फिर धमकी दी:कहा- न्यूक्लियर प्रोग्राम नहीं छोड़ा तो खामियाजा भुगतना पड़ेगा; आज ओमान में दोनों देशों के बीच बातचीत

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उसने अपना न्यूक्लियर प्रोग्राम नहीं छोड़ा, तो उसे खामियाजा भुगतना पड़ेगा। यह बात ट्रम्प की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने शनिवार को होने वाली अमेरिका-ईरान बातचीत से पहले पत्रकारों के सामने कही। कैरोलिन लेविट ने कहा कि ट्रम्प की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि ईरान कभी परमाणु हथियार न हासिल कर सके। ट्रम्प कूटनीति से निकाले गए हल का समर्थन करते हैं, लेकिन अगर कूटनीति विफल होती है तो वह कड़े कदम उठाने के लिए भी तैयार हैं। कैरोलिन लेविट ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प पहले भी साफ कर चुके हैं कि इस मामले में सभी विकल्प खुले हैं। ईरान के पास दो विकल्प हैं- या तो ट्रम्प की मांगों को माने, या गंभीर परिणाम भुगतने को तैयार रहे। यही इस मुद्दे पर ट्रम्प की दृढ़ भावना है। ओमान में आज होगी अहम बैठक अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ शनिवार को ओमान में ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराकची से मुलाकात करेंगे। यह अमेरिका और ईरान के बीच एक दशक से भी अधिक समय में पहली औपचारिक परमाणु बातचीत होगी। ईरानी सरकारी मीडिया के मुताबिक, ओमान के विदेश मंत्री बदर अल-बुसैदी इस बातचीत में मध्यस्थ की भूमिका निभाएंगे। ट्रम्प ने ईरान को दी 60 दिनों की मोहलत पॉलिटिको की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प ने ईरान को एक नई परमाणु डील पर सहमति के लिए 60 दिनों का समय दिया है, नहीं तो सैन्य कार्रवाई की चेतावनी दी है। यह चेतावनी एक चिट्‌ठी के जरिए ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को भेजी गई। इस पत्र में साफ तौर पर कहा गया कि तेहरान को वाशिंगटन के साथ बातचीत के लिए तैयार रहना होगा, चाहे यह बातचीत सीधे ही क्यों न हो। नहीं तो ऐसे परिणाम भुगतने होंगे जो ईरानी सरकार की स्थिरता को खतरे में डाल सकते हैं। ईरान पर बमबारी करने की धमकी दे चुके हैं ट्रम्प इससे पहले 30 मार्च को ट्रम्प ने ईरान को धमकी दी थी कि अगर वह अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम पर किसी समझौते पर नहीं पहुंचता तो अमेरिका उस पर बमबारी कर सकता है। ट्रम्प ने ईरान पर सेकेंडरी टैरिफ लगाने की भी धमकी दी। ट्रम्प ने NBC न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा, अगर वे कोई डील नहीं करते हैं तो बमबारी होगी। यह ऐसी बमबारी होगी, जैसी उन्होंने पहले कभी नहीं देखी होगी। ट्रम्प ने आगे कहा- ईरान के पास एक मौका है, अगर वे ऐसा नहीं करते तो मैं उनपर 4 साल पहले की तरह सेकेंडरी टैरिफ लगाऊंगा। न्यूक्लियर प्रोग्राम पर अमेरिकी और ईरानी अधिकारी बातचीत कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया। इस बीच ईरान की सेना ने किसी भी अमेरिकी हमले का जवाब देने के लिए अपनी मिसाइलों को तैनात कर दिया है। तेहरान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की मिसाइलें सभी अंडरग्राउंड मिसाइल सिटी में लॉन्चरों पर लोड कर दी गई हैं और लॉन्च के लिए तैयार हैं। तेहरान टाइम्स ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 'पैंडोरा बॉक्स खोलने से अमेरिकी सरकार और उसके सहयोगियों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।' आसान शब्दों में "पैंडोरा बॉक्स खोलना" का मतलब है किसी ऐसी चीज को शुरू करना, जिसके बाद बहुत सारी परेशानियां पैदा हो जाएं, और उन्हें रोकना मुश्किल हो। ईरान ने अंडरग्राउंड मिसाइल सिटी का वीडियो जारी किया इससे पहले ईरान ने 26 मार्च को अपनी तीसरी अंडरग्राउंड मिसाइल सिटी का वीडियो जारी किया था। 85 सेकेंड के इस वीडियो में सुरंगों के भीतर मिसाइलें और आधुनिक हथियार दिखाई दे हैं। यह वीडियो ऐसे समय जारी किया गया है, जब डोनाल्ड ट्रम्प की ईरान को परमाणु प्रोग्राम खत्म करने की चेतावनी की डेडलाइन करीब है। ईरान के सरकारी मीडिया ने यह वीडियो जारी किया है। इसमें टॉप मिलिट्री कमांडर मेजर जनरल मो. हुसैन बागरी और ईरान रेवोल्यूशनरी गार्ड (IRGC) के एयरोस्पेस फोर्स के चीफ आमिर अली हाजीजादेह नजर आ रहे हैं। इजराइल पर हमले में इस्तेमाल मिसाइलें दिखीं वीडियो में दोनों अफसर सेना के वाहन पर सुरंगों के भीतर सफर कर रहे हैं और आसपास ईरान की आधुनिक मिसाइलें और एडवांस वेपनरी दिखाई दे रही है। ईरान की सबसे खतरनाक खैबर शेकेन, कादर-H, सेजिल और पावेह लैंड अटैक क्रूज मिसाइल भी दिख रही हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक इन हथियारों का इस्तेमाल हाल ही में इजराइल पर हमले में किया गया था। पूरी खबर यहां पढ़ें... चार बड़े घटनाक्रमों से समझिए...आखिर ये दोनों देश झगड़ते क्यों रहते हैं? 1953 - तख्तापलट : यह वो साल था, जब अमेरिका-ईरान के बीच दुश्मनी की शुरुआत हुई। अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने ब्रिटेन के साथ मिलकर ईरान में तख्तापलट करवाया। निर्वाचित प्रधानमंत्री मोहम्मद मोसाद्दिक को हटाकर ईरान के शाह रजा पहलवी के हाथ में सत्ता दे दी गई। इसकी मुख्य वजह था-तेल। मोसाद्दिक तेल के उद्योग का राष्ट्रीयकरण करना चाहते थे। 1979 - ईरानी क्रांति : ईरान में एक नया नेता उभरा-आयतोल्लाह रुहोल्लाह खुमैनी। खुमैनी पश्चिमीकरण और अमेरिका पर ईरान की निर्भरता के सख्त खिलाफ थे। शाह पहलवी उनके निशाने पर थे। खुमैनी के नेतृत्व में ईरान में असंतोष उपजने लगा। शाह को ईरान छोड़ना पड़ा। 1 फरवरी 1979 को खुमैनी निर्वासन से लौट आए। 1979-81 - दूतावास संकट : ईरान और अमेरिका के राजनयिक संबंध खत्म हो चुके थे। तेहरान में ईरानी छात्रों ने अमेरिकी दूतावास को अपने कब्जे में ले लिया। 52 अमेरिकी नागरिकों को 444 दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया। 2012 में इस विषय पर हॉलीवुड फिल्म-आर्गो आई। इसी बीच इराक ने अमेरिका की मदद से ईरान पर हमला कर दिया। युद्ध आठ साल चला। 2015 - परमाणु समझौता : ओबामा के अमेरिकी राष्ट्रपति रहते समय दोनों देशों के संबंध थोड़ा सुधरने शुरू हुए। ईरान के साथ परमाणु समझौता हुआ, जिसमें ईरान ने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने की बात की। इसके बदले उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में थोड़ी ढील दी गई थी। लेकिन ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद यह समझौता रद्द कर दिया। दुश्मनी फिर शुरू हो गई।

Apr 12, 2025 - 10:59
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ट्रम्प ने ईरान को फिर धमकी दी:कहा- न्यूक्लियर प्रोग्राम नहीं छोड़ा तो खामियाजा भुगतना पड़ेगा; आज ओमान में दोनों देशों के बीच बातचीत
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उसने अपना न्य

ट्रम्प ने ईरान को फिर धमकी दी: कहा- न्यूक्लियर प्रोग्राम नहीं छोड़ा तो खामियाजा भुगतना पड़ेगा

हाल ही में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान को एक बार फिर धमकी दी है, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर ईरान अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को नहीं छोड़ता, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। ट्रम्प की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब अमेरिका और ईरान के बीच राजनीतिक तनाव लगातार बढ़ रहा है।

ईरान की न्यूक्लियर नीति और अमेरिका की प्रतिक्रिया

ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम वर्षों से वैश्विक चिंता का विषय रहा है। ट्रम्प के अनुसार, अगर ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को जारी रखता है, तो उसे आर्थिक प्रतिबंधों और संभावित सैन्य कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका ईरान के विदेश मंत्री के साथ ओमान में की जाने वाली बातचीत पर नज़र रखेगा।

ओमान में होने वाली बातचीत का महत्व

आज ओमान में प्रस्तावित बातचीत, अमेरिका और ईरान के बीच एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। यह वार्ता दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को पुनः स्थापित करने और संभावित समझौतों की दिशा में एक कदम हो सकती है।

ट्रम्प के बयान के संदर्भ में, यह भी जानना महत्वपूर्ण है कि ओमान एक ऐसा देश है जिसने हमेशा मध्यस्थता की भूमिका निभाई है। यहां होने वाली वार्ता से ईरान के न्यूक्लियर मुद्दे के संबंध में नए दिशा-निर्देश मिल सकते हैं जो क्षेत्रीय स्थिरता में सहायक हो सकते हैं।

न्यूक्लियर कार्यक्रम के संदर्भ में ट्रम्प की हालिया धमकी पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनी हुई है। क्या ईरान इस चेतावनी का गंभीरता से लेगा? आने वाले दिनों में इस संबंध में हमारे पास और अपडेट होंगे।

अधिक जानकारी के लिए, हमारे साथ जुड़े रहें। नवीनतम समाचारों के लिए News by indiatwoday.com पर जाएं।

निष्कर्ष

ट्रम्प का आशय स्पष्ट है, और यह नई राजनीतिक बातचीत की आहट भी है। हालांकि, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ईरान किस प्रकार प्रतिक्रिया करता है और अमेरिका के साथ उसके संबंध किस दिशा में बढ़ते हैं। Keywords: ट्रम्प नए बयान, ईरान न्यूक्लियर प्रोग्राम, अमेरिका ईरान बातचीत, ओमान वार्ता, ट्रम्प धमकी ईरान, न्यूक्लियर खामियाजा, ईरान परमाणु नीतियाँ, अमेरिका का रुख, कूटनीतिक संबंध, ईरान आर्थिक प्रतिबंध

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