दीपावली पर कमल के फूल की बढ़ी बिक्री:गेंदा के फूल ने बिखेरा सुगंध, सजावटी फूलों की रही मांग

बस्ती के दीपावली पर्व पर फूलों का भी विशेष महत्व है। सबसे अधिक महत्व गेंदा व कमल के फूलों की है। लोग इन दो फूलों की खरीदारी करते हुए देखे गए। इसे साथ ही अन्य कई तरह के सजावटी फूलों की भी बिक्री खूब हुई। धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए ज्योतिष के अनुसार कमल के फूल का विशेष महत्व है। इसलिए इस फूल को खरीदने वालों की संख्या काफी देखी गई, कमल के एक फूल की कीमत 50 रुपए थे। जैसे-जैसे दिन ढल रहा था, इसके कीमत में भी इजाफा हो रहा था। वहीं गेंदे के फूल के अलावा मामले की खूब बिक्री हुई। गेंदे के फूल की एक माला 30 रुपए से लेकर 60 रुपए तक बिकी, इसके अलावा अन्य कई तरह के फूल भी बाजार में बिकते हुए देखे गए। अशोक के पत्तों की लड़ियां की मांग घरों के मुख्य द्वार पर सजाने के लिए दुकानों पर अशोक के पत्तों से बनी लड़ियां बेची जा रही थी। जिसे लोग खूब पसंद कर रहे थे। इसके अलावा कई गेंदों के मालों को जोड़कर गेंदे के फूल की बड़ी-बड़ी लड़ियां भी बेंची जा रही थी। कई जगह बिक रहीं बेले के फूल की माला सुंगध बिखेर रहीं थीं। बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों को सजाने के लिए फूलों के कारीगार लगे हुए थे, तो वहीं मंदिरों को भी फूलों से सजाया गया।

Oct 31, 2024 - 16:55
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दीपावली पर कमल के फूल की बढ़ी बिक्री:गेंदा के फूल ने बिखेरा सुगंध, सजावटी फूलों की रही मांग
बस्ती के दीपावली पर्व पर फूलों का भी विशेष महत्व है। सबसे अधिक महत्व गेंदा व कमल के फूलों की है। लोग इन दो फूलों की खरीदारी करते हुए देखे गए। इसे साथ ही अन्य कई तरह के सजावटी फूलों की भी बिक्री खूब हुई। धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए ज्योतिष के अनुसार कमल के फूल का विशेष महत्व है। इसलिए इस फूल को खरीदने वालों की संख्या काफी देखी गई, कमल के एक फूल की कीमत 50 रुपए थे। जैसे-जैसे दिन ढल रहा था, इसके कीमत में भी इजाफा हो रहा था। वहीं गेंदे के फूल के अलावा मामले की खूब बिक्री हुई। गेंदे के फूल की एक माला 30 रुपए से लेकर 60 रुपए तक बिकी, इसके अलावा अन्य कई तरह के फूल भी बाजार में बिकते हुए देखे गए। अशोक के पत्तों की लड़ियां की मांग घरों के मुख्य द्वार पर सजाने के लिए दुकानों पर अशोक के पत्तों से बनी लड़ियां बेची जा रही थी। जिसे लोग खूब पसंद कर रहे थे। इसके अलावा कई गेंदों के मालों को जोड़कर गेंदे के फूल की बड़ी-बड़ी लड़ियां भी बेंची जा रही थी। कई जगह बिक रहीं बेले के फूल की माला सुंगध बिखेर रहीं थीं। बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों को सजाने के लिए फूलों के कारीगार लगे हुए थे, तो वहीं मंदिरों को भी फूलों से सजाया गया।

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