देश में 98% लोग लोकल भाषा में इंटरनेट यूज करते:हर रोज औसतन 94 मिनट बिता रहे, 2025 में यूजर्स की संख्या 90 करोड़ पार होगी
भारत में 2025 के दौरान इंटरनेट यूजर्स की संख्या 90 करोड़ के पार हो सकती है। आईएएमएआई और कैंटा की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 88.6 करोड़ तक पहुंच गई थी। इसमें हर साल 8% की वृद्धि दर्ज की जा रही है। सबसे अधिक वृद्धि ग्रामीण क्षेत्रों में हुई है। देश की कुल इंटरनेट आबादी का 55% हिस्सा (48.8 करोड़) ग्रामीण भारत से है। ग्रामीण यूजर्स इंटरनेट का इस्तेमाल करने में रोज 89 मिनट बिता रहे है। जबकि, शहरों में ये आंकड़ा 94 मिनट है। खास बात ये है कि देश के 98% यूजर्स भारतीय भाषाओं में इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। इनमें से 57% शहरी आबादी का हिस्सा है। शहरों में हिंदी, मराठी, तमिल, गुजराती, तेलुगु, और बंगाली भाषा का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। रिपोर्ट में भारतीय भाषाओं के इस्तेमाल को इंटरनेट उपयोग में वृद्धि का अहम कारण माना गया है। 53% पुरुष, 47% महिलाएं इंटरनेट इस्तेमाल करती हैं ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान 10.5 करोड़ लोग केवल कैश ऑनडिलिवरी का इस्तेमाल करते हैं। इनमें सबसे अधिक 52% महिलाएं शामिल है। पांच में से एक यूजर इंटरनेट के इस्तेमाल के लिए वॉयस असिस्टेंट का उपयोग करता है। इनमें 39% लोग 25 से 44 के आयुवर्ग में हैं। 2024 में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले 53% पुरुष और 47% महिलाएं थी। 41% नहीं करते इंटरनेट उपयोग अभी भी 41% भारतीय इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इनमें 51% ग्रामीण क्षेत्र से हैं। हांलाकि, हर साल से आंकड़ा कम हो रहा है। 2021 में इंटरनेट इस्तेमाल न करने वाले लोगों की संख्या 76 करोड़ थी। 2024 में ये घटकर 63 करोड़ रह गई हैं।

देश में 98% लोग लोकल भाषा में इंटरनेट यूज करते: हर रोज औसतन 94 मिनट बिता रहे
हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 98 प्रतिशत लोग लोकल भाषा में इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। यह आंकड़ा न केवल भारत के डिजिटल परिवर्तन को प्रदर्शित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे लोग अपनी मातृ भाषा में जानकारी तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं। 'News by indiatwoday.com' इस विकास की गहराई में जाने का प्रयास करता है और समझाता है कि यह रुझान भारत को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने में कैसे सहायक हो रहा है।
यूजर्स की बढ़ती संख्या
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि इंटरनेट का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या 2025 तक 90 करोड़ के पार जाने की संभावना है। इस उल्लेखनीय वृद्धि का मुख्य कारण स्मार्टफोन की सस्ती कीमतें और मोबाइल डेटा की उपलब्धता है। हर दिन औसतन 94 मिनट का ऑनलाइन समय बिताना, उपभोक्ताओं के लिए एक सामान्य बात बन गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि लोग तेजी से डिजिटल दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं।
भाषा की भूमिका
लोकल भाषा में सामग्री का महत्व बढ़ रहा है। तकनीकी कंपनियाँ अब अधिक से अधिक देशों की भाषा में सेवाओं को अनुकूलित कर रही हैं। जिससे न केवल उन्हें दर्शकों की एक बड़ी संख्या तक पहुँचने में मदद मिल रही है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि सभी वर्गों के लोग डिजिटल दुनिया का लाभ उठा सकें।
समाज और संस्कृति पर प्रभाव
इस विकास का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। लोकल भाषा में सूचना प्राप्त करने से न केवल लोग अधिक जानकारी प्राप्त कर पा रहे हैं, बल्कि इसके माध्यम से संस्कृति भी समृद्ध हो रही है। इसने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की खाई को भरने में मदद की है।
निष्कर्ष
वास्तव में, भारत के लोकल भाषा में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की बढ़ती संख्या एक सकारात्मक संकेत है। यह केवल तकनीकी उन्नति नहीं है, बल्कि संस्कृति, समाज और लोगों के जीवन में भी एक परिवर्तन का प्रतीक है। भविष्य में इंटरनेट उपयोग की संख्या में और वृद्धि देखने को मिल सकती है, जो दर्शाता है कि हम एक नई डिजिटल युग की ओर बढ़ रहे हैं।
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