पंचायत चुनाव परिणाम: कांग्रेस का ऐतिहासिक पलटवार, बीजेपी के लिए चेतावनी, विधायकों के परिवार बुरी तरह हारे
रैबार डेस्क: पंचायत चुनावों के नतीजे आ गए हैं। सत्ताधारी भाजपा और विपक्ष कांग्रेस दोनों... The post पंचायत चुनाव के नतीजे: कांग्रेस का कमबैक, बीजेपी के लिए वेकअप अलार्म, विधायकों के बेटे-पत्नी हार गए चुनाव appeared first on Uttarakhand Raibar.

पंचायत चुनाव परिणाम: कांग्रेस का ऐतिहासिक पलटवार, बीजेपी के लिए चेतावनी, विधायकों के परिवार बुरी तरह हारे
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कम शब्दों में कहें तो, पंचायत चुनावों ने भारतीय राजनीति का नया अध्याय लिख दिया है। सत्ता में आई भाजपा और विपक्षी कांग्रेस ने चुनावी नतीजों के बाद अपने-अपने तरीके से जीत का दावा किया है। हालांकि, नतीजे यह बताते हैं कि भाजपा के कई वरिष्ठ नेता और विधायकों के परिवार चुनाव में बुरी तरह हार गए हैं, जिससे उन्हें अपनी स्थिति पर गंभीरता से विचार करना पड़ेगा। दूसरी ओर, कांग्रेस ने कई महत्वपूर्ण सीटों पर जीत हासिल कर एक नई ताकत के रूप में उभरी है।
चुनाव के परिणामों का विश्लेषण
पंचायत चुनावों में जननायक ने असामान्य प्रवृत्तियों को उजागर किया है। भाजपा भले ही अपनी जीत का दावा कर रही हो, लेकिन सच्चाई यह है कि पंचायत की 358 सीटों में से केवल 114 सीटें ही भाजपा के पास आई हैं। इस परिणाम ने पार्टी के कई बड़े नेताओं को संकट में डाल दिया है, जो उनकी राजनीतिक ताकत के लिए डरावनी स्थिति है।
विधायकों और उनके परिवारों की हार
विधायक दलीप रावत की पत्नी का राजनीतिक सपना चुराया गया
लैंसडौन से विधायक दलीप रावत की पत्नी नीतू देवी जिला पंचायत चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने उतरी थीं। उन्हें विश्वास था कि वह अध्यक्ष बनेंगी, परंतु वोटरों ने सपना चुराते हुए 411 वोटों से हार का सामना कराया। यह हार न केवल उनके लिए, बल्कि उनके पति के लिए भी एक बड़ा झटका है।
अन्य विधायकों के बेटे भी रहे हार के शिकार
कुमाऊं क्षेत्र के नैनीताल विधायक सरिता आर्य का बेटा रोहित भी भारी हार का सामना करने वाले विधायकों की फेहरिस्त में शामिल है। उन्होंने कांग्रेस समर्थित यशपाल के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें 1200 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही, अल्मोड़ा के सल्ट से विधायक महेश जीना का बेटा करन जीना भी हार की कड़वी गोली निगलने में मजबूर हुए।
कांग्रेस की मजबूती
कांग्रेस ने पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में जो हार झेली थी, अब पंचायत चुनावों में उसे संजीवनी मिल रही है। कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों ने विभिन्न क्षेत्रों में जबर्दस्त जीत दर्ज की है।
देहरादून में जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस के 12 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की, जबकि भाजपा के पास केवल 7 सीटें आईं। पौड़ी में भी कांग्रेस ने 38 सीटों में से 16 पर विजय प्राप्त की है। इस चुनाव ने सिद्ध कर दिया है कि मतदाता अब राजनीतिक परिवारों के उम्मीदवारों को भी नकारने के लिए तैयार हैं।
निष्कर्ष
इन परिणामों में यह संकेत मिलता है कि समय आ गया है बीजेपी के लिए एक गंभीर आत्ममंथन का। यह चुनाव न केवल कांग्रेस के लिए खुशी का पल है, बल्कि यह बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी भी है। यदि पार्टी ने अपने विधायकों और उनके परिवारों के उम्मीदवारों को नहीं बचाया, तो आने वाले चुनावों में स्थिति और भी बिगड़ सकती है।
अंततः, पंचायत चुनाव ने यह साबित किया है कि हमारे मतदाता अब और भी समझदार हो गए हैं। यह जनादेश बताता है कि स्थानीय स्तर पर राजनीतिक धारणा कितनी तेजी से बदल सकती है।
आगे बढ़ते हुए, यदि बीजेपी को अपनी खोई हुई जमीन वापस पाना है, तो उन्हें अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं के प्रति जिम्मेदारी बरतनी होगी।
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Signed off by: संजना राणा, Team India Twoday
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