पराक्रम और सामाजिक समरसता की प्रतिमूर्ति थीं अहिल्याबाई: आलोक कुमार:माला ठाकुर बोली-'जाति-भेद मिटाकर समाज को संगठित किया;सह सरकार्यवाह बोले-युद्धकला में निपुण और समाज सुधार की अग्रदूत थीं
लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के त्रिशताब्दी समारोह ने उनकी वीरता, सेवा और सामाजिक समरसता की अद्वितीय झलक पेश की। कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह आलोक कुमार ने सीएमएस गोमती नगर में दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर प्रदर्शनी, सांस्कृतिक नृत्य-नाटिका और युद्ध कौशल प्रदर्शन के जरिए लोकमाता के जीवन की प्रेरणादायक गाथा को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया गया। 'युद्धकला में निपुण और समाज सुधार की अग्रदूत थीं अहिल्याबाई': सह सरकार्यवाह सह सरकार्यवाह आलोक कुमार ने कहा, "अहिल्याबाई का जीवन न केवल पराक्रम का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक समरसता का श्रेष्ठ उदाहरण भी। उन्होंने विधवाओं को रोजगार, सैनिकों के आश्रितों को पेंशन और साड़ी उद्योग जैसी पहल कर समाज को एक नई दिशा दी।" लोकमाता की वेशभूषा में 300 से अधिक बालिकाओं ने जब मंच पर उपस्थिति दर्ज कराई, तो यह दृश्य सभी को लोकमाता की महानता से जोड़ता नजर आया। इन बालिकाओं का स्वागत विशेष रूप से किया गया। समारोह के दौरान प्रदर्शनी और रंगोली ने लोकमाता के जीवन के विविध पहलुओं को उजागर किया। "महिला सैनिकों का समरांगण में हौसला बढ़ाने वाली अहिल्याबाई की जीवन यात्रा सभी के लिए प्रेरणादायक है," माला ठाकुर ने कहा। कार्यक्रम में लोकमाता के वंशज उदय राजे होलकर ने कहा, "अहिल्याबाई ने महेश्वर से परे पूरे देश में सेवा और समरसता का संदेश फैलाया।" कार्यक्रम स्थल पर स्वच्छता, प्रदर्शनी और अन्य व्यवस्थाओं में 500 से अधिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक, संघ के क्षेत्रीय प्रचारक अनिल जी और अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
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